ज्योतिरादित्य सिंधिया को हराने वाले ‘केपी’ क्या कांग्रेस ज्वाइन करेंगे?

0
भोपाल । पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (श्रीमंत ) को लोकसभा का चुनाव हराकर सुर्खियों में आए भाजपा सांसद केपी यादव क्या कांग्रेस में जाने वाले हैं? यह सवाल इसलिए खड़ा होने लगा है क्योंकि बीते रोज अचानक उनके दोनों भाई कांग्रेस के पूर्व मंत्री सचिन यादव से न केवल मिलने पहुंचे, बल्कि आधा घंटे तक राजनैतिक मामलों में मंत्रणा भी करते रहे। यही नहीं इसके बाद वे सचिन यादव के साथ कांग्रेस की बैठक में भी शामिल हुए।
उनके इस कदम के बाद से ही श्री यादव को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं गर्म हो गई हैं। दरअसल यादव बाहुल्य मुंगावली विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है। इस सीट के कांग्रेस प्रभारी सचिन यादव बीते रोज अशोकनगर जिले के दौरे पर थे। यह सीट आशेक नगर जिले के तहत ही आती है। सांसद यादव के बड़े भाई महेंद्र यादव और छोटे भाई अजय यादव अपने करीब 200 समर्थकों के साथ अचानक सचिन यादव से मिलने पहुंच गए। इसके बाद वे उपचुनाव की तैयारियों पर बुलाई गई कांग्रेस की बैठक में भी शामिल हुए।
चुनावी बैठक में शामिल होकर उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया का विरोध करने का स्पष्ट सकेंत दे दिया है। गौरतलब है कि सिंधिया के करीबी केपी यादव को भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से भाजपा में लगाकर गुना से प्रत्याशी बनाया था। यादव ने चुनाव में सिंधिया को एक लाख से अधिक मतों से पराजित कर सभी को चौंका दिया था। अब श्रीमंत कांग्रेस से बगाबत कर भाजपाई हो चुके हैं, जिससे यादव में नाराजगी बताई जा रही है। उन्हें लग रहा है कि अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा उनकी जगह सिंधिया को ही प्रत्याशी बना सकती है।

भाजपा-कांग्रेस में बगावत के संकेत-

निकट भविष्य में प्रदेश की 24 सीटों पर होने वाले उपचुनावों के पहले ही भाजपा-कांग्रेस में अभी से बगावती संकेत मिलना शुरू हो चुके हैं। सांवेर से प्रेमचंद गुड्डू का मामला हो या फिर मेंहगांव सीट पर राकेश चतुर्वेदी का। पार्टी में ही इनका विरोध हो रहा है। हालात यह है कि चतुर्वेदी के विरोध में तो कांग्रेस के तीन क्षत्रिय नेता एक साथ खुलकर खड़े हो गए हैं। इसी तरह से भाजपा के पुराने नेता कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं।
यही वजह है कि पूर्व मंत्री दीपक जोशी मीडिया के सामने यह कहकर संकेत दे रहे हैं कि वे किसी भी समय कोई भी निर्णय ले सकते हैं। भाजपा आलोट और जौरा सीट को छोडक़र शेष सभी 22 सीटों पर कांग्रेस से भाजपा में आए पूर्व विधायकों को टिकट देने के संकेत पहले ही दे चुकी है। पार्टी का यह फैसला कई पुराने नेता स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। वे साफतौर पर तो कुछ नहीं कह रहे हैं,
लेकिन विरोध के संकेत साफ-साफ दे रहे हैं। पूर्व मंत्री गौरीशंकर शेजवार, पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत, रूस्तम सिंह, लाल सिंह आर्य सहित कई नेता पार्टी के फैसले को भले ही सार्वजनिक रुप से सही बता रहे हों, लेकिन वे अपनी बात संगठन को बता चुके हैं। लिहाजा नाराज नेताओं को मनाने में संगठन को बेहद मशक्कत करनी पड़ रही है। इसके अलावा कांग्रेस भाजपा में नाराज चल रहे नेताओं को अपनी पार्टी में लाने के प्रयासों मे लगी हुई है। कांग्रेस अब तक प्रेमचंद गुड्डू, बालेन्दु शुक्ल की घर वापसी करा चुकी है।
हरिशंकर पाराशर “राष्ट्रीय जजमेंट” संवाददाता कटनी मध्य प्रदेश ✍️

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More