अब NAFRS सिस्टम के सहारे धरे जाएंगे देशभर में अपराधी, जानिए क्या है ये तकनीक?

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राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानि NCRB को चेहरा पहचानने की आला तकनीक मिलनेवाली है।
NCRB ने ‘नेशनल ऑटोमेटेड फेशियल रेकग्निशन सिस्टम’ (NAFRS) से संबंधित सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर उपलब्ध कराने के लिए कंपनियों से टेंडर मंगा लिया है।
फिंगरप्रिंट से भी अपराधियों की पहचान के लिए ‘नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम’ (NAFIS) बनाने की योजना है।
फरार अपराधियों के लिए पहचान छिपाकर देश में रहना अब आसान नहीं होगा।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फिंगरप्रिंट और चेहरे से व्यक्ति की पहचान बताने वाला यह सिस्टम कई तरीके से अपराध की जांच और अपराधियों पर शिकंजा कसने में मददगार हो सकता है।
इस सिस्टम के लागू हो जाने के बाद कोई भी अपराधी अपनी पहचान बदलकर किसी दूसरे नाम से कहीं नहीं छुप सकता है. यहां तक कि भगोड़े आतंकियों की भी इससे आसानी से पहचान हो सकती है।
कहा जा रहा है कि इस सिस्टम के इस्तेमाल से गुमशुदा बच्चों की खोज और लावारिस लाशों की पहचान करने में आसानी होगी। प्राकृतिक और अन्य दुघर्टना में मारे जाने वाले लोगों की पहचान भी इस सिस्टम के माध्यम से आसान होगी।
NAFRS एक वेब बेस्ड एप्लीकेशन होगी जो दिल्ली में NCRB डाटा सेंटर से जुड़ी रहेगी. ये क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स (CCTNS) के ज़रिए तमाम पुलिस थानों से लिंक होगी।
जैसे ही वांछित चेहरा किसी सीसीटीवी की ज़द में आया तो अलर्ट जारी हो जाएगा। सिस्टम के पास पहले से CCTNS, पासपोर्ट, जेल के रिकॉर्ड्स और
NAFIS से जुटाए आंकड़े होंगे। इन्हीं के मैच होने पर अलर्ट लागू होगा ताकि जल्द से जल्द वांछित शख्स को पकड़ा जा सके।
आपको बता दें हैदराबाद पहला ऐसा एयरपोर्ट भी बन गया है जहां यात्रियों के लिए चेहरा पहचान कर बोर्डिंग पास बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
इसी महीने से ये सिस्टम अपना काम करने लगा है और महीने के अंत तक ट्रायल पर चलेगा। हैदराबाद के अलावा बंगलुरू. वाराणसी, पुणे, कोलकाता और
विजयवाड़ा एयरपोर्ट पर भी ऑटोमेटेड फेशियल रेकग्निशन सिस्टम काम करेगा। देश के 105 एयरपोर्ट्स तक इस सिस्टम को ले जाने का उद्देश्य है।
जैसे ही ऑटोमेटेड फेशियल रेकग्निशन सिस्टम की बात चली वैसे ही इससे जुड़ी प्राइवेसी की चिंताएं सिर उठाने लगी हैं।
कितनी एजेंसिया दर्ज किए गए आंकड़ों तक एक्सेस रखेंगी और आंकड़ों को सुरक्षित रखने के लिए क्या व्यवस्था की जाएंगी इस पर मुश्किल सवाल पूछे जा सकते हैं।
हाल ही में अमेरिका के सेन फ्रांसिस्को में इस सिस्टम को इस्तेमाल किया जाना बंद हो गया है।

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