विलुप्त होती जा रही हैं प्राचीन परंपराएं, नहीं सुनाई देते श्रावण के लोकप्रिय गीत

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एटा श्रावण मास का प्रारंभ होते ही आसमान में उमड़ती घुमडती काली घटाओ के बीच हरियाली तीज नाग पंचमी और फिर भाई वहिन के पवित्र प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन त्यौहार की यादें ताजा हो उठती हैं श्रावण मास के सोमवार का अपना अलग ही महत्व है
इस माह में कावड़ यात्रा के दौरान बम बम भोले  के नारे गुंजायमान होते थे लेकिन को रोना संक्रमण के चलते कावड़ यात्रा पर रोक लगा दी गई  अतः श्रद्धालु
अपने आराध्य देव की पूजा अर्चना चुपचाप  ही कर रहे हैं हरियाली के इस माह मे नागपंचमी के त्यौहार पर सपेरो की बीन की मधुर ध्वनि गली गली सुनाई देती थी लेकिन कोरोना रूपी विषैले सर्प ने सब कुछ समाप्त कर दिया  है न तो वृक्षो पर पड़े झूले ही दिखाई दे रहे है और ना ही श्रावणी गीत मल्हार हीअब सुने जा रहे है यह सब बीते जमाने  की  बात बनते
चले जा रहे है कोरोना का भय सिरपर चढ़कर बोल रहा है आखिर कोरोना रूपी दैत्य कब इस राष्ट्र से विदा लेगा इसी पर सभी  की निगाहे टिकी हुई है
नेत्रपाल सिंह चौहान-राष्ट्रीय-जजमेंट-संवाददाता-एटा

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