भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां गाय दूध के अलावा वोट भी देती है l

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गाय और गीता को लेकर प्रदेश से लेकर देश तक खूब राजनीति होती है. कुछ सियासी दलों के लिए तो गाय और गीता से बढ़कर कुछ भी नहीं. हरियाणा सरकार भी गौवंश की रक्षा, सुरक्षा की कसमें खाती नहीं थकती. मनोहर सरकार  ने कानून तक बनाया. लेकिन क्या कसमें खाने, दावे करने और कानून बनाने का दम भरने भर से जमीनी हालात बदल जाते हैं. नहीं, बिल्कुल नहीं अगर बदलते तो प्रदेश की इस गौशाला से ऐसी तस्वीरें कभी सामने नहीं आती. समालखा चुलकाना रोड पर स्थित श्री कृष्ण गौशाला में लॉकडाउन  के दौरान भूख से 80 गाय दम तोड़ चुकी हैं. इन गायों की मृत देह को कुत्ते नोंच-नोंच कर खा रहे हैं.
गौशाला में हर तरफ गंदगी पसरी है. ना चारा है और ना साफ-सफाई. प्रबंधन का कहना है कि गौशाला में क्षमता से ज्यादा गौवंश है. इन सबकी देखभाल नहीं हो पा रही. सरकार,प्रशासन से मदद के लिए कई बार आग्रह कर चुके हैं लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया.
सरकार, प्रशासन ना गायों को चारा मुहैया करवा पाए और ना इनके भूख से मरने के बाद इनकी मृत देह को दबाने के लिए जमीन. गाय के नाम पर वोट तो बहुत बटोरे जाते हैं पर बदकिस्मती कि  इनकी जान बचाने के लिए कोई आगे नहीं आता. आज भी इस गौशाला में गौवंश तिल-तिल मर रहा है. ना सरकार का दिल पसीज रहा है और ना पशु प्रेमियों का.
बता दें कि पानीपत, समालखा चुलकाना रोड स्थित श्री कृष्ण गौशाला साढ़े तीन एकड़ में बनी हुई है. लॉकडाउन के चलते गौशाला में गायों की संख्या अधिक होने के कारण करीब 80 गोवंशों की भूख के कारण मौत हो चुकी है. जानकारी देते हुए गौशाला के मैनजेर कुलदीप ने बताया कि गौशाला में 1850 गौवंशों की संख्या है जबकि क्षमता 1100 गौवंशों की है. गौशाला में पशुओं की संख्या अधिक है इसलिए हर रोज गायों की भूख के कारण मौत हो रही है.
कुलदीप ने बताया कि जब वह गाय को चारा डालते हैं तो सभी गाय एक साथ चारा खाती हैं और जो कमजोर गाय है उन्हें गायों की भीड़ अधिक होने के कारण चारा नहीं मिल पाता और वह भूखी रह जाती हैं. इस कारण हर रोज गायों की मौत हो रही है और लॉकडाउन के दौरान करीब 80 गाय मर चुकी हैं. वह दौर जिसमें गौवंश को आहत करने वाले तत्वों कर लिए अनेक राज्य सरकारों द्वारा सजा का प्रवधान सुझाया जा रहा हो, वहाँ इनके भरण पोषण सम्बन्धी सुविधाओं का ख्याल भी रखना चाहिये ।

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