उद्धव ठाकरे बोले, जब सत्ता में रहकर भी राम मंदिर के लिए करना पड़े आंदोलन तो फिर सरकार गिरा दो

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(RSS) ने अयोध्या में भव्य राममंदिर के निर्माण के लिए एक बार फिर से प्रतिबद्धता जताई है। संघ ने मुंबई के भयंदर में चल रहे तीन दिवसीय कॉनक्लेव के समापन के मौके पर कहा कि अगर राम मंदिर बनाने के लिए जरूरत पड़ी तो 1992 जैसा आंदोलन भी चलाया जा सकता है। वहीं संघ के इस बयान पर शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने संघ को आड़े हाथों लिया है।
संघ के महासचिव भैया जी जोशी ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा,”ये दुख और पीड़ा का विषय है कि जिस राम मंदिर को हिंदू अपनी आस्था का विषय मानते हैं, जिससे उनकी भावनाएं जुड़ी हैं, वे कोर्ट की प्राथमिकता की लिस्ट में नहीं हैं।”
राम मंदिर के लिए सरकार के द्वारा अध्यादेश लाने की चर्चा पर भैया जी जोशी ने कहा,”अध्यादेश लाने का फैसला सरकार करेगी।
जब तक सुप्रीम कोर्ट मालिकाना हक पर फैसला नहीं सुनाता है, तब तक सरकार के लिए भी कोई फैसला करना मुश्किल ही होगा।
बता दें कि हाल ही में अयोध्या में विवादित भूमि के मालिकाना हक की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही थी। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई जनवरी तक के लिए टाल दी थी।
जब रामलला के वकील ने करीब 100 साल पुराने इस मामले की सुनवाई जल्द से जल्द करने की अपील की तो कोर्ट ने कहा कि हमारी प्राथमिकताएं अलग हैं।
वहीं संघ के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना के सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को कहा,” अगर केंद्र में पूर्ण बहुमत की मजबूत सरकार होते हुए भी अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए आंदोलन की जरूरत पड़ती है तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को सरकार को गिरा देना चाहिए।”
ठाकरे ने मुंबई में पत्रकारों से बात करते हुए कहा,”साल 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद राम मंदिर का मुद्दा ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
जब शिव सेना ने इस मांग को उठाया, तो अब आरएसएस ने प्रेस को आंदोलन की जरूरत के लिए बयान दिया है।” वैसे बता दें कि उद्धव ठाकरे 25 नवंबर को अयोध्या के दौरे पर जा रहे हैं।
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