नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में प्रतिबंध और कर्फ्यू हटाए जाने और मोबाइल व इंटरनेट सेवा शुरू तत्काल करने का कोई भी आदेश देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि स्थिति को सामान्य करने के लिए केंद्र को कुछ समय दिया जाना चाहिए। हालात को सामान्य करने के लिए सरकार को प्रयास करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य होने में कितना समय लगेगा? इसके जवाब में केंद्र ने कहा कि पूरा प्रयास कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए है और केंद्र दिन-प्रतिदिन हालात की समीक्षा कर रहा है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई दो हफ्ते के लिए टाल दी है और कहा है कि इसके बाद भी ऐसे हालात रहे तो मामले पर विचार किया जाएगा। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 2016 में घाटी में हालात सामान्य होने में तीन महीने लग गए और 47 से अधिक लोग मारे गए थे, लेकिन इस बार एक भी व्यक्ति की जान नहीं गई है। हम कोर्ट को यह आश्वासन देते हैं कि कुछ ही दिनों में घाटी में सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी।
इससे पहले कोर्ट ने कश्मीर टाइम्स की एक्जीक्यूटिव एडिटर अनुराधा भसीन की अर्जी पर भी जल्द सुनवाई करने पर विचार करने को कहा। अनुराधा भसीन ने याचिका दाखिल कर अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद पत्रकारों पर लगाए गए नियंत्रण समाप्त करने की मांग की है।
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तहसीन पूनावाला की याचिका में जम्मू-कश्मीर में कर्फ्यू और प्रतिबंध हटाए जाने और मोबाइल व इंटरनेट सेवाएं बहाल करने की मांग की गई है, साथ ही याचिका में हिरासत में लिये गए नेताओं को तत्काल रिहा करने की भी मांग की गई है। गुरुवार को इस याचिका पर कोर्ट से जल्दी सुनवाई मांगी गई थी जिस पर कोर्ट ने मामले को अगले सप्ताह सुनवाई पर लगाए जाने के लिए मुख्य न्यायाधीश के सामने पेश करने का आदेश दिया था।याचिका दाखिल करने वालों में नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के सांसद मोहम्मद अकबर लोन और हसनैन मसूदी भी हैं। उनकी याचिकाओं में जम्मू-कश्मीर विधानसभा की सिफारिश के बगैर अनुच्छेद 370 को खत्म करने को गलत बताया गया है और राष्ट्रपति का आदेश रद करने की मांग की गई है। दो वकीलों ने भी इस बारे में याचिकाएं दाखिल की हैं।