शिमला। शिमला का नाम श्यामला बदलने की चर्चाओं के बीच पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने प्रदेश सरकार की तीखी आलोचना की है।
स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार के नाम बदलने के बयान पर वीरभद्र ने तंज कसते हुए सुलह का कोई व्यक्ति कैसे शिमला का नाम तय कर सकता है।
शिमला के आम आदमी ने नाम बदलने के बारे में बोला हो तो, तब समझ में भी आता। सुलह का व्यक्ति शिमला के नाम के बारे में कैसे बोल सकता है? हमने तो कांगड़ा, मंडी का नाम बदलने के बारे में कभी नहीं कहा है।
गौर रहे कि कुछ दिन पहले स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार शिमला स्थित आरएसएस के प्रांत कार्यालय में एक समारोह के दौरान एक सवाल पर कहा था कि शिमला का नाम बदलने पर सरकार विचार करेगी।
बकौल वीरभद्र, विश्व हिंदू परिषद के कुछ लोग पूर्व कांग्रेस सरकार के दौरान मुझसे मिले थे। इस बाबत ज्ञापन भी दिया था, लेकिन तब सरकार ने नाम बदलने की सोच को सही नहीं माना था।
शिमला पहले सिमला था। अंग्रेज पहले आए और कालीबाड़ी मंदिर बाद में बंगाल के लोगों ने बनाया, ये अंग्रेजों के मुलाजिम थे।
उन्होंने श्यामला नाम होने की विश्व हिंदू परिषद की थ्यूरी को सिरे से खारिज किया है। शिमला में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में वीरभद्र ने कहा कि नाम बदलने के बजाए प्रदेश सरकार को काम पर ध्यान देना चाहिएा।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने नाम बदलने की सोच पर करारी चोट की है। बकौल वीरभद्र, पीटरहॉफ भी अंग्रेजों के नाम से नहीं है, यह रशियन नाम है।
लेकिन डलहौजी का नाम भी नहीं बदला जाना चाहिए। नाम बदलने से बेहतर है कि हिमाचल के विकास पर जोर दो।