आखिर क्या कारण है कि रूस ने इतनी जल्दी बना ली कोरोना वैक्सीन, आइए जानें

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विश्व में कोरोना वैक्सीन तैयार करने की भी प्रतियोगिता चल रही है। प्रत्येक देश इस मामले में एक दूसरे से आगे निकलना चाह रहा है लेकिन रूस ने इसमें बाजी मार ली है। रूस ने 10 अगस्त तक विश्व की पहली कोरोना वैक्सीन को बाजार में उतारने के लिए मंजूरी लेने का दावा किया है। लेकिन सभी लोग यह जानना चाह रहे हैं कि आखिर रूस ने इतनी जल्दी दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन कैसे बना ली। इसके पीछे रहस्य क्या है।
दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन मॉस्को के गामेल्या इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी में तैयार की गई है। रूस ने वैक्सीन बनाने का काम बेहद ही गुप्त तरीके से किया। एक ओर जहां दूसरे देश वैक्सीन को लेकर प्रयोगों और डेवलपमेंट के प्रत्येक चरण की जानकारी दे रहे थे वहीं रूस बेहद ही गुप्त तरीके से इस काम को अंजाम दे रहा था। इसी बीच जून में वैक्सीन पर ह्यूमन ट्रायल का पहला चरण शुरू हो गया।
स्पूतनिक की रिपोर्ट के मुताबिक शुरू में मॉस्को की लैब में दो अलग -अलग तरह के टीके पर प्रयोग चल रहा था, जिनमें एक लिक्विड और एक पावडर के रूप में था। शुरूआती ट्रायल में दो ग्रुप बने, जिनमें हरेक में 38 प्रतिभागी थे। इनमें से कुछ को वैक्सीन दी गई, जबकि कुछ को प्लासीबो इफैक्ट के तहत रखा गया। यानी उन्हें कोई साधारण चीज देते हुए ऐसे जताया गया, जैसे दवा दी जा रही हो।
रूस ने ट्रायल को रखा गुप्त
जहां दूसरे देश ट्रायल में शामिल ज्यादातर लोगों की घर से ही निगरानी कर रहे थे, वहीं रूस ने इस काम को बेहद गोपनीय तरीके से किया। उसने सबसे पहले हर प्रतिभागी को अलग-अलग रखकर जांच की। इसके बाद रूस की सरकारी मेडिकल यूनिवर्सिटी सेचेनोफ ने ट्रायल किए और कथित तौर पर वैक्सीन को इंसानों के लिए सुरक्षित माना। दो ट्रायलों में वैक्सीन आजमाई और जुलाई में ही प्रतिभागियों को अस्पताल से घर जाने की छुट्टी भी मिल चुकी है।
वैक्सीन पर हुआ विवाद
हालांकि अमेरिका और ब्रिटेन की सरकार ने रूस पर कोरोना का डाटा चोरी करने का आरोप भी लगाया है। लेकिन यह आरोप आधारहिन निकला। इस शक के पीछे की वजह इतनी जल्दी वैक्सीन का निर्माण होना है। एक दूसरा विवाद ये आया कि रूस ने ट्रायल पूरे किए बिना वैक्सीन बनाई है. इस बारे में रूस का कहना है कि उसके दो ट्रायल पूरी तरह सफल रहे इसलिए वो वैक्सीन रजिस्टर करा रहा है
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक वो 10-12 अगस्त तक वैक्सीन को रजिस्टर करा लेगा। इसके बाद से ये दुनिया के सामने होगी। मंजूरी के साथ ही रूस हफ्तेभर के भीतर अपने नागरिकों के लिए खुराक तैयार कर लेगा। जानकारी के अनुसार सितंबर में दूसरे देशों से भी रूस मंजूरी की बात करेगा।
माना जा रहा है कि हर्ड इम्युनिटी के लिए रूस में से 4 से 5 करोड़ आबादी को टीका देना होगा।  चूंकि इतनी वैक्सीन एक साथ बनाना मुमकिन नहीं, इसलिए रूस प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन देगा।
अमेरिका ने रूस की वैक्सीन लेने से किया इनकार
कोरोना महामारी से सबसे अधिक प्रभावित अमेरिका ने रूस की वैक्सीन लेने से साफ इंकार कर दिया है। खुद अमेरकी संक्रामक रोग विषेशज्ञ एंथनी फॉसी ने ये बयान देते हुए कहा कि वे रूस और चीन दोनों से ही कोरोना की वैक्सीन नहीं लेंगे क्योंकि दोनों ही देशों ने इसे लेकर कोई पार्दर्शिता नहीं बरती है।

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