त्रेता युग से कलियुग तक बौद्ध तीर्थ स्थल ‘संकिसा’ का स्वर्णिम इतिहास

0

फर्रुखाबाद– जनपद का बौद्ध  तीर्थ स्थल त्रेता व द्वापर युग में वर्णित “संकाश्य” नगर जो बाद में “संकिसा” के नाम से प्रचिलित हुआ,

त्रेता युग में राजा जनक व उनके भाई कुशध्वज एवं द्वापर युग में राजा द्रुपद का यहां शासन रहा,
एटा-मैनपुरी-फर्रुखाबाद की त्रि-जनपदीय सीमा पर स्थित एक अति प्राचीन नगर जो बाद में बौद्ध तीर्थ स्थल के रूप में विख्यात हुआ, त्रेता युग में सांकाश्य नरेश “सुधन्व”‘ ने राजा जनक की राजधानी मिथिला पर आक्रमण किया था,

God budh

बाद में राजा जनक ने संकाश्य/संकिसा के राजा सुधन्व को हराकर अपने भाई कुशध्वज को यहां का राजा बना दिया था,

“कस्यचित्त्वथ कालस्य सांकाश्यादागत: पुरात्,
सुधन्व्रा वीर्यवान् राजा मिथिलामवरोधक:।
निहत्य तं मुनिश्रेष्ठ सुधन्वानं नराधिपम् सांकाश्ये भ्रातरं शूरमभ्यषिञ्चं कुशध्वजम्।”

कालखंड में संकाश्य/संकिसा काली नदी के तट पर सनातन धर्म के लोगों ने एक दुर्ग का निर्माण कराया था, इस दुर्ग/किले पर मां विसहरी देवी का मंदिर आज भी मौजूद है, संकाश्य और शाक्य शब्द में काफी समानता है- यहां आसपास के क्षेत्र में शाक्य वंश की बहुतायत है,
बौद्ध अनुश्रुति के अनुसार यह वही स्थान है, जहाँ भगवान बुद्ध जो कि इन्द्र एवं ब्रह्मा सहित स्वर्ण रत्न की सीढ़ियों से त्रयस्तृन्सा स्वर्ग से पृथ्वी पर आये थे,
इस प्रकार गौतम बुद्ध के समय में भी यह एक ख्याति प्राप्त नगर था,
वर्तमान में यहां कंबोडिया, म्यामांर, श्रीलंका, कोरिया आदि बौद्ध धर्म प्रधान राष्ट्रों के मंदिर मौजूद हैं,
हर दिन सैकड़ों की तादात में देशी/विदेशी श्रद्धालु/पर्यटक यहां आते जाते हैं, यहां के मंदिरों में बौद्ध वास्तुकला का अदभुत प्रदर्शन देखने को मिलता है ।

अमित तिवारी ब्यूरो चीफ राष्ट्रीय जजमेंट -की रिपोर्ट

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More