कांग्रेस पार्टी का अकाउंट डिपार्टमेंट आया ईडी के निशाने पर, मुसीबत बढ़ रही है

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कांग्रेस पार्टी की मुसीबत घटने का नाम नहीं ले रही है। अब पार्टी का अकाउंट डिपार्टमेंट ईडी के निशाने पर आ गया है।
चार-पांच दिन पहले ईडी के अफसरों ने विभाग के करीब कर्मियों के साथ पूछताछ की।
इससे कर्मचारियों में खलबली मची हुई है।
पार्टी के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल हैं। पटेल भी मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद इस तरह के हालात से परेशान हैं।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमल नाथ को लेकर भी तरह-तरह की चर्चा जोर पकड़ रही है।

बताते हैं इसकी आंच पार्टी के मीडिया विभाग की तरफ भी बढ़ रही है।
मीडिया विभाग के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला के कामकाज को लेकर भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में खिन्नता बढ़ने लगी है।
सूचना तो यह है कि एक दिन खुद अहमद पटेल को ही कदम उठाना पड़ा।
वह मीडिया विभाग के दफ्तर में जाकर कुछ सचिव स्तर के कर्मचारियों की क्लास तक लगा आए।
दिल्ली, झारखंड में भाजपा
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और कार्यवाहक अध्यक्ष जेपी नड्डा की अग्निपरीक्षा है।
हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों को लेकर पार्टी आश्वस्त है।
इसके बाद दिल्ली, झारखंड और बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को बिहार में बड़ी समस्या नहीं दिखाई दे रही है।
झारखंड में थोड़ी मुश्किल हो सकती है,
लेकिन दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित के निधन के बाद से ही भाजपा की परेशानी बढ़ गई है।
कांग्रेस ने अभी तक अध्यक्ष पद पर चेहरा नहीं उतारा है।
इससे जहां आम आदमी पार्टी को संजीवनी मिल रही है, वहीं भाजपा की मुश्किलें बढ़ रही हैं।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह चाहते हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा की सरकार बननी चाहिए।
इसके लिए पार्टी के सभी सांसद, पार्षद, पदाधिकारी, कार्यकर्ता जी-तोड़ काम कर रहे हैं।
बताते हैं शाह के बूथ स्तर तक की तैयारी की काट खोजने में आम आदमी पार्टी का भी जवाब नहीं है।
ऐसे में दिल्ली विधानसभा चुनाव की लड़ाई काफी दिलचस्प होने वाली है।
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बूढ़ों की ताजपोशी और युवाओं को संघर्ष 
भाजपा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की नीतियों ने एक झटके में युवा बना दिया।
पांच साल के भीतर भाजपा का कायाकल्प हो गया है।
जवाब में मुख्य विपक्षी पार्टी बिल्कुल उल्टी राह पर है।
युवा राहुल गांधी इस्तीफा देकर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष बन गए हैं।
वरिष्ठ सोनिया गांधी ने हाथ में कमान ले ली है।
नतीजतन पार्टी अब युवाओं को संघर्ष का रास्ता दिखाकर वरिष्ठों की पीठ पर बोझ डालने के रास्ते पर चल पड़ी है।
जल्द ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की टीम कांग्रेस पार्टी की कमान संभाल सकती है।
कुछ पुराने नेताओं को उनकी कुर्सी देने की तैयारी चल रही है।

वहीं राहुल गांधी के दौर में पार्टी पॉवर का मजा ले चुके नेता अब हालात को नहीं समझ पा रहे हैं।

लिहाजा कुछ कांग्रेस छोड़कर भाग रहे हैं, तो कुछ निराश होकर कुर्ते की चढ़ी बांह उतार रहे हैं।
बताते हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया,
सचिन पायलट से लेकर मिलिंद देवड़ा तक आगे की राह में अंधेरा महसूस कर रहे हैं।
आरपीएन सिंह, सुष्मिता देव, मीनाक्षी नटराजन, गौरव गोगोई, राजबब्बर समेत अन्य तेल और तेल की धार देख रहे हैं।
इन सबके बीच मनीष तिवारी की उम्मीद थोड़ा पंख लगा रही है।
अखिलेश ठीक कर रहे हैं साइकिल का पैडल
समाजवादी पार्टी की साइकिल ट्रैक से उतर गई है।
पार्टी के एक नेता का कहना है कि पिछले विधानसभा चुनाव और फिर लोक सभा चुनाव में उनके अध्यक्ष जी (अखिलेश यादव) ने जमकर पैडल मारा,
लेकिन सफलता नहीं मिली। अब सब ठीक हो रहा है।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव सब ठीक कर रहे हैं।
पार्टी के भीतर भी और परिवार के भीतर भी।
समाजवादी पार्टी के एक विधायक का कहना है कि
सत्ता से हटने के बाद अब वह अपने, परायों का फर्क जान पाए हैं।
इसलिए दोनों के बीच में तालमेल बिठाकर राजनीतिक उद्देश्य पूरा करते दिखाई दे रहे हैं।
बताते हैं समाजवादी पार्टी की सारी तैयारी 2022 के लिए हो रही है।
क्योंकि उ.प्र. में अब समाजवादी पार्टी की सरकार बनवानी है।
लालू के लाल हैं बेहाल
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद याद के दो लाल हैं। तेज प्रताप और तेजस्वी और दोनों ही बेहाल हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री और पत्नी राबड़ी देवी सब देख रही हैं।
राजनीतिक और पारिवारिक चुनौतियां दोनों, लेकिन वह भी बेहाल हैं।
तेज प्रताप कभी भोले नाथ बन जाते हैं। वहीं तेजस्वी को दिल्ली से लेकर पटना और गायब रहने का रोग लग गया है।
तेजस्वी राम विलास पासवान के पुत्र चिराग के भी करीबी हैं।
ऐसे में लालू के शुभ चिंतक नेता भी बेहाल हैं।
रघुवंश बाबू से लेकर शिवानंद तक। उनकी परेशानी दूसरी है।
क्योंकि बिहार का मुख्य विपक्षी दल राजद है।
कोई भी महागठबंधन बिना राजद के सत्ता का सपना भी नहीं देख सकता।
लेकिन राजद ही अभी तक अपनी लाइन, लेंथ तय नहीं कर पा रहा है।
बताते हैं इसकी भी वजह लालू के बेहाल दो लाल ही हैं।
एक उत्तर भाग रहा है तो दूसरा दक्षिण में छिपा जा रहा है।
ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास मुस्कराने के सिवा कोई चारा नहीं है।
अनुभव में कम, छत्तीसगढ़ के बघेल में है दम
बड़ी मुश्किल से भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के सीएम बन पाए थे।
लेकिन कामकाज से अपने राज्य की जनता से लेकर 24 अकबर रोड तक का दिल जीत रहे हैं।
बताते हैं निपटाने में माहिर भूपेश बघेल राजनीति की अच्छी पारी खेल रहे हैं।
धीरे-धीरे छत्तीसगढ़ से अपने नेता को लेकर आने वाली शिकायतें तेजी से घट गई हैं।
बघेल के कुछ कदमों से कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी खुश हैं। न केवल बघेल युवा हैं,
बल्कि सबसे कम अनुभवी भी हैं।

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