23 अगस्त 2019, शुक्रवार : जन्माष्टमी व्रत और पूजा

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इस वर्ष को स्मार्त लोग और 24 अगस्त 2019

शनिवार को वैष्णव लोग इस व्रत को करेंगे।इस बार दिनाँक 23 अगस्त 2019,
शुक्रवार को सप्तमी तिथि प्रातः 8.09 बजे तक रहेगी,
पश्चात अष्टमी तिथि प्रारम्भ होगी जोकि 24 अगस्त 2019,
शनिवार को प्रातः 8.32 बजे तक रहेगी।
इसी तरह रोहिणी नक्षत्र 24 अगस्त 2019 को सूर्योदय से पूर्व प्रारम्भ होकर 25 अगस्त को सूर्योदय से पूर्व ही समाप्त हो जाएगा।
इस वर्ष दिनाँक 23 अगस्त,शुक्रवार को मध्यरात्रि में अष्टमी तिथि रहेगी परंतु सूर्योदय के समय सप्तमी तिथि है और रात्रि में रोहिणी नक्षत्र नहीं है
अगले दिन 24 अगस्त को सूर्योदय के समय अष्टमी तिथि है,
रोहिणी नक्षत्र है,परंतु मध्यरात्रि में अष्टमी तिथि न होकर नवमी तिथि है परंतु रोहिणी नक्षत्र है।
इसीलिए लोकोचार रूप से 23 अगस्त को स्मार्त लोग और 24 अगस्त को वैष्णव लोग जन्माष्टमी व्रत करेंगे।

कैसे करें जन्माष्टमी व्रत और पूजा

जन्माष्टमी के दिन प्रातः स्नानादि के उपरांत श्रीकृष्ण भगवान के लिए व्रत करने,
उपवास करने एवं भक्ति करने का संकल्प लेना चाहिए।
(अपनी मनोकामनाओं की सिद्दियों के लिए जन्माष्टमी व्रत करने का संकल्प)
तदोपरांत चौकी पर लाल अथवा पीला वस्त्र बिछाकर कलश पर आम के पत्ते या नारियल स्थापित करें एवं कलश पर स्वास्तिक का चिन्ह भी बनाएं।
इन आम के पत्तों से वातावरण शुद्द एवं नारियल से वातावरण पूर्ण होता है।
पूर्व या उत्तर की ओर मुहँ करके बैठें,
एक थाली में कुमकुम,चंदन,अक्षत,पुष्प,तुलसी दल,मौली,कलावा रख लें।खोये का प्रसाद,ऋतु फल,माखन मिश्री ले लें
और चौकी के दाहिनी ओर घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें,
इसके पश्चात वासुदेव-देवकी,एवं नंद यशोदा की पूजा अर्चना करें,
इसके पश्चात दिन में व्रत करने के उपरांत रात्रि 8 बजे पुनः पूजा आरम्भ करें
और एक खीरे को काटकर उसमे श्रीकृष्ण का विग्रह रूप स्थापित करें अथार्त श्रीकृष्ण अपनी माँ के गर्भ में हैं।
इसके बाद लगभग रात्रि 10 बजे विग्रह अथवा लड्डू गोपाल को खीरे से निकाल कर पंचामृत से उसका अभिषेक करें।
पंचामृत में विधमान दूध से वंश वृद्धि ,दही से स्वास्थ्य, घी से समृद्धि ,शहद से मधुरता, बूरा से परोपकार की भावना एवं गंगाजल से भक्ति की भावना प्राप्त होती है।
श्रीकृष्ण को पंचामृत का अभिषेक शंख से करने से कई गुणा फल प्राप्त होता है।
इसके बाद तीसरे चरण की पूजा रात्रि 12 बजे आरम्भ करें,क्योंकि श्रीकृष्ण जी का इस धरती पर प्राकट्य रात्रि 12 बजे हुआ था।
इसके बाद इस समय भगवान श्रीकृष्ण का नीराजन 11 अथवा 12 बत्तियों के दीपक से करें।
जन्माष्टमी को भगवान बाल कृष्ण की पूजा के समय ‘ॐ श्रियै नमः’ ‘ॐ वासुदेवाय नमः’,’ॐ देवकयं नमः’,
‘ॐ नंदाय नमः’,’ॐ यशोदाय नमः’,’ॐ बलभद्राय नमः’,’ॐ चण्डिके नमः’ आदि मंत्र कहकर प्रणाम करें।
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अभीष्ट सिद्धि प्राप्ति का दिन है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

जिन व्यक्तियों को अचानक दुर्घटनाओं की संभावना रहती है, वह श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन अथवा विपरीत परिस्थितियों में निम्न मंत्र का स्मरण करें लाभ मिलेगा।

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