दिल्ली-एनसीआर में आज से प्रदूषण के खिलाफ जंग शुरू

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दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक से बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गया है और जिस आबोहवा के बिगड़ने का डर था, आखिरकार उसने दस्तक दे ही दी।दिल्ली-एनसीआरइस बाबत दिल्ली-एनसीआर में पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) की ओर से एक नवंबर से ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) लागू कर दिया गया है। 
इसके तहत एक से 10 नवंबर के बीच दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण फैलाने वाली तमाम गतिविधियां प्रतिबंधित रहेंगी। इसमें निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध रहेगा और नियमों का उल्लंघन करने पर भारी-भरकम जुर्माना लगाने के साथ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।
दरअसल, मौसम विभाग ने पूर्वानुमान लगाया है कि दिवाली पर प्रदूषण के स्तर में काफी इजाफा हो सकता है।
ऐसे में पिछले दो सालों की तरह इस बार भी दिल्ली गैस चैंबर में तब्दील न हो, इसके लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने कई कड़े कदम उठाने का फैसला लिया है।
बता दें कि पिछले दिनों एक बैठक के ही दौरान एक से दस नवंबर के बीच चार प्रमुख कदम उठाने की सिफारिशें की गई थीं।
इन सिफारिशों को लागू करने के लिए ईपीसीए को भेज दिया गया था। अब एक से 10 नवंबर तक इस पर अमल होगा। 
दिल्ली एनसीआर में निर्माण और खोदाई संबंधी कार्यों पर एक से दस नवंबर तक रोक लगी रहेगी।
  • चार से दस नवंबर तक दिल्ली एनसीआर की कोयला एवं बॉयोमास से चलने वाली तमाम औद्योगिक इकाइयों को बंद रखी जाएंगी।
  • एक से 10 नवंबर तक दिल्ली व उसके सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ पुलिस सघन अभियान चलाया जाएगा, जिससे जाम न लगे। 
  • इसके लिए भी ट्रैफिक नियंत्रण पर विशेष ध्यान दिया जाए लोगों को दी है यह सलाह सीपीसीबी ने दिल्ली व एनसीआर के निवासियों को सलाह दी है कि वे एक से दस नवंबर के बीच कम से कम यात्रा करें।
  • अगर इस दौरान यात्रा जरूरी हो तो निजी वाहनों से विशेषकर डीजल वाहन के प्रयोग से बचें। जितना संभव हो, सार्वजनिक वाहन का ही प्रयोग करें।
बता दें कि दिल्ली और एनसीआर के शहरों में प्रदूषण के बने इस हालात के लिए कौन जिम्मेदार है, फिलहाल केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के पास इसका कोई जवाब नहीं है।
बावजूद इसके मंत्रालय ने दिल्ली और एनसीआर को इससे बचाने के लिए ‘क्लीन एयर’ नाम से एक नए अभियान का एलान जरूर कर दिया है। इसे केंद्र और दिल्ली सरकार मिलकर चलाएंगे।
एक से पांच नवंबर तक केंद्र और दिल्ली सरकार की 52 टीमें संयुक्त रूप में दिल्ली और एनसीआर की सड़कों पर उतरेंगी और प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी करेंगी। इस टीम में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारी भी शामिल रहेंगे।
वहीं, दिल्ली की जहरीली होती हवा से चिंतित नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों से कहा है कि पराली जलाने से रोकने में किसानों की मदद करें और
आवश्यक मशीन उपलब्ध कराएं। एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकारों को टिब्यूनल के दिशा निर्देशों को सख्ती लागू करने का निर्देश दिया है।
वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण पराली जलाना है और उद्योगों को अपने कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सबिलिटी (सीएसआर) के तहत किसानों की मदद करनी चाहिए।
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