RTI में खुलासा: तीन वर्षों में 7 अरब रुपये का हुआ ऑनलाइन फ्रॉड

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नई दिल्ली। देश में ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले साल दर साल बढ़ते जा रहे हैं.
ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोकना सरकार के लिए चुनौती बन गई है. इस बीच रिजर्व बैंक ने जानकारी दी है कि

ऑनलाइन फ्रॉड

साल 2016 से लेकर जून 2019 तक 1 लाख 76 हजार 423 लोगों के साथ कुल छह अरब 96 करोड़ 35 लाख रुपये की ऑनलाइन धोखाधड़ी हुई.
हिंदी समाचारपत्र दैनिक जागरण की ओर दायर की गई आरटीआई पर वित्त मंत्रालय ने ये जानकारी दी है.
मंत्रालय की ओर ये आरटीआई भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय जनसूचना अधिकार प्रकोष्ठ भेज दी गई थी.
रिजर्व बैंक की सूचना के मुताबिक, 87,956 लोगों ने थानों में जाकर अपने साथ हुई धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराई है, जबकि
88,467 लोग ऐसे भी हैं, जिनके साथ धोखाधड़ी हुई, मगर उन्होंने केवल बैंक को सूचना देकर अपनी कार्रवाई को वहीं खत्म कर दिया.
रिजर्व बैंक ने बताया है कि साल 2016-17 में देशभर में 4559 लोग ऑनलाइन धोखाधड़ी के शिकार हुए थे. इसमें से 3187 लोगों ने एफआइआर दर्ज कराई थी.
1372 लोग बैंक को सूचना देकर चुप बैठ गए. साल 2017-18 में इस आंकड़े में 15 गुना बढ़ोत्तरी हुई. इसमें 72 हजार 205 लोगों के साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी हुई.
केवल 37 हजार 414 लोग ही थाने पहुंचे और मुकदमा दर्ज कराया. बाकी बचे 34 हजार 791 लोगों ने बैंक को सूचना देकर खामोश हो गए.
आरबीआई ने ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों को दो हिस्सों में बांटा है.
एक श्रेणी में उन मामलों को दर्ज किया गया है जिसमें एक लाख से ज्यादा रुपये की धोखाधड़ी हुई है.
वहीं, दूसरी श्रेणी में एक लाख से कम की धोखाधड़ी के मामले दर्ज किए गए हैं.

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