मध्यप्रदेश में उपचुनाव तय करेंगे, सरकार किसकी होगी

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भोपाल। मध्यप्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर आगामी दिनों में होने वाले उपचुनाव की तैयारियों को लेकर चुनाव आयोग ने कलेक्टरों को पत्र लिखा है। वहीं भाजपा ने उप चुनावों की अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं।
इसको लेकर अलग अलग बैठकें भी होने लगीं हैं। भाजपा के लिए तैयारियां ज्यादा कठिन नहीं हैं, इसकी वजह ये है कि ज्यादातर विधानसभाओं में उसके प्रत्याशी तय हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा की प्रत्याशियों की सूची में अधिकांश ऐसे नाम होंगे जो (विधायक) हाल ही में कांग्रेस से इस्तीफा देकर आए हैं।
हालांकि इसमें एक-दो अपवाद जरूर हो सकते हैं, जिन्होंने चुनाव लडऩे से मना कर दिया है। आगर मालवा और जौरा विधानसभा सीटों के लिए जरूर भाजपा को नए उम्मीदवार खोजना होंगे,
क्योंकि इन दोनों सीटों पर उप चुनाव विधायकों के निधन होने की वजह से हो रहे हैं।
उप चुनावों को लेकर यदि कांग्रेस की बात करें, तो उसे उम्मीदवार खोजने में ही कठिनाई आ रही है।
क्योंकि पहली बार ग्वालियर चंबल में कांग्रेस पार्टी सिंधिया के बिना चुनाव लड़ेगी। सिंधिया और भाजपा की चुनौती से कांग्रेस को लडऩा होगा।
इसी कारण भाजपा के कुछ प्रभावशाली नेताओं से कांग्रेस संपर्क कर रही है। 15 साल प्रदेश में शासन करने के बाद ग्वालियर चंबल अंचल ने ही चौथी बार भाजपा को सरकार बनाने में बैरिकेट्स लगा दिया था।
एक बार फिर ग्वालियर चंबल अंचल को तय करना है कि भोपाल में शिवराज सरकार रहेगी या फिर
कमलनाथ सरकार की वापसी होगी। क्योंकि उपचुनाव में अंचल की 14 विधानसभा सीटों पर चुनाव होना है। इनमें से 13 विधानसभा क्षेत्रों से चुने गए विधायकों के कारण ही कांग्रेस सरकार से बाहर हुई है।
इन उप चुनावों में कांग्रेस के सामने दोहरी चुनौती है। इसमें पहली महल से मुकाबला करना है, तो दूसरी उसके सामने भाजपा का बूथ तक मजबूत संगठन से मुकाबला करना है। इन चुनौतियों के बीच कांग्रेस जातीय समीकरणों में जीत की जुगत लगा रही है।
उपचुनावों के लिए जौरा विधानसभा क्षेत्र को छोडक़र भाजपा के उम्मीदवार तय हैं। विधायकी के साथ कांग्रेस से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हुए पूर्व विधायकों को ही चुनाव मैदान में उतारना करीब करीब तय है।
भाजपा के संभावित उम्मीदवारों ने चुनावी तैयारी शुरु कर दी है। जौरा से दिवंगत विधायक बनवारीलाल शर्मा के परिवार का झुकाव सिंधिया की तरफ होने से जौरा से उम्मीदवार तय करने को लेकर भाजपा व कांग्रेस दोनों पशोपेश में हैं।
भाजपा के सभी उम्मीदवार आयतित है। इस कारण से उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं के बीच सामंजस्य बैठाना पार्टी के सामने बड़ी चुनौती है।
इन विधानसभा क्षेत्रों से लंबे अरसे से काम कर रहे नेता भी इन उम्मीदवारों का ईमानदारी के साथ, साथ देंगे, या फिर औपचारिकता निभाएंगे।
भाजपा रणनीतिकारों ने शिवराज सरकार को बचाने के लिए केंद्रीय व प्रदेश नेतृत्व ने पूरी ताकत लगाने की तैयारी कर ली है।
ऐसा माना जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की संसदीय क्षेत्र का मुरैना जिला उपचुनाव में अहम फैसला करेगा।
ग्वालियर विधानसभा से सुनील शर्मा का नाम पहले नंबर पर है। परंतु, महल से जुड़े रहने के कारण राजा खेमा इन्हें पसंद नहीं कर रहा है। इसलिए संत कृपाल सिंह का नाम उछाल उछाला जा रहा है, जो कि दिग्विजय सिंह के नजदीकी है।
अशोक सिंह दिग्विजय सिंह के साथ कमलनाथ के नजदीकी भी है, लेकिन उपचुनाव में उनकी रुचि नहीं आ रही है। मितेंद्र सिंह दावेदारी कर रहे हैं, लेकिन अभी काग्रेस उन पर दांव लगाने के मूड में नजर नहीं आ रही है। पूर्व से बाहरी उम्मीदवार को लाने की भी चर्चा गलियारों में है।
डबरा विधानसभा- डबरा सीट का गणित समझ से परे है। यहां पर भाजपा की लहर में भी कांग्रेस का कब्जा रहा है। बदली हुई परिस्थितियों में सत्यप्रकाश परसेडिया के इकलौते नाम पर चर्चा चल रही है। पोहरी
विधानसभा – यहां से पूर्व मंत्री रामनिवास रावत का नाम है, लेकिन जातीय समीकरण के हिसाब से धाकड़ बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण रामनिवास रावत चुनाव लडऩे से पीछे हट रहे हैं।
रामनिवास रावत सिंधिया के नजदीकी रहे हैं। यहाँ से हरि बल्लभ शुक्ला के नाम पर भी विचार किया जा रहा है। जातीय गणित के हिसाब से धाकडों का पर भी कांग्रेस की नजर है।
मुरैना विधानसभा – यहाँ से दिनेश गुर्जर, राकेश मावई के नाम पर विचार किया जा रहा है। दिनेश गुर्जर कमलनाथ के नजदीकी हैं। यहाँ परशुराम मुद्गल को भी टटोला जा रहा है।
सुमावली- मानवेंद्र गांधी के नाम पर विचार किया जा रहा है, साथ ही कुशवाह उम्मीदवार की तलाश भी की जा रही है।
मेहगांव- पूर्व मंत्री राकेश सिंह चौधरी दावेदारी कर रहे हैं। यहां भी कांग्रेस को नए चेहरे की तलाश है। नया चेहरा तलाशने की जिम्मेदारी डॉक्टर गोविंद सिंह को सौंपी गई है। वहां सर्वे में पिछड़े वर्ग के राजेंद्र सिंह गुर्जर व राहुल सिंह भदोरिया का नाम भी सामने आया है।
गुर्जर व भदौरिया काफी समय से वहां सक्रिय हैं। इसी तरह दिमनी और अंबाह विधानसभाओं में भी काग्रेस वजनदार प्रत्याशी खोजने में लगी है। रविंद्र सिंह, सत्यप्रकाश शकवार का नाम भी चर्चा में है। गोहद विधानसभा से रामनारायण हिंडोलिया व मेवाराम जाटव के नाम की चर्चा है।
भांडेर से पूर्व विधायक फूल सिंह बरैया व कमलापति आर्य और पोहरी विधानसभा क्षेत्र से अशोक सिंह व हरि वल्लभ शुक्ला के नामों की चर्चा चल रही है।

हरि शंकर पाराशर (कटनी) की रिपोर्ट ✍️

 

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