मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल विस्तार में खींचतान जारी किसको मिलेगा मंत्री पद यह तय नहीं

0
भोपाल -कोरोनावायरस महामारी के बढ़ते संक्रमण के बीच भाजपा सरकार के लिए मंत्रिमंडल विस्तार भी एक जटिल मामला बन गया है। लगातार विचार मंथन किए जाने के बाद भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बीडी शर्मा मंत्रिमंडल विस्तार पर अंतिम फैसला नहीं कर पाए हैं। सूत्रों ने बताया कि मध्यप्रदेश स्तर पर मंत्रिमंडल विस्तार करने का अंतिम फैसला दिल्ली दरबार पर छोड़ दिया गया है।
भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बीडी शर्मा ने अपनी तरफ से मंत्रिमंडल विस्तार संबंधित एक लिस्ट को हरी झंडी के लिए वरिष्ठ नेताओं के समक्ष दिल्ली भेज दिया है।
उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द दिल्ली दरबार से मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार को फाइनल कर दिया जाएगा। मंत्रिमंडल में जगह हासिल करने के लिए भाजपा के कुछ पूर्व मंत्रियों और सीनियर विधायकों के बीच मंत्री पद को लेकर खिंचतान जैसे हालात नजर आते हैं। दिल्ली के फार्मूले को अपनाने के बाद भी मध्य प्रदेश का संगठन मंत्रिमंडल विस्तार पर सार्थक निर्णय नहीं ले पाया।
पिछले 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ राज्यपाल लालजी टंडन के हाथों से ली। इसके बाद से ही मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए दावेदारी करने वालों के बीच कड़ा मुकाबला शुरू हो गया। पहले चरण में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने मंत्रिमंडल में केवल पांच मंत्रियों को शामिल कर शपथ करवाई थी। इस मंत्रिमंडल विस्तार में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव जैसे धाकड़ जनाधार वाले नेता को भी शामिल नहीं किया गया,
वजह साफ थी ग्वालियर के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया के सर्मथक विधायकों को तवज्जो देना था। पहले चरण के मंत्रिमंडल गठन में तीन भाजपाई विधायकों के साथ साथ महाराज के दो सर्मथक विधायकों को शामिल किया गया। इसके बाद से लगातार भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें लगाई जा रही है, लेकिन अभी तक मंत्रिमंडल विस्तार पर अंतिम फैसला नहीं हो पाया है।
चारों तरफ से मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए संभावित दावेदारों का सघन प्रयास जारी है। संभावित दावेदारों ने भाजपा संगठन के साथ साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समक्ष भी मंत्री बनाए जाने के लिए दावेदारी पेश कर चुके हैं। भाजपा के बड़े नेताओं के करीबी पूर्व मंत्री, वरिष्ठ भाजपा विधायकों के बीच मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए रोचक मुकाबला नजर आ रहा है।
संभवतः पहली बार भाजपा सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार करने में इतना अधिक समय लगा है। भाजपा के पूर्व मंत्रियों का कुनबा मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए दिल्ली दरबार तक बराबर जोर लगा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बीडी शर्मा बेहद सुझबुझ के साथ मंत्रिमंडल विस्तार में कदम उठा रहे हैं। 20-21 तारीख को मंत्रिमंडल विस्तार होने के संकेत सरकार से मिले थे
भार्गव- भूपेंद्र तय, विरोध दिखाएगा असर
भाजपा के प्रदेश स्तरीय सूत्रों ने बताया कि भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार का खाका तैयार हो गया है, सीएम पूरा प्रयास कर रहे हैं कि जल्द से जल्द अपने कैबिनेट का विस्तार कर लिया जाए ताकि सरकार का कामकाज तेज गति से आगे बढ़ने लगे और कोरोनावायरस महामारी में परेशान होने वाले प्रवासी मजदूरों और गरीबों को आसानी से राहत मिल जाए।
भाजपा के सभी बड़े नेता अपनों से जुड़े विधायकों को शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल कराने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो दिल्ली दरबार से मिले निर्देश के बाद भाजपा सरकार पूरा प्रयास कर रही है कि जिन विधायकों ने पिछले पंद्रह सालों तक मंत्री रहकर दोनों हाथों से भरपूर मलाई छानी है और उनका विरोध भी निरंतर स्थानीय स्तर पर हो रहा है,
उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर ही रखा जाए। पुराने चेहरों को रिपीट करने से बेहतर नये युवा, समझदार और वरिष्ठ विधायकों को सरकार में शामिल होने का अवसर दिया जाए। पंद्रह साल सुखियों में रहने वाले पूर्व मंत्रियों का कुर्सी मोह बरकरार है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्राथमिकता मंत्रिमंडल के लिए नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह और एक अन्य सीनियर विधायक के मामले में बराबर देखने को मिल रही है। फाइनल होने के लिए जो लिस्ट दिल्ली दरबार भेजी गई है उनमें सीएम की पसंद वाले तीन नेताओं का नाम सबसे ऊपर है।
पूर्व मंत्री की राह में सबसे बड़ी बाधा बने विधायक
पिछले पंद्रह साल तक विकास की ढपली बजाने वाले नेताजी को भी पहली बार भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है। इस बार की राह नेताजी के लिए कदापि आसान नहीं है। किसी जमाने में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेहद करीबी रहने वाले पूर्व मंत्री और रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ल के मंत्री बनने की राह में सबसे बड़ी बाधा रीवा जिले के विधायक ही बने हैं।
पूर्व मंत्री के अपने ही आज उन्हें भाजपा सरकार में मंत्री न बनाए जाने का आग्रह तथ्यों के साथ कर रहे हैं। शिकायतें भोपाल, दिल्ली से होते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत के समक्ष तक पहुंची है। पिछले पंद्रह सालों तक भाजपा को पूरे विंध्य क्षेत्र में वन मैन आर्मी की पहचान बनाने वाले नेताजी ने जिले के किसी भी विधायक या वरिष्ठ भाजपा नेताओं को कभी बराबरी में खड़ा होने तक नहीं दिया।
विरोध उस जमाने में भी किया जाता था पर सुनवाई नहीं होती थी। यही वजह है कि पहली बार पूर्व मंत्री और रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ल का विधायकों ने खुलकर सरकार और संगठन के सामने विरोध किया है। रीवा जिले के पांच भाजपा विधायकों ने सीएम, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष बीडी शर्मा, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा सहित संघ पदाधिकारियों से मिलकर श्री शुक्ल को इस बार मंत्रिमंडल में शामिल न करने की मांग उठाई है। शिवराज मामा के साथ पूर्व मंत्री के संबंध पहले जैसे नहीं रहे।
उसकी वजह यह है कि जब सन् 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को अपनी सरकार गवानी पड़ी थी तब शिवराज सिंह चौहान और जबलपुर सांसद तथा तत्कालीन भाजपा प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह के बीच गहमा-गहमी हुई थी तब मामा ने शिवराज के कहने के बाद भी पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने किसी तरह का बयान जारी नहीं किया था। रीवा विधायक की परेशानी की वजह के लिए इस मुद्दे को भी अहम माना जा रहा है।
विंध्य क्षेत्र से पूर्व मंत्री का विरोध करने के साथ ही देवतालाब विधायक गिरीश गौतम, गुढ विधायक नागेंद्र सिंह और युवा चेहरे के रूप में सिरमौर विधायक दिव्य राज सिंह ने मंत्री बनने के लिए सरकार और भाजपा संगठन से इच्छा जताई है।
कुल मिलाकर शिवराज सिंह चौहान की कैबिनेट में शामिल होने वालों का नाम अभी भी गोपनीय बना हुआ है। शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल में अमरपाटन विधायक रामखेलावन पटेल को शामिल कराने का प्रयास भी किया जा रहा है।
सतना सांसद गणेश सिंह सजातीय नेता को मंत्री बनाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से गोटियां सेट कर रहे हैं और वैसे भी सांसद गणेश सिंह की व्यक्तिगत निकटता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से छिपी नहीं है। दोनों के बीच मजबूत व्यावसायिक संबंध किसी से छिपा नहीं है।
विंध्य क्षेत्र से नाम तय नहीं हो पा रहे हैं और ऐसे ही मालवा से भी है ओर चंबल संभाग से भी हैं कई पुराने विधायक भी जो कई बार यह तक कि तीन चार बार के विधायक हैं वह भी अपनी-अपनी व जनदारी के दि खा रहे हैं प्रदेश नेतृत्व तय नहीं कर पा रहा है की किसे मंत्रिमंडल में स्थान दें और किसी नहीं इसलिए लिस्ट बनाकर दिल्ली दरबार की ओर रवाना की जा रही है दिल्ली दरबार ही तय करेगा किसे मंत्रिमंडल में स्थान दिया जा सकता है
हरि शंकर पाराशर कटनी RJ ✍️

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More