कोरोना वाइरस – हम चीन पर विश्वास क्यों नहीं कर सकते
वुहान कोरोना वाइरस 3 महीने के अन्दर ही चीन के अलावा दुनिया के 170 से भी अधिक देशों में फैल चुका है। भारत भी इससे अछूता नहीं रह गया है। हांगकांग के मेडिकल विशेषज्ञ प्रो॰ गैबरियल लेउंग के अनुसार यदि कोरोना वाइरस को रोका नहीं गया तो दुनिया की 60% आबादी इससे संक्रमित हो सकती है, जिसमे 4.5 करोड़ लोगों की जान जा सकती है। क्या चीन द्वारा इस विषय पर की गयी शुरूआती लापरवाही, लगातार छिपाने और कम रिपोर्ट करने की प्रवृति ने दुनिया के लोगों को खतरे में नहीं डाल दिया है?
पिछले 70 वर्षों में, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) ने अपने देश को एक के बाद एक मानव निर्मित त्रासदियों के अधीन किया है, जैसे महान अकाल, सांस्कृतिक आन्दोलन, तियानमेन स्क्वायर हत्याकांड, फालुन गोंग का दमन, तिब्बत, शिनजियांग और हांगकांग में मानवाधिकारों का दमन, आदि।
प्राकृतिक आपदाओं या महामारियों के बारे में भी CCP की प्रतिक्रिया हमेशा छल और झूठ से भरी रही है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का झूठ भरा इतिहास2003 के SARS संक्रमण और 2008 के सिचुआन भूकंप के दौरान चीनी शासन पर बड़ेपैमाने पर जानकारी छिपाने और गुमराह करने के आरोप लगे।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का सबसे बड़ा कवर-अप फालुन गोंग दमन से संबंधित रहा है। इसके स्वास्थ्य लाभ और आध्यात्मिक शिक्षाओं के कारण चीन में फालुन गोंग इतना लोकप्रिय हुआ कि 1999 तक करीब 7 करोड़ लोग इसका अभ्यास करने लगे जो CCP की 6 करोड़ मेम्बरशिप से ज्यादा था। जियांग जेमिन ने फालुन गोंग की शांतिप्रिय प्रकृति के बावजूद इसे अपनी प्रभुसत्ता के लिए खतरा माना और 20 जुलाई 1999 को इस पर पाबंदी लगा दी और क्रूर दमन आरम्भ कर दिया जो आज तक जारी है। क्या चीन कोरोना वाइरस रोगियों की संख्या छिपा तो नहीं रहा?
अधिकारिक तौर पर चीन में कोरोना वाइरस के 81,000 केस दर्ज हुए हैं जिसमे करीब 3200 लोगों कि मृत्यु हो चुकी है। चीनी समाचार एजेंसी शिनहुआ दावा कर रही है कि चीन में स्थिति नियंत्रण में आ रही है और नये रोगियों की संख्या में कमी आ रही है। सवाल यह है क्या चीन की अधिकारिक ख़बरों पर विश्वास किया जा सकता है? अनेक विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि मरने वालों की वास्तविक संख्या 10 गुणा तक अधिक हो सकती है।
