भारत-नेपाल पाइपलाइन :पहला क्रॉस बॉर्डर पेट्रोलियम पाइपलाइन का हुआ उद्घाटन

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नई दिल्‍ली, एजेंसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने  मंगलवार को वीडियो
लिंक के जरिए संयुक्‍त रूप से भारत नेपाल (मोतिहारी-अमलेखगंज) पाइपलाइन का उद्घाटन किया।
दक्षिण एशिया का यह पहला क्रॉस बॉर्डर पेट्रोलियम पाइपलाइन है।
इस मौके पर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों देशों के बीच आपसी संबंध और सहयोग पर जोर दिया वहीं
नेपाल के प्रधानमंत्री के पी ओली ने भी प्रसन्‍नता जाहिर की।
फिलहाल भारत और नेपाल के बीच पेट्रोलियम उत्‍पादों का ट्रांसपोर्ट 1973 में बनाए गए नियमों के आधार पर
ही हो रहा है।
नेपाल के प्रधानमंत्री ने भारत सरकार को कहा ‘धन्‍यवाद’
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने कहा, ‘भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के साथ संयुक्‍त तौर पर
पाइपलाइन उद्घाटन करते हुए खुशी हो रही है।
मेरे मित्र मोदी जी और भारत सरकार को धन्‍यवाद।’
साथ ही उन्‍होंने इस परियोजना में शामिल नेपाल की टीम को भी बधाई दी और कहा, ‘ मोदी जी का सबका
साथ, सबका का विकास, सबका विश्वास और मेरा समृद्ध नेपाल, सुखी नेपाली के लिए हमारी प्रतिबद्धता और
प्रयास से हमारे देशों में विकास होगा।’
आपसी सहयोग से महत्‍वपूर्ण द्विपक्षीय परियोजनाएं हुई पूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल व भारत के आपसी सहयोग को रेखांकित करते हुए कहा कि यह पाइपलाइन
समय से पहले पूरा हो गया।
उन्‍होंने कहा, ‘यह बहुत संतोष का विषय है कि दक्षिण एशिया की यह पहली क्रॉस-बॉर्डर पेट्रोलियम पाइपलाइन
रिकॉर्ड समय में पूरी हुई है।
जितनी अपेक्षा थी, उससे आधे समय में यह बन कर तैयार हुई।
इसका श्रेय नेपाल सरकार के सहयोग और हमारे संयुक्त प्रयासों को जाता है।’
उन्‍होंने आगे कहा, ‘पिछले पांच वर्षों में, हमने महत्वपूर्ण द्विपक्षीय परियोजनाओं को पूरा किया है और कई
अन्य नई परियोजनाओं के परिणाम जल्दी प्राप्त किए हैं।
पिछले साल हमने संयुक्त रूप से पशुपतिनाथ धर्मशाला और आईसीपी वीरगंज का उद्घाटन किया था।’
नेपाल के प्रति प्रधानमंत्री ने जताई भारत की प्रतिबद्धता-
इस मौके पर प्रसन्‍नता जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि हमारी संयुक्त
कोशिशों से दोनों देशों की द्विपक्षीय प्रगति हो रही है।
आज हम मोतिहारी-अमलेखगंज पाइप लाइन के संयुक्त उद्घाटन में भाग ले रहे हैं।’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों में राजनीतिक स्तर पर दोनों देशों के बीच काफी नजदीकी आई है
 हमारे बीच लगातार संपर्क बना रहा।
मुझे खुशी है कि हम अपने सहयोग के सभी क्षेत्रों में प्रगति कर रहे हैं।
मुझे उम्मीद है कि हम अपनी भागीदारी को और व्यापक बनाने तथा विविध क्षेत्रों में अपनी साझेदारी को और
बढ़ाने के लिए तेजी से आगे बढ़ेंगे।
नेपाल की प्राथमिकताओं के अनुसार उसके विकास में सहयोग के लिए भारत के कमिटमेंट को मैं फिर दोहराना
चाहता हूं। आपका ‘धेरै-धेरै’ धन्यवाद।’
बरौनी रिफाइनरी से नेपाल जाएगा ईंधन-
बिहार के बेगूसराय जिले में बरौनी रिफाइनरी से दक्षिण पूर्व नेपाल के अमालेखगंज तक जाने वाले पाइपलाइन
से ईंधन का ट्रांसपोर्ट किया जाएगा।
नेपाल ऑयल कार्पोरेशन (NOC) के प्रवक्‍ता बिरेंद्र गोइत के अनुसार, 69 किमी लंबे पाइपलाइन के आ जाने से
भारत से नेपाल के बीच ईंधन के ट्रांसपोर्ट पर खर्च में काफी कमी आएगी।
बता दें कि अमालेखगंज पूर्वी चंपारण जिले के रक्‍सौल सीमा पर स्‍थित है।
अमालेखगंज ईंधन डिपो की भंडारण क्षमता 16,000 किलोलीटर पेट्रोलियम उत्‍पादों की हो जाएगी।
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पहली बार 1996 में प्रस्‍ताव आया था-
इस पाइपलाइन परियोजना का प्रस्‍ताव वर्ष 1996 में पहली बार पेश किया गया था
लेकिन इसकी प्रक्रिया काफी धीमी थी।
2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेपाल दौरे के बाद इसमें गति आई।
इसके बाद 2015 में दोनों देशों के सरकारों ने परियोजना के लिए एक समझौते पर हस्‍ताक्षर किया।
हालांकि नेपाल के साथ राजनीतिक तनाव से इस परियोजना में थोड़ी रुकावट आई।
2017 में राज्‍य संचालित इंडियन ऑयल कार्पोरेशन (IOC) ने पेट्रोलियम ट्रेड एग्रीमेंट पर हस्‍ताक्षर किया,
जिसके अनुसार हर साल करीब 1.3 मिलियन टन ईंधन नेपाल भेजा जाएगा और 2020 तक इसे दोगुना कर
दिया जाएगा।
जुलाई में दोनों देशों ने सफलतापूर्वक ऑयल पाइपलाइन के जरिए ट्रांसफर का परीक्षण भी किया था।
इस परियोजना के फायदे-
शुरुआत में इस परियोजना की लागत का आकलन 275 करोड़ रुपये किया गया था
जिसमें से भारत को 200 करोड़ रुपये का खर्च वहन करना था।
इसके बाद NOC ने बताया कि परियोजना की कुल लागत बढ़ गई है
और करीब 325 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। NOC डिप्‍टी एक्‍जीक्‍यूटिव डायरेक्‍टर सुशील भट्टाराई ने कहा,
‘सीमा पार ईंधन परियोजना के कॉमर्शियल ऑपरेशन ईंधन में कम से कम करीब एक रुपये प्रति लीटर कीमत
कम जाएगी।’

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