नई दिल्ली : निजी बिल्डर के नाम से पंजीकृत सरकारी गाड़ी, गंभीर आरोप लगाते हुए विपक्ष ने घेरा

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नई दिल्ली। उत्तरी दिल्ली नगर निगम (North Delhi Municipal corporation) के महापौर अवतार सिंह की नई गाड़ी को लेकर विवाद हो गया है।
दरअसल, महापौर जिस सरकारी गाड़ी का उपयोग कर रहे हैं, वह एक निजी बिल्डर के नाम से पंजीकृत है।
गाड़ी इसी वर्ष मई माह में ही खरीदी गई है।
गाड़ी बिल्डर के नाम से पंजीकृत होने का मामला सामने आने पर महापौर विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं।
मामला खुलासा होने पर विपक्ष ने संबंधित बिल्डर को फायदा पहुंचाने के नाम गाड़ी लेने का आरोप तक लगा दिया है।
हालांकि इस पर निगमायुक्त वर्षा जोशी का कहना है यह प्रोजेक्ट की गाड़ी है। निगम ने यह गाड़ी खरीदी नहीं है।
विपक्ष के नेता सुरजीत पंवार ने निगम के इस दावे पर भी सवाल उठाए हैं। सुरजीत पंवार का कहना है कि
अगर यह गाड़ी प्रोजेक्ट के नाम पर भी ली है, तो निगम के इंजीनियरों व अन्य अधिकारियों के लिए है।
महापौर का इस गाड़ी का उपयोग करना और उस गाड़ी पर महापौर का बोर्ड लगवाना उचित नहीं हो सकता।
यह सीधे-सीधे उस कंपनी से लाभ का मामला बनता है, जिससे यह ली है।
उन्होंने कहा कि महापौर बनने से पहले अवतार सिंह स्कूटर पर घूमा करते थे और अब उन्हें छोटी गाड़ी रास नहीं आ रही है।
बिल्डर के नाम से पंजीकृत गाड़ी को लेकर घूमना निगम की छवि को खराब करता है और इस ओर इशारा करता है
कि गाड़ी के बदले संबंधित व्यक्ति को कोई न कोई लाभ पहुंचाया गया है।
अगर यह गाड़ी प्रोजेक्ट पर भी ली गई हैं
तो संबंधित विभाग या अधिकारी के नाम से यह गाड़ी होनी चाहिए थी।
वहीं स्थायी समिति के अध्यक्ष जय प्रकाश का कहना है
कि महापौर को ऐसा नहीं करना चाहिए। यह सही नहीं ठहराया जा सकता।
उत्तरी और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के महापौर के पास पहले सियाज गाड़ी थी।
लेकिन पिछले दिनों ही उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर को होंडा की सीआरवी गाड़ी थी गई है,
जबकि सियाज गाड़ी की कीमत 7-9 लाख के बीच में होती है और सीआरवी 28-32 लाख की है।
मुकेश गोयल (नेता कांग्रेस दल) का कहना है कि महापौर द्वारा प्रोजेक्ट की गाड़ी लेना गलत है।
यह गाड़ी प्रोजेक्ट के निरीक्षण के लिए और महापौर पूरी दिल्ली का निरीक्षण इसी गाड़ी से कर रहे हैं।
वहीं, अवतार सिंह (महापौर, उत्तरी दिल्ली नगर निगम) ने सफाई दी है
कि मुझे जो गाड़ी निगम ने दी मैं तो उसी गाड़ी का उपयोग कर रहा हूं।
अब अधिकारी बताएंगे कि यह गाड़ी किसके नाम से पंजीकृत हैं?

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