अभिनवगुप्त संस्थान का पुराना भवन बगैर अनुमति ढहा दिया

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लविवि कुलसचिव ने जताई आपत्ति, निर्माण विभाग से मांगा जवाब
लखनऊ विश्वविद्यालय में बगैर अनुमति अभिनवगुप्त संस्थान का पुराना भवन ढहा दिया गया है।
इस पर कुलसचिव ने आपत्ति जताते हुए निर्माण विभाग को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।
विवि के लाल बहादुर शास्त्री छात्रावास के सामने स्थित भवन के ठीक बगल में अभिनव गुप्ता शोध संस्थान के लिए नया भवन भी बन रहा है।
योजना के तहत पुराने भवन को भी इसका हिस्सा होना था। इसे भवन में मिलाने केबजाय ढहाकर वहां पर दोबारा निर्माण किया जा रहा है।
लववि को प्रदेश सरकार से अभिनवप्त शोध संस्थान के ढहाए गए भवन के जीर्णोद्धार के लिए 15 लाख तथा भवन विस्तार के लिए
दो करोड़ 96 लाख रुपये स्वीकृत हुए थे।
जून 2018 में नये भवन का शिलान्यास भी हो गया। इसका भवन बनकर लगभग तैयार है।
इसके पुराने भवन का जीर्णोद्धार करके इसे नये भवन में शामिल करने के बजाय ढहा दिया गया है।
कुलसचिव शैलेश शुक्ला के अनुसार विवि की सभी संपत्तियों का कुलसचिव कस्टोडियन है।
उसकी जानकारी के बिना भवन ढहाया जाना गलत है। इसलिए इसका जवाब मांगा जा रहा है।
वहीं विवि के निर्माण का तर्क है कि
यह भवन जर्जर था। इसकी मरम्मत नहीं की जा सकती थी।
ठेकेदार ने इसी राशि में इसे ढहाकर इसके स्थान पर नया निर्माण कर दिया है।
कॉमर्स भवन के नए तल पर आपत्ति
लविवि में न्यू कॉमर्स भवन के ऊपरी तल निर्माण पर डीन प्रो. सोमेश शुक्ला ने आपत्ति जताई है।
उनका कहना है कि पूर्व में इस भवन का इंजीनियर से परीक्षण कराये बिना अतिरिक्त निर्माण न कराने के लिए कहा गया है।
इसके बावजूद इस पर एक नया तल खड़ा कर दिया गया है।
इसी ब्लॉक का नामकरण अटल बिहारी बाजपेयी के नाम पर होना है।
इसके लिए छह सितंबर को मानव संसाधन विकास मंत्री के लखनऊ विवि के आने का कार्यक्रम भी तय हुआ है।
निदेशक समेत कई पदों पर होनी है भर्ती
अभिनव गुप्त संस्थान के भवन निर्माण के लिए 2.96 करोड़ रुपये की धनराशि के साथ ही आठ पद भी स्वीकृत हुए हैं।
इनमें एक पद प्रोफेसर-निदेशक का, दो पद असिस्टेंट प्रोफेसर के, एक पद रिसर्च फेलो, दो पद कर्मचारी, एक पद मल्टीटास्किंग और सफाई कर्मचारी का है।
शोधपीठ में पुरोहित, तंत्र, संस्कृत साहित्य, कला और संगीत पर आधारित डिप्लोमा
और सर्टिफिकेट पाठ्यक्रमों का संचालन होना है।
अभिनवगुप्त तंत्र, संस्कृत साहित्य, कला और संगीत के प्रकांड विद्वान थे।
इस शोधपीठ में उनके द्वारा लिखे गए ग्रंथों पर शोध कार्य किया जाएगा।

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