आज का पंचांग 4 अगस्त 2020

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*********|| जय श्री राधे ||*********
?? *महर्षि पाराशर पंचांग* ??
??? *अथ पंचांगम्* ???
*********ll जय श्री राधे ll*********
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*दिनाँक -: 04/08/2020,मंगलवार*
प्रतिपदा, कृष्ण पक्ष
भाद्रपद
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ——–प्रतिपदा 21:54:16 तक
पक्ष —————————-कृष्ण
नक्षत्र ———श्रवण 08:09:49
योग ———सौभाग्य 29:13:48
करण ———-बालव 09:37:27
करण ———कौलव 21:54:16
वार ———————–मंगलवार
माह ———————— भाद्रपद
चन्द्र राशि ——मकर 20:46:00
चन्द्र राशि ——————–कुम्भ
सूर्य राशि ———————-कर्क
रितु —————————–वर्षा
आयन ——————-दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक)——2076
शाका संवत —————-1942
वृन्दावन
सूर्योदय ————— 05:45:26
सूर्यास्त —————–19:04:45
दिन काल ————-13:19:19
रात्री काल ————-10:41:12
चंद्रास्त —————-06:04:38
चंद्रोदय —————–19:52:44
लग्न —-कर्क 17°57′ , 107°57′
सूर्य नक्षत्र —————आश्लेषा
चन्द्र नक्षत्र ——————-श्रवण
नक्षत्र पाया ——————–ताम्र
*??? पद, चरण ???*
खो —-श्रवण 08:09:49
गा —-धनिष्ठा 14:27:02
गी —-धनिष्ठा 20:46:00
गु —-धनिष्ठा 27:06:44
*??? ग्रह गोचर ???*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
========================
सूर्य=कर्क 17°22 ‘ आश्लेषा , 1 डी
चन्द्र = मकर 22°23 ‘ श्रवण’ 4 खो
बुध = कर्क 03 °57 ‘ पुष्य ‘ 1 हु
शुक्र= मिथुन 01°55,मृगशिरा ‘ 3 का
मंगल=मीन 25°30’ रेवती ‘ 3 च
गुरु=धनु 25°22 ‘ पू oषा o , 4 ढा
शनि=मकर 04°43’ उ oषा o ‘ 3 जा
राहू=मिथुन 02°40 ‘ मृगशिरा , 3 का
केतु=धनु 02 ° 40 ‘ मूल , 1 ये
*???शुभा$शुभ मुहूर्त???*
राहू काल 15:45 – 17:25 अशुभ
यम घंटा 09:05 – 10:45 अशुभ
गुली काल 12:25 – 14:05 अशुभ
अभिजित 11:58 -12:52 शुभ
दूर मुहूर्त 08:25 – 09:19 अशुभ
दूर मुहूर्त 23:21 – 24:14* अशुभ
?पंचक 20:46 – अहोरात्र अशुभ
?चोघडिया, दिन
रोग 05:45 – 07:25 अशुभ
उद्वेग 07:25 – 09:05 अशुभ
चर 09:05 – 10:45 शुभ
लाभ 10:45 – 12:25 शुभ
अमृत 12:25 – 14:05 शुभ
काल 14:05 – 15:45 अशुभ
शुभ 15:45 – 17:25 शुभ
रोग 17:25 – 19:05 अशुभ
?चोघडिया, रात
काल 19:05 – 20:25 अशुभ
लाभ 20:25 – 21:45 शुभ
उद्वेग 21:45 – 23:05 अशुभ
शुभ 23:05 – 24:25* शुभ
अमृत 24:25* – 25:46* शुभ
चर 25:46* – 27:06* शुभ
रोग 27:06* – 28:26* अशुभ
काल 28:26* – 29:46* अशुभ
?होरा, दिन
मंगल 05:45 – 06:52
सूर्य 06:52 – 07:59
शुक्र 07:59 – 09:05
बुध 09:05 – 10:12
चन्द्र 10:12 – 11:18
शनि 11:18 – 12:25
बृहस्पति 12:25 – 13:32
मंगल 13:32 – 14:38
सूर्य 14:38 – 15:45
शुक्र 15:45 – 16:52
बुध 16:52 – 17:58
चन्द्र 17:58 – 19:05
?होरा, रात
शनि 19:05 – 19:58
बृहस्पति 19:58 – 20:52
मंगल 20:52 – 21:45
सूर्य 21:45 – 22:38
शुक्र 22:38 – 23:32
बुध 23:32 – 24:25
चन्द्र 24:25* – 25:19
शनि 25:19* – 26:12
बृहस्पति 26:12* – 27:06
मंगल 27:06* – 27:59
सूर्य 27:59* – 28:53
शुक्र 28:53* – 29:46
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*?दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*? अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
15 + 1 + 3 + 1 = 20 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*? शिव वास एवं फल -:*
16 + 16 + 5 = 37 ÷ 7 = 2 शेष
गौरि सन्निधौ = शुभ कारक
*?भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*?? विशेष जानकारी ??*
* पंचक प्रारम्भ रात्रि 20:50 से
* ऋक् श्रावणी
*??? शुभ विचार ???*
एक एव पदार्थस्तु त्रिधा भवति वीक्षितः ।
कुणपंकामिनी मांसं योगिभिः कामिभिः श्वभिः ।।
।।चा o नी o।।
एक ही वस्तु देखने वालो की योग्यता के अनुरूप बिलग बिलग दिखती है. तप करने वाले में वस्तु को देखकर कोई कामना नहीं जागती. लम्पट आदमी को हर वास्तु में स्त्री दिखती है. कुत्ते को हर वस्तु में मांस दिखता है.
*??? सुभाषितानि ???*
गीता -: राजविद्याराजगुह्ययोग अo-09
अश्रद्दधानाः पुरुषा धर्मस्यास्य परन्तप ।,
अप्राप्य मां निवर्तन्ते मृत्युसंसारवर्त्मनि ॥,
हे परंतप! इस उपयुक्त धर्म में श्रद्धारहित पुरुष मुझको न प्राप्त होकर मृत्युरूप संसार चक्र में भ्रमण करते रहते हैं॥,3॥,

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