सरकार के विकास के दावों की पोल खोल रहा,मूलभूत सुविधाओं से वंचित यह गाँव

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महराजगंज: शासन द्वारा गांवों के विकास नाम पर लाखों रुपये की धनराशि खर्च कर विकास के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। फिर भी जमीनी स्तर पर इसका पूरा फायदा ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है।

 

यही कारण है कि मजबूर लोग आवास, पेंशन, शौचालय, शुद्ध पेयजल आदि की मांग को लेकर जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों का दरवाजा खटखटाने को विवश हो रहे हैं।
आधुनिकता के युग में जब विकास के नाम पर एक भारत-श्रेष्ठ भारत के दावे को मजबूती से बुलंद किया जा रहा है। वहीं मूलभूत सुविधाओं से वंचित गांव सरकार के इस दावे पर सवाल खड़ा कर रहे हैं।
यहां आजादी के 71 सालों बाद भी सही अर्थों में विकास की रोशनी नहीं पहुंच पाई है। आलम यह है कि जरुरी सुविधाओं में सुमार सड़कें ग्रामीणों के लिए अब जानलेवा साबित हो रही हैं।
स्वच्छ पेयजल के लिए मनिकापुर, कोहरगड्डी, नरायनपुर, रमगढ़वा आदि गांवों में लगाए गए इंडिया मार्क हैंडपंप पूरी तरह से खराब पड़े हैं,
जबकि तरैनी, पड़ौली, विषखोप, महदेइयां, शिवतरी, बभनी, असुरैना में लगे इंडिया मार्क हैंडपंपों से प्रदूषित पानी निकल रहा है। जिसे पीकर लोग जलजनित बीमारियों का शिकार हो रहे हैं,
हालांकि यह अलग बात है कि इन हैंडपंपों का रख-रखाव व मरम्मत कागजों में कराया जा चुका है।आवास योजना में गड़बड़ी का आलम यह है कि
जहरी, विशुनपुरा, निपनिया, मनिकापुर, गनेशपुर आदि गांवों में ऐसे भी परिवार हैं, जो पात्र होने के बावजूद छोटी-छोटी फूस की बनी झोपड़ियों में ठंडी,
गर्मी व बरसात के थपेड़ों को सहते हुए जिला व ब्लाक स्तरीय अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को कोश रहे हैं,
वहीं मजबूत आर्थिक स्थिति होने के बावजूद कुछ लोग हैं, जो अधिकारियों की साठगांठ से आवास हथियाने में सफल हो गए हैं।
खंड विकास अधिकारी अजय कुमार यादव का कहना है कि गांवों में शासन द्वारा चलाई जा रही सभी योजनाओं को पूरी पारदर्शिता के साथ लागू किया जा रहा है,
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यही कारण है कि गांवों की समस्या भी धीरे-धीरे दूर हो रही है।

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