देश में रेड लाइट एरिया को बंद करने से घट सकते हैं कोरोना के नए मामले सर्वे ?

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वैज्ञानिकों का कहना है कि जब तक कोरोना वायरस की वैक्सीन (टीका) न बन जाए तब तक भारत को सभी ‘रेड लाइट एरिया’ को बंद कर देना चाहिए। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर भारत ऐसा करता है तो कोरोना वायरस के मामलों के चरम (पीक) पर पहुंचने में 17 दिनों की देरी लाई जा सकती है। इसके अलावा कोविड-19 के अनुमानित नए मामलों में 72 प्रतिशत की कमी लाई जा सकती है।
मॉडलिंग अध्ययनों के आधार पर, अमेरिका के येल स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं का कहना है कि सेक्स वर्क के इन स्थानों को बंद करने से भारत में अनुमानित कोविड-19 की मृत्यु दर में 63 फीसदी की कमी हो सकती है।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बाद जब तक एक प्रभावी उपचार या वैक्सीन नहीं बन जाता, तब तक के लिए सभी रेड लाइट एरिया को बंद कर देना चाहिए, इससे भारतीयों में कोविड-19 बीमारी का खतरा बहुत हद तक कम हो जाएगा।
वैज्ञानिकों ने कहा कि अध्ययन का निष्कर्ष भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों के साथ साझा किया गया है।
उन्होंने लॉकडाउन के बाद भी रेड लाइट एरिया को बंद रखने की सरकार से सिफारिश की। वैज्ञानिकों का दावा है कि अगर सरकार की तरफ से यह फैसला लिया जाता है, तो इससे 45 दिनों में 72 फीसदी कोरोना वायरस के मामलों में कमी आएगी। वहीं, कोविड-19 को चरम स्तर पर पहुंचने से 17 और दिनों तक टाला जा सकता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस देरी से सरकार को तैयारी करने के लिए और अधिक समय मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस देरी से सरकार को जनता की सेहत और अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए उपाय करने का मौका मिलेगा।
अध्ययन में कहा गया है कि अगर लॉकडाउन के बाद रेड लाइट एरिया को बंद रखा जाता है तो शुरुआत के 60 दिनों में कोरोना वायरस से होने वाली मौतों में 63 फीसदी तक कमी लाई जा सकती है।
वैज्ञानिकों ने कहा कि राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (एनएसीओ) के मुताबिक देशभर में करीब 6,37,500 यौन कर्मी हैं। इससे करीब पांच लाख ग्राहक रोजाना रेड लाइट एरिया में आते हैं।
ANSHUL SHARMA

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