Close up portrait of cow with a large udder on the background of green field. Beautiful funny cow grazes on cow farm Big curious black and white cow staring at the camera in natural background
अमेरिका की बायोटेक कंपनी SAb Biotherapeutics गायों में ऐसी ऐंटीबॉडीज (Antibodies in cows) तैयार कर रही है जिनसे कोरोना वायरस का इलाज (Coronavirus Treatment) मुमकिन है। ये खास गायें Genetically modified होती हैं और इनमें ऐसे DNA बनता है जिससे ऐंटीबॉडीज बनती हैं।
हाइलाइट्स अमेरिका की बायोटेक कंपनी कर रही है रिसर्च गायों में बनाई जा रही हैं कोरोना की ऐंटीबॉडीज जेनेटिकली मॉडिफाइड गायों पर जारी है रिसर्च प्लाज्मा ट्रीटमेंट से ज्यादा असरदार है यह तरीका वक़्त नहीं है? हाइलाइट्स पढ़ने के लिए डाउनलोड ऐप
वॉशिंगटन कोरोना वायरस के इलाज या उसे फैलने से रोकने के तरीके खोजने में पूरी दुनिया के रिसर्चर्स जुटे हैं। इसी बीच अमेरिका की बायोटेक कंपनी SAb Biotherapeutics ने गायों के शरीर में ऐसी ऐंटीबॉडी विकसित करने में सफलता पाई है जो SARS-CoV-2 के खिलाफ कारगर साबित हो सकती हैं।
खास बात यह है कि ये आम गायें नहीं हैं बल्कि इन्हें जेनेटिकली मॉडिफाईड किया जाता है। कंपनी अब इस तरीके का क्लिनिकल ट्रायल करने की तैयारी में है। कंपनी का दावा है कि एक गाय हर महीने इतनी ऐंटीबॉडी बना सकती है जिससे सैकड़ों लोगों का इलाज हो सकता है। इसे प्लाज्मा ट्रीटमेंट से भी चार गुना बेहतर बताया गया है।
MERS के बाद निकला इलाज का तरीका साइंस मैगजीन की रिपोर्ट के मुताबिक इन मॉडिफाइड गायों की ऐंटीबॉडी से वायरस इन्फेक्शन को रोका जा सकता है या इन्फेक्शन होने के बाद इलाज किया जा सकता है।
SAb Biotherapeutics मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (MERS) के बाद से इस तरीके पर काम कर रही थी और SARS-CoV-2 से इन्फेक्शन के बाद गायें एक हफ्ते में ही ऐंटीबॉडी बनाने लगीं क्योंकि अब तक रिसर्चर्स को पता था कि कैसे वायरस को टार्गेट करना है।
ऐसे बनती हैं ऐंटीबॉडीज ऐंटीबॉडीज को यूं तो कल्चर सेल्स (Culture cells) के जरिए लैब में या तंबाकू के पौधों में तैयार किया जाता है लेकिन 20 साल से रिसर्चर्स गायों के पैरों के निचले हिस्से में इन्हें विकसित कर रहे हैं। इसी रिसर्च पर अब SAb Biotherapeutics काम कर रही है।
यह कंपनी डेरी वाली गायों में जेनेटिक बदलाव करती है। खून में ऐंटीबॉडी के रिलीज होने से पहले गायों को वायरस के जीनोम पर आधारित DNA वैक्सीन दी जाती है जिससे उनका इम्यून सिस्टम तैयार हो जाता है। इसके बाद SARS-CoV-2 के स्पाइक प्रोटीन को इन्जेक्ट किया जाता है जिससे लड़ने के लिए ये ऐंटीबॉडीज बनने लगती हैं।
इसलिए खास होती हैं ये गायें SAb Biotherapeutics के प्रेजिडेंट और CEO एडी सुलिवन का कहना है कि गायें ऐंटीबॉडी की फैक्ट्री की तरह का करती हैं क्योंकि इंजिनियर किए गए बाकी छोटी जानवरों की तुलना में इनमें ज्यादा खून होता है। इनके खून में इंसानों की तुलना में दोगुना ज्यादा ऐंटीबॉडी होती हैं। इसके अलावा गायों में कई तरह की पॉलिक्लोनल ऐंटीबॉडी बनती हैं जो वायरस के अलग-अलग हिस्सों पर अटैक कर सकती हैं।