अमृतसर। यहां जोड़ा फाटक पर हुए हादसे का मामला पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक पहुंच गया है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले पर पंजाब सरकार, रेल मंत्रालय और रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
दूसरी ओर, इस हादसे को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में इस हादसे की सीबीआइ जांच कराने की मांग की गई है।
बता दें कि 19 अक्टूबर को अमृतसर के जोड़ा रेल फाटक के पास दशहरा कार्यक्रम में रावण का पुतला दहन कार्यक्रम देख रहे लाेगों को एक डीएमयू ट्रेन ने रौंद दिया था।
ये लोग रेलवे ट्रैक पर खड़े होकर पुतला दहन कार्यक्रम देख रहे थे। इसी बीच तेज गति से ट्रेन अा गई और लोगों को रौंद दिया। इस घटना में 62 लोगों की मौत हो गई और करीब 143 लोग घायल हो गए।
इस मामले पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सोमवार को कदम उठाया। आयोग ने इस हादसे को गंभीरता से लेते हुए पंजाब सरकार और रेलवे से विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा।
आयोग ने पंजाब सरकार, रेल मंत्रालय और रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को नोटिस जारी किया। आयोग ने पूरे घटनाक्रम पर चार सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है।
उधर, अमृतसर हादसे में हुई मौतों के मामले को लेकर सोमवार को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। याचिका में इस हादसे की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की गई है।
हरियाणा के गुरुग्राम के एक वकील द्वारा दायर की गई इस याचिका में पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू को प्रतिवादी बनाया गया है।
याचिकाकर्ता ने रेल हादसे के पीड़ितों के नुकसान का आंकलन करवाए जाने की मांग है और पीडि़त परिवार को समुचित राहत दिलाने की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया हे कि हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा जानव माल के नुकसान का आकलन करवाया जाए।
एडवोकेट दिनेश डकोरिया द्वारा दायर की गई इस याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होने की संभावना है।
इस मामले में पहले कहा गया कि कार्यक्रम के लिए आयोजकों ने प्रशासन और पुलिस से अनुमति नहीं ली गई है। बाद में खुलासा हुआ कि आयोजकों ने इसके लिए अनुमति ली गई थी।
दूसरी ओर, रेलवे का कहना है कि कार्यक्रम के आयोजकों या स्थानीय प्रशासन ने उसे कोई सूचना नहीं दी।
पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने हादसे के लिए रेलवे को जिम्मेदार ठहराया है। सिद्धू का कहना है कि जोड़ा फाटक के पास स्थित धोबीघाट मैदान में हाे रहे दशहरा कार्यक्रम में लोगों की भारी भीड़ थी और
लोग मना करने के बावजूद रेलवे ट्रैक पर खड़े थे। ऐसे में वहां रेलवे केबिन में तैनात कर्मचारी को चाहिए था कि वह ट्रेन को रुकवाता।