बस पर सियासत: राष्ट्रीय संकट की इस घड़ी झूठ-फरेब के आरोपों ने तोड़ दी पुरानी परिपाटी

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सीमा पर फंसे प्रवासियों को घर पहुंचाने की कांग्रेस की कोशिश पर तकरार बढ़ती जा रही है। लाखों प्रवासी मजदूरों की बेबसी पर ‘ बस ’ को लेकर शुरु हुयी राजनीति ने ‘ राष्ट्रीय संकट के वक्त हम एक हैं’ वाली परिपाटी को भी पीछे धकेल दिया है। सीमा पर फंसे प्रवासियों को घर पहुंचाने की मंशा पर कल से शुरु हुयी तकरार थोड़ी-थोड़ी देर मे नए-नए ट्विस्ट ले रही है।
कोरोना काल में बसों को लेकर छिड़ी प्रियंका बनाम योगी की इस जंग की सजा बेकसूर प्रवासी मजदूरों को कड़ी धूप में भूखे-प्यासे खड़े होकर करनी पड़ेगी। बहरहाल इस गंभीर मुद्दे पर तमाम किन्तु-परन्तु के बीच दोपहर को प्रियंका के निजी सचिव संदीप सिंह ने एक और पत्र लिखकर सरकार से दो टूक कह दिया है कि बसें राजस्थान और दिल्ली से आ रही हैं। दोबारा परमिट बनवाने का काम चल रहा है। उनका ये बसें शाम 5 बजे तक ये बसें गाजियाबाद और नोएडा बॉर्डर पहुंच जाएंगी।
दो दिनों से चली चिट्ठी -पत्री के दौर के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह ने राज्य के अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी को आज दोपहर एक और पत्र लिखा गया है। इसमें उन्होंने लिखा है, ‘आपका पत्र अभी 11.05 बजे मिला। इस संदर्भ में बताना चाहता हूं कि हमारी कुछ बसें राजस्थान से आ रही हैं और कुछ दिल्ली से, इनके लिए दोबारा परमिट दिलवाने की कार्रवाई जारी है। बसों की संख्या अधिक होने के नाते इसमें कुछ घंटे लगेंगे।
आपके आग्रह के अनुसार ये बसें गाजियाबाद और नोएडा बॉर्डर पर शाम 5 बजे पहुंच जाएंगीं। आपसे आग्रह है कि 5 बजे तक आप भी यात्रियों की लिस्ट और रूट मैप तैयार रखें, ताकि इनके संचालन में हमें कोई आपत्ति न आए। दरअसल कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने 16 मई को उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर कहा था कि वे अपने खर्च पर प्रवासी मजदूरों के लिए 1 हजार बसों का इंतजाम करना चाहती हैं और यह बसें उत्तर प्रदेश की सीमा पर खड़ी हैं।
कांग्रेस महासचिव ने योगी सरकार से इन बसों का मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति मांगी थी। इसके दो दिन बाद 18 मई की शाम को योगी सरकार ने बसों को चलाने की अनुमति दे दी। बात यही पर निपट जाती तो बहुत अच्छा होता पर इस घटनाक्रम में ट्विस्ट उस वक्त आया जब सरकार के अपर मुख्य सचिव(गृह) अवनीश अवस्थी ने प्रियंका गांधी को पत्र लिखकर कहा कि, “समस्त बसों सहित उनका फिटनेस सर्टिफिकेट एंव चालक के ड्राइविंग लाइसेंस के साथ ही परिचालक का विवरण सहित पूर्वांह यानी सुबह 10 बजे वृंदावन योजना में सेक्टर 15-16 में जिलाधिकारी लखनऊ को उपलब्ध कराने का कष्ट करें। जिलाधिकारी लखनऊ को तदानुसार अवगत करा दिया गया है।”
इस पत्र का जवाब प्रियंका के निजी सचिव संदीप सिंह ने रात में 2 बजे योगी सरकार को ब भेजा है। जवाब में लिखा है कि “आपका पत्र ईमेल से रात के 11.40 बजे मिला। इसमें सुबह 10 बजे तक बसों को लखनऊ में उपलब्ध कराने को कहा गया है। महोदय आप एक वरिष्ठ अधिकारी हैं और कोरोना संकट से वाकिफ हैं। ऐसे समय में जब प्रवासी सड़कों पर हैं, दिल्ली-गाजियाबाद और नोएडा पर मौजूद हैं, ऐसे समय में 1 हजार खाली बसों को लखनऊ भेजना न सिर्फ समय और संसाधन की बर्बादी है बल्कि हद दर्जे की अमानवीयता है और एक घोर गरीब विरोध मानसिकता की उपज है।
माफ कीजिएगा श्रीमान आपकी यह मांग राजनीति से प्रेरित लगती है और ऐसा लगता नहीं कि आपकी सरकार विपदा के मारे हमारे उत्तर प्रदेश के श्रमिक भाई बहनों की मदद करना चाहती है। इसके जवाब में सरकार की तरफ से मोर्चा संभालने आए मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने एक समाचार एजेंसी से कहा कि कांग्रेस की ओर से भेजी गई सूची की हमने शुरुआती जांच कराई है। यह पता चला है कि जिन बसों का विवरण भेजा गया है, उनमें से कई वाहन दोपहिया, ऑटो और माल ढोने वाली गाड़ियां हैं।
यह दुर्भाग्यपूर्ण हैं, सोनिया गांधी को जवाब देना चाहिए कि कांग्रेस इस तरह की धोखाधड़ी क्यों कर रही है। वहीं सिद्धार्थ नाथ सिंह के बयान पर पलट वार करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने सरकार पर राजनीति करने का आरोप लगाया है। लल्लू ने कहा, “सरकार लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर रही है। राजनीति करने के लिए जानबूझकर फर्जी नंबर गढ़े गए हैं। हमने बसों के नंबर दिए है। हम उन्हें सार्वजनिक कर सकते हैं, आप चाहे तो उन्हें सत्यापित करा सकते हैं।

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