आज का पंचांग 31 जुलाई 2020

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*********|| जय श्री राधे ||*********
?? *महर्षि पाराशर पंचांग* ??
??? *अथ  पंचांगम्* ???
*********ll जय श्री राधे ll*********
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*दिनाँक -: 31/07/2020,शुक्रवार*
द्वादशी, शुक्ल पक्ष
श्रावण
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ———द्वादशी 22:41:33        तक
पक्ष —————————शुक्ल
नक्षत्र ———-ज्येष्ठा 07:04:01
योग ————–ऐन्द्र 11:10:30
करण ————बव 11:13:04
करण ———-बालव 22:41:33
वार ————————-शुक्रवार
माह —————————श्रावण
चन्द्र राशि ——वृश्चिक07:04:01
चन्द्र राशि   ———————- धनु
सूर्य राशि ———————–कर्क
रितु —————————–वर्षा
आयन ——————दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक) —-2076
शाका संव—————-1942
वृन्दावन
सूर्योदय —————-05:43:18
सूर्यास्त —————–19:07:31
दिन काल —————13:24:12
रात्री काल ————-10:36:19
चंद्रोदय —————-16:31:20
चंद्रास्त —————–27:09:30
लग्न —-कर्क 14°8′ , 104°8′
सूर्य नक्षत्र ——————–पुष्य
चन्द्र नक्षत्र ——————-ज्येष्ठा
नक्षत्र पाया ——————–ताम्र
*???  पद, चरण  ???*
यू —-ज्येष्ठा 07:04:01
ये —-मूल 12:58:01
यो —-मूल 18:53:13
भा —-मूल 24:49:37
*???  ग्रह गोचर  ???*
        ग्रह =राशी   , अंश  ,नक्षत्र,  पद
========================
सूर्य=कर्क 14°22  ‘      पुष्य,      4   ड
चन्द्र = वृश्चिक 28°23 ‘ ज्येष्ठा’   4  यू
बुध = मिथुन 26 °57 ‘ पुनर्वसु  ‘   3    हा
शुक्र= वृषभ 29°55, मृगशिरा  ‘   2   वो
मंगल=मीन  22°30’     रेवती  ‘ 2    दो
गुरु=धनु  26°22 ‘   पू oषा o ,    4   ढा
शनि=मकर 04°43’ उ oषा o   ‘ 3   जा
राहू=मिथुन 02°55  ‘ मृगशिरा ,   3  का
केतु=धनु  02 ° 55 ‘       मूल    , 1  ये
*???शुभा$शुभ मुहूर्त???*
राहू काल 10:45 – 12:25 अशुभ
यम घंटा 15:46 – 17:27 अशुभ
गुली काल 07:24 – 09:04  अशुभ
अभिजित 11:59 -12:52 शुभ
दूर मुहूर्त 08:24 – 09:18 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:52 – 13:46 अशुभ
?गंड मूल अहोरात्र अशुभ
?चोघडिया, दिन
चर 05:43 – 07:24 शुभ
लाभ 07:24 – 09:04 शुभ
अमृत 09:04 – 10:45 शुभ
काल 10:45 – 12:25 अशुभ
शुभ 12:25 – 14:06 शुभ
रोग  14:06 – 15:46 अशुभ
उद्वेग 15:46 – 17:27 अशुभ
चर 17:27 – 19:08 शुभ
?चोघडिया, रात
रोग 19:08 – 20:27 अशुभ
काल 20:27 – 21:47 अशुभ
लाभ 21:47 – 23:06 शुभ
उद्वेग 23:06 – 24:26* अशुभ
शुभ 24:26* – 25:45* शुभ
अमृत 25:45* – 27:05* शुभ
चर 27:05* – 28:24* शुभ
रोग 28:24* – 29:44* अशुभ
?होरा, दिन
शुक्र 05:43 – 06:50
बुध 06:50 – 07:57
चन्द्र 07:57 – 09:04
शनि 09:04 – 10:11
बृहस्पति 10:11 – 11:18
मंगल 11:18 – 12:25
सूर्य 12:25 – 13:32
शुक्र 13:32 – 14:39
बुध 14:39 – 15:46
चन्द्र 15:46 – 16:53
शनि 16:53 – 18:01
बृहस्पति 18:01 – 19:08
?होरा, रात
मंगल 19:08 – 20:01
सूर्य 20:01 – 20:54
शुक्र 20:54 – 21:47
बुध 21:47 – 22:40
चन्द्र 22:40 – 23:33
शनि 23:33 – 24:26
बृहस्पति 24:26* – 25:19
मंगल 25:19* – 26:12
सूर्य 26:12* – 27:05
शुक्र 27:05* – 27:58
बुध 27:58* – 28:51
चन्द्र 28:51* – 29:44
*नोट* दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*?दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा  काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*?  अग्नि वास ज्ञान  -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
       12 + 6 + 1 =  19 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*?    शिव वास एवं फल -:*
   12 + 12 + 5 =  29 ÷ 7 = 1 शेष
कैलाश वास  = शुभ कारक
*?भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*??    विशेष जानकारी   ??*
* एकादशी व्रत (निंबार्क)
* दामोदर द्वादशी एवं बुध्द द्वादशी
* वरद लक्ष्मी व्रत
*???   शुभ विचार   ???*
यस्माच्च प्रियमिच्छेतु तस्य ब्रूयात्सदा प्रियम् ।
व्याधो मृगवधं गन्तुं गीतं गायति सुस्वरम् ।।
।।चा o नी o।।
    यदि हम किसीसे कुछ पाना चाहते है तो उससे ऐसे शब्द बोले जिससे वह प्रसन्न हो जाए. उसी प्रकार जैसे एक शिकारी मधुर गीत गाता है जब वह हिरन पर बाण चलाना चाहता है.
*???  सुभाषितानि  ???*
गीता -: विभूतियोग अo-10
अथवा बहुनैतेन किं ज्ञातेन तवार्जुन ।,
विष्टभ्याहमिदं कृत्स्नमेकांशेन स्थितो जगत्‌ ॥,
अथवा हे अर्जुन! इस बहुत जानने से तेरा क्या प्रायोजन है।, मैं इस संपूर्ण जगत्‌ को अपनी योगशक्ति के एक अंश मात्र से धारण करके स्थित हूँ॥,42॥,

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