जम्मू कश्मीर की संतो देवी आतंकियों पर टूट पड़ीं, एक को जिंदा दबोचा, ढेर किये दो

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श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र लावेपुरा में बुधवार को आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में सीआरपीएफ की 73वीं बटालियन की सेकेंड इंचार्ज संतो देवी दहशतगर्दों पर लेडी सिंघम बनकर टूट पडीं।
उनके नेतृत्व में टीम ने दो आतंकियों को मार गिराया जबकि तीसरे को घायल अवस्था में गिरफ्तार कर लिया।
जबकि सीआरपीएफ का एक जवान शहीद हो गया।
श्रीनगर से करीब 17 किलोमीटर दूर स्थित घटना स्थल पर मौजूद इस जांबाज महिला अधिकारी संतो देवी ने अमर उजाला के साथ बात करते हुए बताया कि यहां पर हमारी 73 बटालियन का नाका था।
हमें इनपुट थे कि कुछ आतंकी बारामुला से इधर घुस सकते हैं।

 

नाके पर एक स्कूटी पर तीन लोग बिना हेलमेट के आते दिखे,
उन्हें जब रोका गया तो फायरिंग शुरू कर दी।
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इसमें हमारा एक जवान रमेश रंजन सिर में गोली लगने के चलते शहीद हो गया।
फायरिंग होते ही हमने मोर्चा संभाल लिया।
जवाबी फायरिंग में स्कूटी चला रहा आतंकी गंभीर रूप से घायल हो गया
जबकि दो मौके पर ही मारे। घायल आतंकी को भी हमारी पार्टी के जवानों ने थोड़ी दूर पर पकड़ लिया और अस्पताल ले गए।
बताया जाता है कि संतो देवी ने जवानों के साथ बीच सड़क पर मोर्चा संभाल लिया था।
संतो देवी हरियाणा की रहने वाली है और पिछले 33 वर्षों से सीआरपीएफ में सेवारत हैं।
संतो देवी के अनुसार इस पूरे ऑपरेशन को शुरू और खत्म होने मे बस दस मिनट का समय लगा।
लेकिन यह उनकी जिंदगी का सबसे कठिन ऑपरेशन रहा।
रामलला परिसर में भी दिखा चुकी हैं शौर्य
संतो देवी इससे पहले भी शौर्य का प्रदर्शन कर चुकी है।
वर्ष 2005 में आयोध्या में रामलला परिसर पर हुए आतंकी हमले को विफल करने वाली टीम का भी यह महिला अधिकारी हिस्सा रह चुकी हैं।
टास्क पूरा करने पर गर्व
मगर उन्हें गर्व है कि जो टास्क दिया गया था उन्होंने उसे भरपूर निभाया
और आतंकियों के मंसूबों पर पानी फेर दिया।
वहीं सीआरपीएफ के सभी बड़े अधिकारीयों ने इस टीम को इस ऑपेरशन के लिए शाबाशी भी दी है।

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