बिना मिट्टी के तकनीकी से पौधे उगा कर पेश की मिसाल, सालाना 2 करोड़ का है टर्नओवर

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अगर आपसे पूछा जाए कि पेड़-पौधे उगाने के लिये किन चीज़ो का उपयोग किया जाता है तो स्वाभाविक है आप का जवाब मिट्टी, खाद और पानी ही होगा। आप कल्पना भी नहीं कर सकते कि आज कल ऐसी तकनीक आ गई है जिसमें आप बिना मिट्टी के भी पेड़ पौधे उगा सकते हैं। इस तकनीक को “हाइड्रोपोनिक्स” कहते हैं। भारत में इस तकनीक को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया है, चेन्नई के रहने वाले श्रीराम गोपाल ने जिनके अनुसार कृषि कोई पढ़ाई नहीं बल्कि इस देश में पनपने वाली कई समस्याओं का समाधान है और इसमें आधुनिक तकनीक का विशेष महत्व है।
34 वर्षीय श्रीराम ने इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद कालेडोनियन बिज़नेस स्कूल यूनाइटेड किंगडम से मार्केटिंग एंड स्ट्रॅटजी में मास्टर्स किया। उनके पिता गोपालकृष्णन की फोटो प्रोसेसिंग और प्रिंटिंग की मशीन बनाने की फैक्ट्री थी जिसे उन्होंने खराब स्वास्थ्य और कम बिजनेस के चलते वर्ष 2007 में बंद कर दिया था। श्रीराम के पिता की कई फोटो लैब्स भी थी जिसके कारण श्रीराम को कॉलेज के दिनों से ही हाई एन्ड कैमरा का बेहद शौक था इसलिए पढ़ाई के बाद उन्होंने चेन्नई में हाई एन्ड कैमरा रिपेयर शॉप खोलने की सोची।
पांच साल पहले जब वह एक सफल IT कंपनी का नेतृत्व कर रहे थे, तभी उनके दोस्त ने उनको हाइड्रोपोनिक्स से संबंधित एक विडिओ यू–ट्यूब पर दिखाया जिससे वह बेहद प्रभावित हुये। श्रीराम मानते हैं कि भारत वैसे तो हमेशा से ही कृषि प्रधान देश रहा है, जहाँ कृषि का विशेष महत्व है परन्तु मौजूदा परस्थितियों में इस प्रकार की तकनीक का सहारा लेना बेहद जरूरी हो गया है। बढ़ती आबादी एवं शहरों के विकास की वजह से खेती योग्य भूमि सिमटती जा रही है। सिंचाई की सुविधा के लिये पानी की व्यवस्था भी पूरी नहीं हो पाती।
टीम केनफ़ोलिओज़ से खास बातचीत में श्रीराम ने बताया कि “भारत में कृषि और इंडस्ट्रीज दो अलग-अलग क्षेत्र हैं परन्तु समय की मांग को देखते हुए हम सफल तभी हो सकते हैं, जब हम कृषि को ही इंडस्ट्री मान ले। श्रीराम गोपाल बताते हैं कि उन्होंने पेरुंगुडी में अपने पिता की बंद पड़ी फैक्ट्री की रूफटॉप पर सप्ताह के अंत में बिना मिट्टी के पौधे उगाने की तकनीक का परीक्षण शुरू किया जिसमे उनके पिता ने भी पूरा सहयोग दिया और उन पौधों की वजह से उनके पिता की सेहत में काफी सुधार आने लगा।
तब उन्होंने यह फैसला लिया कि वह इस दिशा में जरूर कुछ बड़ा करेंगे जिसके लिये उन्होंने पहले से ही हाइड्रोपोनिक्स के क्षेत्र में काम कर रही विदेशी कंपनियों से बात की तथा उन्हें इस बात के लिये राजी किया कि वह उन्हें सिर्फ हाइड्रोपोनिक्स से संबंधित टेक्नोलॉजी का ज्ञान दे तथा वह उनकी कंपनियों को भारत में रिप्रेजेंट करेंगे और निवेश भी स्वयं करेंगे। विदेशी कंपनियों से मिले तकनीकी सहयोग से उन्होंने मात्र पांच लाख रुपए का निवेश कर “फ्यूचर फार्म्स” नामक एक कंपनी खोली और धीरे-धीरे उनके प्रयास रंग लाने लगे और मात्र 5 सालों में उनकी कंपनी का टर्नओवर 2 करोड़ हो गया। श्री राम ने बताया उनकी कंपनी 300 प्रतिशत की दर से हर साल बढ़ रही हैं। 2015 -2016 में कंपनी का टर्नओवर 38 लाख रूपए का था जो 2016-17 में 2 करोड़ हो गया तथा इस साल के पहले क्वाटर तक यह आंकड़ा 2 करोड़ तक पहुंच गया है, जो वर्ष के अंत तक 6 करोड़ तक पहुंच जायगा।
आज इस कंपनी में विभिन्न क्षेत्रों में महारत हासिल किए 60 के करीब युवा अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं। अभी तक श्रीराम कंपनी में करीब 2.5 करोड़ का निवेश कर चुके हैं। वे गयारह लोग जिन्होंने 10-15 लाख रुपए कंपनी में लगाये हैं, उन्हें कोई फिक्स्ड सैलरी नहीं मिलती है बल्कि इन सभी बारह लोगों के कंपनी के शेयर में हिस्सा है।
हाइड्रोपोनिक्स के बारे में और अधिक जानकारी देते हुए श्रीराम बताते हैं कि इस विधि से फ्लैट या घर में बिना मिट्टी के पौधे और सब्ज़ियाँ उगाई जा सकती है। पानी में लकड़ी का बुरादा, बालू या कंकड़ों को डाला जाता है और पौधों के लिये आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध कराने के लिये एक खास तरीके का घोल डाला जाता है तथा पौधों में ऑक्सीजन पहुंचाने के लिये पतली नाली या पम्पिंग मशीन का इस्तेमाल किया जाता हैं। इसमें सामान्य फसलों की अपेक्षा में करीब 90% कम पानी का उपयोग होता है, कीटनाशक का उपयोग बिलकुल नहीं होता है तथा उत्पादन भी ज्यादा होता है। ट्रांसपेरेंसी मार्केट रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल हाइड्रोपोनिक्स का बिज़नेस जो 2016 में 6,934.6 मिलियन डॉलर था वह 2025 में बढ़कर 12,106.5 मिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।
आज कंपनी वेबसाइट पर हाइड्रोपोनिक्स की जो किट बेचती है उसकी कीमत 999 रुपए से लेकर 69,999 रूपए तक होती है। इसके अलावा वह हाइड्रोपोनिक्स सेटअप आवश्यकता अनुसार भी बनाते हैं। 200 से 5000 स्क्वायर फ़ीट हाइड्रोपोनिक्स फार्म बनाने का खर्चा लगभग 1 लाख से 10 लाख रुपए का आता है।
पांच साल पहले हॉबी के तौर पर शुरू किए गये बिज़नेस ने आज एक क्रांति का रूप ले लिया है। श्रीराम की यह पहल देश को लगातार कम हो रहे प्राकृतिक संसाधनों से निपटने में काफी कारगर सिद्ध होगी।

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