सिक्योरिटी के नाम पर उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन उपभोक्ताओं से वसूल रहे हैं 200 करोड़ रुपये

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उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन बिजली उपभोक्ताओं को झटके पर झटके देने में लगा है।
बिजली दर बढ़ोतरी के साथ ही उपभोक्ताओं को एडिशनल सिक्योरिटी जमा कराने के नोटिस भेजे जा रहे हैं।
5 किलोवाट और उससे ऊपर के लोड वाले उपभोक्ताओं से सालाना औसत बिल के आधार
पर दो महीने का बिल अतिरिक्त सिक्योरिटी के रूप में जमा कराया जा रहा है।
यूपीपीसीएल के इस फरमान की चपेट में पीवीवीएनएल के भी करीब 5 लाख उपभोक्ता आ रहे हैं।
औसत बिल के आधार पर करीब चार हजार अतिरिक्त सिक्योरिटी के हिसाब से
200 करोड़ रुपये की वसूली होने जा रही है।
इनमें शहर के 40 हजार उपभोक्ता भी शामिल हैं।

केस नंबर एक-

थापरनगर निवासी भानू बत्रा के पास विभाग ने उनके 9 किलोवाट कनेक्शन पर
पांच हजार रुपये अतिरिक्त सिक्योरिटी जमा कराने का नोटिस भेजा था।
ऐसा न करने पर कनेक्शन काटे जाने की चेतावनी दी गई है।
बत्रा ऑफिस गए तो बताया कि विद्युत आपूर्ति संहिता 2005 के तहत ऐसा किया जा रहा है।
एक्ट के अनुसार अब उपभोक्ताओं से सालाना औसत बिल की गणना कर दो महीने का
बिल अतिरिक्त सिक्योरिटी के रूप में जमा कराया जा रहा है।
मान लो किसी उपभोक्ता का सालाना औसत बिल यदि 3000 रुपये प्रतिमाह आ रहा है
तो दो महीने के हिसाब से 6000 रुपये अतिरिक्त देने होंगे।
हालांकि इस राशि में पहले जमा हुई सिक्योरिटी घटाई जा रही है।

केस नंबर दो-

गढ़ रोड स्थित व्यापारी श्यामलाल को भी पांच किलोवाट कनेक्शन पर औसत बिल के आधार
पर पांच हजार रुपये सिक्योरिटी जमा कराने का नोटिस भेजा गया है।
ऐसे ही कई मामले सामने आ रहे हैं।
अधिकारियों का कहना है कि अब तक 300 रुपये प्रति किलोवाट के हिसाब से सिक्योरिटी जमा कराई गई थी।
यदि किसी दो किलोवाट वाले उपभोक्ता का बिल एक हजार रुपये आया
और उसने बिल जमा नहीं किया तो विभाग के पास तो उसकी सिक्योरिटी 600 रुपये ही जमा है।
इससे विभाग को 400 रुपये का नुकसान होता है। लेकिन एक्ट अनुसार उसका दो महीने के बिल के हिसाब से
2000 हजार रुपये सिक्योरिटी जमा होने की स्थिति में विभाग को बिल न चुकाने की स्थिति में नुकसान नहीं होगा।
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बोले अधिकारी -नियम का किया जा रहा पालन

विद्युत आपूर्ति संहिता 2005 के अनुसार उपभोक्ताओं से उसके औसत बिल के आधार पर

दो महीने के बिल के बराबर सिक्योरिटी ली जानी होती है,
लेकिन पहले इसका पालन नहीं किया गया। अब इसका पालन करते हुए ही
अतिरिक्त सिक्योरिटी जमा कराई जा रही है।

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