हरियाणा सरकार पर उठ रहे सवाल, लॉकडाउन में शराब की बिक्री को लेकर कोंग्रेस लगातार कर रही विरोध

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हरियाणा में बीते कुछ दिनों में शराब का धंधा बड़े स्तर पर चल रहा है, जांच एजेंसियों के मुताबिक बीते कुछ समय में लॉकडाउन के समय भी शराब की खुलेआम अंधाधुंध विक्री की गई इसके साथ ही ये बताया गया कि लॉकडाउन के समय में शराब की 3 फैक्ट्रियों में उत्पादन भी होता आया है कोंग्रेस लगातार इसका जमकर विरोध कर रही है| कोंग्रेस के द्वारा हाई कोर्ट के सेटिंग जज की देखरेख में इस घोटाले की जाँच करवाने की मांग की गई है, विशेष दल के द्वारा की गई जांच के बाद सरकार के चेहरे से नकाब उतरता दिखाई पड़ रहा है|
हरियाणा कांग्रेस अध्‍यक्ष कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला ने खट्टर सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि कोरोना महामारी में लॉकडाऊन के दौरान हरियाणा में खुलेआम ‘शराब घोटाला’ हुआ और चोर दरवाजे से औने-पौने दाम पर शराब की बेहिसाब बिक्री और तस्करी हुई। शराब माफिया के तार सीधे-सीधे उच्च पदों पर बैठे राजनीतिज्ञों और आला अधिकारियों से जुड़े थे।
शराब माफिया और खट्टर सरकार के गठजोड़ पर सवाल उठाने पर स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन हुआ। पर मुख्यमंत्री ने आनन-फानन में 11 मई को एसआईटी को खारिज कर ‘स्पेशल इंक्वायरी टीम’ (एसईटी) का गठन कर दिया। कमाल की बात यह है कि इस एसईटी को ‘इन्वेस्टिगेशन’ यानि तफ्तीश का अधिकार ही नहीं था और न ही कानूनी वैधता थी। अब एसईटी ने 30 जुलाई को ‘आधी-अधूरी’ जांच रिपोर्ट दी, पर इसमें भी घोटाला उजागर हो गया।
दोनों कांग्रेस नेताओं ने कहा कि एक बात साफ है कि ‘ऑपरेशन कवरअप’ के तहत अब एसईटी की जांच के ऊपर एक और ‘विजिलेंस जांच’ बैठाई जाएगी यानि जांच पर जांच पर जांच और नतीजा वही ‘ढाक के तीन पात’। मतलब किसी तरह, किसी प्रकार से और किसी भी हालत में सरकार में बैठे बड़े-बड़े रसूखदारों-गुनाहगारों तक आंच न आए और शराब माफिया और उच्च पदों पर बैठे राजनीतिज्ञों और आला अफसरों के गठजोड़ पर पर्दा डाल दिया जाए।
सुरजेवाला और सैलजा ने कहा कि फिर भी ‘स्पेशल इंक्वायरी टीम’ (एसईटी) की रिपोर्ट से 10 चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। उनका कहना है कि एसईटी ने अपनी रिपोर्ट के शुरू में ही स्वीकारा कि उसे ‘इन्वेस्टिगेशन’ यानि तफ्तीश का कोई अधिकार नहीं दिया गया यानि न वह रिकॉर्ड खंगाल सकते थे, न गोदाम और डिस्टलरीज़ की जांच कर सकते थे, न कागजात जब्त कर सकते थे, न मुकदमा दर्ज कर सकते थे और न ही क्रिमिनल प्रोसीज़र कोड, 1973 की धारा 2 में अधिकारों का इस्तेमाल कर सकते थे।
एसईटी ने यह निष्कर्ष निकाला है कि 01 अप्रैल, 2019 से 10 मई, 2020 के बीच हरियाणा में जमकर नाजायज शराब की बिक्री हुई। एसईटी ने स्वीकारा कि लॉकडाऊन की अवधि में पुराने सालों का शराब का स्टॉक भी बेच डाला गया। शराब के ठेकों के नज़दीक शराब के स्टोर से निकालकर खुलेआम शराब बेची गई। लॉकडाऊन की अवधि में शराब की बिक्री पर रोक लगाने और शराब के ठेके बंद होने के बावजूद भी एक्साईज़ टैक्सेशन विभाग ने खुलकर शराब की ट्रांसपोर्टेशन के परमिट और पास जारी किए।
साफ है कि शराब माफिया द्वारा सरकार की मिलीभगत से शराब की तस्करी और बिक्री का खुला खेल खेला गया। उन्‍होंने कहा कि विशेष जांच टीम ने स्वीकारा कि लॉकडाऊन की अवधि में भी 01 अप्रैल से 05 मई, 2020 के बीच हरियाणा स्थित शराब की तीन फैक्ट्रियां शराब बनाती रहीं, लेकिन न जाने किन कारणों से एसईटी ने इन फैक्ट्रियों की जांच करने से लिखित तौर पर इंकार कर दिया।

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