CWC ने सोनिया गांधी को कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया

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नई दिल्ली। इस्तीफा वापस लेने का कांग्रेस नेताओं का इसरार मानने से राहुल गांधी के साफ इनकार के बाद पार्टी की कार्य समिति (CWC) ने शनिवार को सोनिया गांधी को कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया।
पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि राहुल गांधी द्वारा पार्टी नेताओं का आग्रह

 

‘विनम्रता से अस्वीकार किए जाने’ के बाद CWC ने सोनिया को अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया’ वह नए अध्यक्ष के चुनाव तक यह जिम्मेदारी निभाएंगी।
CWC की दो बार हुई बैठक में तीन प्रस्ताव भी पारित किए. एक प्रस्ताव में बतौर अध्यक्ष राहुल गांधी के योगदान की सराहना की गई है, दूसरे में सोनिया को अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किए जाने तथा तीसरे प्रस्ताव में जम्मू-कश्मीर की स्थिति का उल्लेख है।
सोनिया गांधी करीब 20 साल तक कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद पर रहीं जो उसके इतिहास में किसी अध्यक्ष का सबसे लंबा कार्यकाल था. उनके पास दोबारा पार्टी की कमान आई है।
सोनिया गांधी 14 मार्च, 1998 से 16 दिसंबर, 2017 तक कांग्रेस अध्यक्ष रह चुकी हैं और उनके अध्यक्ष रहते 2004 से 2014 तक पार्टी केंद्र में सत्तासीन रही।
इससे पहले मई 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी से पूछे बिना उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा कर दी, लेकिन सोनिया ने यह कहते हुए पद लेने से इनकार कर दिया की वह कभी भी राजनीति में क़दम नहीं रखेंगी।
इसके बाद 1996 में नरिसम्हा राव की सरकार गिरने से पार्टी की चिंता बढ़ गई. इस चुनाव में बीजेपी और जनता दल को भारी बढ़त हासिल हुई जिसके बाद बीजेपी ने गठबंधन में सरकार बनाई।
कांग्रेस की हालत दिनबदिन बुरी होती जा रही थी. जिसके बाद सोनिया गांधी ने कांग्रेस नेताओं के दबाव में 1997 में कोलकाता के प्लेनरी सेशन में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की।
अप्रैल 1998 में सोनिया गांधी पहली बार कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं. इस तरह नेहरू-गांधी परिवार की पांचवी पीढ़ी के रूप में सोनिया गांधी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली।
साल 1998 में जब सोनिया गांधी ने पार्टी की कमान संभाली थी तब कांग्रेस काफी मुश्किल हालात में थी. सीताराम केसरी पार्टी की कमान संभाल रहे थे. तब लोकसभा में कांग्रेस की 141 सीटें थीं वहीं प्रतिशत में यह आंकड़ा 26% था।
हालांकि 2009 में सीटों की संख्या बढ़कर 206 (38%) हो गईं. दिसम्बर 2017 में जब सोनिया गांधी ने पार्टी की कमान छोड़ी तब उनके पास मात्र 46 सांसद थे. यानी सदन में कांग्रेस की उपस्थिति मात्र 8 फ़ीसदी।
सोनिया गांधी ने सीताराम केसरी से जब कार्यभार लिया था तब कांग्रेस की प्रदेश विधानसभाओं में 4,067 में से 1,136 सीटें उसके पास थीं लेकिन 2017 में 4,120 सीटों में से उसके पास केवल 785 हैं।
आंकड़ों से एक बात तो स्पष्ट है कि सोनिया गांधी के अध्यक्ष रहते हुए भी राज्यों में पार्टी की स्थिति दयनीय ही रही. हालांकि उनके पद संभालने के बाद 1998 में हुए आम चुनावों में पार्टी का वोट शेयर 26 फ़ीसदी था. तब से 2009 तक पार्टी का वोट शेयर 26 से 29 फ़ीसदी के बीच रहा. जो 2014 में पहली बार 20 फ़ीसदी से भी नीचे चला गया।
इस बार लगातार दूसरे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद भी जब राहुल ने अध्यक्ष पद छोड़ दिया तो पार्टी नेताओं ने उनसे दोबारा कमान संभालने का अनुरोध किया. राहुल दिसंबर 2017 से मई 2019 तक अध्यक्ष रहे।
सोनिया मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद नेहरू-गांधी परिवार की ऐसी चौथी सदस्य हैं, जिन्हें एक कार्यकाल पूरा करने के बाद दूसरी बार पार्टी की बागडोर सौंपी गई है. मोतीलाल नेहरू 1919 के बाद 1928 में कांग्रेस अध्यक्ष बने थे।
जवाहरलाल नेहरू 1929-30 के बाद 1951 से 1954 तक पार्टी अध्यक्ष रहे. इंदिरा गांधी ने एक बार 1969 में पार्टी की कमान संभाली।
इसके बाद 1978 से 1984 तक वे दोबारा कांग्रेस अध्यक्ष रहीं।

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