नई दिल्ली- आरएसएस से जुड़े भारतीय मजदूर संघ ने देश के आठ सेक्टर के निजीकरण करने की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की घोषणाओं पर जोरदार विरोध जताया है। संघ ने वित्त मंत्री की घोषणाओं के लिहाज से शनिवार के दिन को देश के लिए दुखद करार दिया है।
बीएमएस ने कहा कि फेल विचारों से देश की अर्थव्यवस्था नहीं सुधरने वाली है। भारतीय मजदूर संघ ने चौथे दिन वित्त मंत्री की घोषणाओं से निराशा जताते हुए कहा कि संकट के समय सरकार के पास अर्थव्यवस्था के उद्धार के लिए उपयुक्त विचारों की कमी है।
कोयला, खनिज,रक्षा उत्पादन, हवाई क्षेत्र प्रबंधन, हवाई अड्डे, विद्युत वितरण, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा जैसे आठ सेक्टर को लेकर सरकार का कहना है कि निजीकरण के अलावा इसका कोई विकल्प नहीं है। यह सरकार के पास विचारों की कमी दशार्ता है।
बीएमएस ने कहा कि हर बदलाव का असर सबसे पहले कर्मचारियों पर पड़ता है। कर्मचारियों के लिए निजीकरण का अर्थ है बड़े पैमाने पर नौकरी का नुकसान, गुणवत्ता की नौकरियों का अभाव होना। मुनाफाखोरी और शोषण का शासन होगा। बिना किसी सामाजिक संवाद के सरकार परिवर्तन ला रही है। जबकि सामाजिक संवाद लोकतंत्र के लिए मौलिक है। सरकार को ट्रेड यूनियनों के साथ परामर्श और बातचीत करने में शर्म का अनुभव होता है।
बीएमएस ने कहा “हमने हाल ही में अनुभव किया है कि संकट काल में निजी खिलाड़ी और बाजार फ्लाप हो गए और हमारे सार्वजनिक क्षेत्रों ने ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।”
साथ ही कहा कि कोल सेक्टर के निजीकरण के लिए 50 हजार करोड़ आवंटित करना अत्यधिक आपत्तिजनक है। बाक्साइट और कोयला ब्लॉक सहित 500 खनन ब्लॉकों की नीलामी राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है।