यू .पी.- आखिर लुटेरों का भी दिल पसीजा, बिना लूटे की मजदूरों की मदद

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लॉकडाउन के कारण पैदल घर लौट हर मजदूरों का पीड़ा इतनी दर्दनाक है कि पत्थर दिलों का भी कलेजा पिघल जा रहा है. रास्ते में मजदूरों के साथ छीना-झपटी की भी वारदातें हो रही हैं. ताजा मामला आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे का है. जहां मुन्ना नामक एक मजदूर अपने तीन बच्चे और पत्नी के साथ पैदल ही घर लौट रहा था.
उसके पास न खाने को रोटी था और न कुछ खरीदने को पैसे. सुनसान एक्सप्रेस वे पर कुछ लूटेरे आ धमके लूटपाट करने. लूटेरों को मुन्ना के पास से कुछ नहीं मिला. जिसके बाद लूटेरे ने मुन्ना की आपबीती सुनी और उसका कलेजा ऐसा पिघला कि उसने मुन्ना को पांच हजार रूपए दिए जो उसने कुछ देर पहले किसी और राहगीर से लूटा था.
पुलिस के डंडे से ही पेट भर रहा था:
बता दें कि लखनऊ के पास किसी गांव का रहने वाला मुन्ना रोहतक, हरियाणा में रहकर एक फैक्ट्री में काम करता था. लॉकडाउन 3 से पहले तक थोड़ी बहुत जमापूँजी से गुजारा चल रहा था लेकिन लॉकडाउन 3 लागू होने के बाद दाने के लाले पर गए. जिसके बाद उसने पैदल ही अपने गाँव जाने का निर्णय किया. रास्ते में केले और बिस्किट बांटने वाले के सहारे ही पेट भर रहा था, फिर भी भूख बची रहती थी तो पुलिस के डंडे से पेट भर जाता था.
मथुरा के पास पत्नी बेहोस हो गई:
मुन्ना बताते हैं कि मथुरा के पास पत्नी की तबियत बिगड़ गई. हाथ-पैर ठंडे पड़ गए. बेहोश भी हो गई. हम भगवान से दुआ करने लगे कि हमें किसी भी अनहोनी से बचा लेना. हम अकेले घर नहीं जाएंगे. बीवी की आंखों पर पानी के छींटे मारे और हाथ-पैरों की मालिश की. राह चलती एक औरत ने भी हमारी मदद की.
किसी तरह दो घंटे बाद बीवी कुछ नॉर्मल हो गई. लेकिन फिर भी हमने पूरी रात वहीं आराम किया. यहीं आराम करने के दौरान रात के कोई 1.30 बजे का वक्त था. हमसे थोड़े ही फासले पर चार-पांच लड़के कुछ लोगों से हाथापाई कर रहे थे. जिनके साथ हाथापाई हो रही थी वो खाते-पीते घर के लग रहे थे.
लूटेरों का भी दिल पसीज गया:
इसके बाद वो लड़के हमारे पास आ गए. तेज आवाज़ में चीखते हुए मुझसे पूछा- कौन हो और कहां जा रहे हो. क्या है तुम्हारे पास. मैं समझ गया कि यह सामान लूटने आए हैं. मैंने रोते हुए बटन वाला पुराना सा मोबाइल उन्हें दे दिया और कहा- मजदूर आदमी हूं, बस यही है मेरे पास.
मुझे रोता देख उसमें से बड़े वाले लड़के ने मुझसे पूरी बात पूछी. मैंने उसे बताया कि कैसे मैं रोहतक से चला और लखनऊ के पास तक जाना है. बीवी बीमार है और हम भूखे हैं. तभी उसमें से एक बोला- यार मजदूरों की खबर तो बहुत आ रही है टीवी पर.
इसी बीच पता नहीं उनमें से एक ने क्या इशारा किया कि दूसरे लड़के ने मेरे हाथ में 500-500 के कई नोट रख दिए. मैंने गिने तो वह पूरे 5 हजार रुपए थे. बोला रास्ते में कुछ खा-पी लेना और अब पैदल नहीं जाना. किसी ट्रक वाले को दो-चार सौ रुपए दे देना. एक ने तो मेरी सबसे छोटी बेटी के सिर पर हाथ भी फेरा था.
लूटेरों के वजह से ही रास्ते में दिक्कत नहीं हुई:
इसके बाद तो एक बार भी मेरे दिमाग ने दर्द को महसूस नहीं किया. पूरे रास्ते उन्हीं लोगों की बातें बीवी के साथ होती रहीं और उन लोगों का चेहरा आंखों के सामने घूमता रहा. लखनऊ तक के रास्ते में किसी ट्रक वाले ने हमें नहीं बैठाया, लेकिन उन लड़कों की वजह से रास्ते में बच्चों को खिलाता-पिलाता ले गया.
written- by Ammy

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