आज का पंचांग 6 अगस्त 2020

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*********|| जय श्री राधे ||*********
?? *महर्षि पाराशर पंचांग* ??
??? *अथ  पंचांगम्* ???
*********ll जय श्री राधे ll*********
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*दिनाँक -: 06/08/2020,गुरुवार*
तृतीया, कृष्ण पक्ष
भाद्रपद
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ———तृतीया 24:14:21         तक
पक्ष —————————-कृष्ण
नक्षत्र ——शतभिषा 11:17:04
योग ———अतिगंड 29:20:00
करण ———वणिज 11:28:30
करण ——विष्टि भद्र 24:14:21
वार ————————-गुरूवार
माह ————————-भाद्रपद
चन्द्र राशि   ——————–कुम्भ
सूर्य राशि ———————- कर्क
रितु —————————–वर्षा
आयन ——————दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक) —-2076
शाका संवत —————-1942
वृन्दावन
सूर्योदय —————-05:46:29
सूर्यास्त —————–19:03:15
दिन काल ————–13:16:45
रात्री काल ————-10:43:45
चंद्रास्त —————-07:57:25
चंद्रोदय —————–21:03:36
लग्न —-कर्क 19°52′ , 109°52′
सूर्य नक्षत्र —————आश्लेषा
चन्द्र नक्षत्र —————-शतभिषा
*???  पद, चरण  ???*
सू —-शतभिषा 11:17:04
से —-पूर्वाभाद्रपदा 17:48:24
सो —-पूर्वाभाद्रपदा 24:21:25
*???  ग्रह गोचर  ???*
        ग्रह =राशी   , अंश  ,नक्षत्र,  पद
========================
सूर्य=कर्क 19°22 ‘ आश्लेषा ,      1    डी
चन्द्र = कुम्भ 17°23 ‘ शतभिषा’     4   सू
बुध = कर्क 07 °57 ‘     पुष्य  ‘   2   हे
शुक्र= मिथुन 04°55,मृगशिरा  ‘   4    की
मंगल=मीन  26°30’       रेवती  ‘ 3   च
गुरु=धनु  25°22 ‘   पू oषा o ,    4   ढा
शनि=मकर 04°43’ उ oषा o   ‘ 3   जा
राहू=मिथुन 02°40  ‘ मृगशिरा ,   3  का
केतु=धनु  02 ° 40 ‘       मूल    , 1  ये
*???शुभा$शुभ मुहूर्त???*
राहू काल 14:04 – 15:44 अशुभ
यम घंटा 05:46 – 07:26 अशुभ
गुली काल 09:06 – 10:45   अशुभ
अभिजित 11:58 -12:51 शुभ
दूर मुहूर्त 10:12 – 11:05 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:31 – 16:24 अशुभ
?पंचक अहोरात्र अशुभ
?चोघडिया, दिन
शुभ 05:46 – 07:26 शुभ
रोग 07:26 – 09:06 अशुभ
उद्वेग 09:06 – 10:45 अशुभ
चर 10:45 – 12:25 शुभ
लाभ 12:25 – 14:04 शुभ
अमृत 14:04 – 15:44 शुभ
काल 15:44 – 17:24 अशुभ
शुभ 17:24 – 19:03 शुभ
?चोघडिया, रात
अमृत 19:03 – 20:24 शुभ
चर 20:24 – 21:44 शुभ
रोग 21:44 – 23:05 अशुभ
काल 23:05 – 24:25* अशुभ
लाभ 24:25* – 25:46* शुभ
उद्वेग 25:46* – 27:06* अशुभ
शुभ 27:06* – 28:27* शुभ
अमृत 28:27* – 29:47* शुभ
?होरा, दिन
बृहस्पति 05:46 – 06:53
मंगल 06:53 – 07:59
सूर्य 07:59 – 09:06
शुक्र 09:06 – 10:12
बुध 10:12 – 11:18
चन्द्र 11:18 – 12:25
शनि 12:25 – 13:31
बृहस्पति 13:31 – 14:38
मंगल 14:38 – 15:44
सूर्य 15:44 – 16:50
शुक्र 16:50 – 17:57
बुध 17:57 – 19:03
?होरा, रात
चन्द्र 19:03 – 19:57
शनि 19:57 – 20:51
बृहस्पति 20:51 – 21:44
मंगल 21:44 – 22:38
सूर्य 22:38 – 23:31
शुक्र 23:31 – 24:25
बुध 24:25* – 25:19
चन्द्र 25:19* – 26:12
शनि 26:12* – 27:06
बृहस्पति 27:06* – 27:59
मंगल 27:59* – 28:53
सूर्य 28:53* – 29:47
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*?दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा  केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*?  अग्नि वास ज्ञान  -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
       15 + 3 + 5 + 1 = 24  ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*?    शिव वास एवं फल -:*
   18 + 18 + 5 =  41 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक,दुःख कारक
*?भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
11:32 से रात्रि 24:14  तक
मृत्यु लोक = सर्वकार्य विनाशिनी
*??    विशेष जानकारी   ??*
* कजरी तीज व्रत
* शिरोशिमा दिवस
* विशालाक्षी यात्रा
*???   शुभ विचार   ???*
तावन्मौनेन नीयन्ते कोकिलैश्चैव वासराः ।
यावत्सर्वजनानन्ददायिनी वाक् प्रवर्तते ।।
।।चा o नी o।।
   कोकिल तब तक मौन रहते है. जबतक वो मीठा गाने की क़ाबलियत हासिल नहीं कर लेते और सबको आनंद नहीं पंहुचा सकते.
*???  सुभाषितानि  ???*
गीता -: राजविद्याराजगुह्ययोग अo-09
न च मत्स्थानि भूतानि पश्य मे योगमैश्वरम्‌ ।,
भूतभृन्न च भूतस्थो ममात्मा भूतभावनः ॥,
वे सब भूत मुझमें स्थित नहीं हैं, किंतु मेरी ईश्वरीय योगशक्ति को देख कि भूतों का धारण-पोषण करने वाला और भूतों को उत्पन्न करने वाला भी मेरा आत्मा वास्तव में भूतों में स्थित नहीं है॥,5॥

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