भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने दिल्ली में निकाली आरक्षण बचाओ रैली और किया आह्वान 23 को भारत बंद के लिए

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भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में मंडी हाउस से संसद तक आरक्षण बचाओ रैली निकाली गई।
भारी पुलिस इंतजाम के बीच निकाली गई इस रैली को जंतर-मंतर पर ही रोक लिया गया।
इस रैली में सैकड़ों लोग शामिल थे,
Bhim army chief
जिसमें सीएए, एनआरसी और एनपीआर के प्रदर्शनकारी,
सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कानूनी पक्षकार अधिवक्ता महमूद पराचा,
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में विवादित बयान देने के बाद रासुका के तहत जेल में बंद बहुचर्चित डॉक्टर कफील अहमद खान की पत्नी सविस्ता खान समेत तमाम अन्य लोग भी शामिल थे।

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यह रैली में शामिल लोग दोपहर करीब 1 बजे मंडी हाउस से बाराखंबा रोड पर चले।
रोड के बाईं ओर प्रदर्शन में शामिल लोग,
उनके साथ-साथ भारी संख्या में दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बल भी चल रहे थे।
आगे मैक्सम्यूलर मार्ग होते हुए रैली जंतर-मंतर पहुंची,
Bhim army chief
जिसे आगे संसद मार्ग पर जाना था,
लेकिन पुलिस ने बैरीकेटिंग लगाकर रैली को वहीं पर रोक दिया।
हालांकि तुरंत ही भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने आगे बढ़कर माइक संभाला,
लोगों को शांत होकर सुनने का आह्वान किया।

Bhim army chief

चंद्रशेखर आजाद ने कोर्ट के फैसले के विरोध में 23 फरवरी को भारत बंद का आह्वान किया है।
चंद्रशेखर ने कहा कि अति पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, जनजाति व अल्पसंख्यक वर्ग के लोग भी भारत बंद के समर्थन में घर से बाहर निकलें।
ताकि सरकार को बताया जा सके कि देश बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान के अनुसार चलेगा।

Bheem army chief

चंद्रशेखर ने कहा कि पिछली बार आरक्षण बचाने के लिए केवल दलित सड़कों पर उतरे थे,
अबकी बार ऐसा नहीं होगा। केवल सरकारी ही नहीं प्राइवेट नौकरियों में भी अब आरक्षण लेंगे।
देश को सोने की चिड़िया बनाने के लिए देश की बागडोर पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समाज के लोगों के हाथ में देनी होगी,
बिना आरक्षण यह संभव नहीं है।
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पिछड़ा समाज विरोधी सोच वाली केन्द्र सरकार और उसके इशारे पर चलने वाले कोर्ट में बैठे लोग आरक्षण व्यवस्था को समाप्त करना चाहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट मानता है कि प्रमोशन में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है,
लेकिन वह आरक्षण पर आंच तक नहीं आने देंगे।
पिछड़ा समाज विरोधी सोच वाली केन्द्र सरकार
और उसके इशारे पर चलने वाले कोर्ट में बैठे लोग आरक्षण व्यवस्था को समाप्त करना चाहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट मानता है कि प्रमोशन में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है,
लेकिन वह आरक्षण पर आंच तक नहीं आने देंगे।

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