रात भर गरजने के बाद, दिन भर झांड़ झांकर में छिपी रहती मशीने

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महोबा 6 जुलाई। खनन कार्य की समय सीमा 30 जून को समाप्त हो गयी लेकिन माफिया अफसरों की आंख में धूल झोंककर खनन कार्य को करने पर आमादा है उसने इसके लिये बकायदा युक्ति निकाल ली है अफसर गच्चा खा रहे है और रात के अंधेरे में वह जेबीसी मशीनें जंगल और झाड़ियो से निकाल कर धरती का सीना चीर रहा है। रेत का काम अब दिन के उजाले में नहीं अब रात के अंधेरे में दौड़ लगा रहा है।
30 जून को खत्म हो चुकी है खनन कार्य की समयावधि छतेसर नदी में अब भी गरज रही है बड़ी-बड़ी मशीने छोटे-बड़े वाहनों से डम्प कर रहे है
माफिया रेत जनपद के पनवाड़ी के नजदीक से छतेसर नदी बहती है नदी पानी के बहाव के साथ बेशकीमती रेत भी साथ में लेकर आती है। छतेसर नदी ग्रीस्म श्रतु में सूख जाती है। इसका दोनो हाथों से खनन माफिया द्वारा लाभ उठाया जा रहा है।
यहां खनन कार्य के लिये 30 जून के लिये एक निश्चित सीमा तक नदी में रेत उत्खनन की इजाजत दी गयी थी। 30 जून के बाद यह इजाजत स्वतः समाप्त हो चुकी है, लेकिन खनन माफिया ने अपनी जेसीबी मशीनों को नदी के घाटो से हटाया नहीं है, बल्कि उसने यहीं जंगल, झाड़ और झाकड़ो के बीच में छुपाकर रखे हुये है। बताया जाता है कि दिन को जेसीबी मशीनें जंगल में छिपी रहती है और सांझ ढलते ही यह मशीनें फिर से रेतों पर निकल कर गरजना शुरू हो जाती है, रात भर यहां नदी का सीना चीर कर रेत को निकाला जा रहा है। रात भर यहां छोटे बड़े वाहनों में नदी से खींची गयी रेत को ढोया भी जा रहा है यह काम लगभग एक सप्ताह से पूरी तरह से जारी है।
छतेसर नदी राष्ट्रीय राज मार्ग पर स्थित है और यहां से पनवाड़ी की दूरी चार फलांग पर है। विकास खण्ड मुख्यालय होने के कारण यहां अफसर भी रहते है थाना काम करता है दिन भर अफसर और उनके अधिनस्थ कर्मचारियों का विकास खण्ड मुख्यालय से जिला मुख्यालय आना-जाना रहता है वह छतेसर नदी में बने पुल से आते-जाते है महोबा आने का यही एक प्रमुख मार्ग है बाजवूद इसके यहां होते खनन कार्य पर जिम्मेदारों की नजद न पड़ना अचरज में डालती है ?
रिपोर्ट काजी आमिल

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