फर्जी पहचान बनाकर मुख्यमंत्री से पैठ बनाने की कोशिश पड़ी महंगी

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अपने प्रोडक्ट के लिए जज के नाम के सहारे एक हाई प्रोफाइल महिला के सीएम दफ्तर तक पैठ बनाने की कोशिशों का सनसनीखेज मामला सामने आया है। उक्त महिला प्लास्टिक वेस्ट से सड़क बनाने की तकनीक के प्रयोग के लिए लाइजनिंग कर रही थी। इस सिलसिले में वह पीडब्ल्यूडी और शासन के कई अधिकारियों से भी मुलाकात कर चुकी है। जिन जज का उसने नाम लिया, उन्होंने महिला से किसी तरह के परिचय से इनकार किया है। अब पूरे मामले की एसआईटी ने जांच शुरू कर दी है।
महिला सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता बताई जा रही है। उसने पहले पीडब्ल्यू के कई अफसरों से मुलाकात कर चेन्नई के विशेषज्ञ की प्लास्टिक वेस्ट से सड़क बनाने की तकनीक के इस्तेमाल का प्रस्ताव दिया। बताते हैं कि पीडब्ल्यूडी के लखनऊ सर्किल और मुख्यालय के अधीक्षण अभियंता, प्लानिंग दफ्तर के कई इंजीनियरों के साथ इस महिला की मीटिंग भी हुई।
इसके बाद इस महिला ने मुख्यमंत्री कार्यालय को ई-मेल भेजकर कहा कि वह अपनी टीम की ओर से वेस्ट प्लास्टिक परियोजना का प्रस्तुतीकरण सीएम के सामने देना चाहती है। इस संबंध में पूर्व में पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के साथ हुई बातचीत से संबंधित पत्र भी प्रस्तुत किए।

जब सीएम ऑफिस ने जज से किया संपर्क तो खुला मामला
महिला ने सीएम कार्यालय को भेजे ई-मेल में लिखा कि हाईकोर्ट के एक जज के अलावा दो अन्य विशेषज्ञ सीएम से मुलाकात करना चाहते हैं। उसने मुलाकात के लिए समय मांगा। जब सीएम ऑफिस ने इस बाबत उक्त जज से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि न तो उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात का कोई समय मांगा है और न ही वे इस महिला को जानते हैं। इस पर उच्चस्तर से मामले की एसआईटी जांच के आदेश दिए गए। महिला ने जिन दो नामों का जिक्र किया, उनमें एक पद्मश्री हैं।

एसआईटी ने पीडब्ल्यूडी मुख्यालय से मांगी जानकारी
पुलिस अधीक्षक, विशेष अनुसंधान दल ने पीडब्ल्यूडी मुख्यालय को पत्र लिखकर हाई प्रोफाइल महिला की ओर से प्रस्तुतीकरण के लिए दिए गए पत्र और अन्य पत्रों की छायाप्रति उपलब्ध कराने और इन पत्रों की प्रामाणिकता स्पष्ट करने को कहा है। यह जानकारी भी मांगी है कि यह महिला पीडब्ल्यूडी के किन-किन अधिकारियों से कब-कब मिली। पीडब्ल्यूडी मुख्यालय के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने बताया कि एसआईटी ने जो सूचनाएं मांगी हैं, उसकी जानकारी संबंधित दफ्तरों से जुटाई जा रही है।

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