आज का पंचांग 12 अगस्त 2020

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*********|| जय श्री राधे ||*********
?? *महर्षि पाराशर पंचांग* ??
??? *अथ  पंचांगम्* ???
*********ll जय श्री राधे ll*********
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*दिनाँक -: 12/08/2020,बुधवार*
अष्टमी, कृष्ण पक्ष
भाद्रपद
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ———अष्टमी 11:15:59           तक
पक्ष —————————कृष्ण
नक्षत्र ——–कृत्तिका 27:25:19
योग ————–वृद्वि 09:23:31
करण ———कौलव 11:15:58
करण ———–तैतुल 24:11:10
वार ————————–बुधवार
माह ————————-भाद्रपद
चन्द्र राशि    ——-मेष 07:35:44
चन्द्र राशि    ——————वृषभ
सूर्य राशि    ——————–कर्क
रितु —————————–वर्षा
आयन ——————दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक) —-2076
शाका संवत —————-1942
वृन्दावन
सूर्योदय —————-05:49:36
सूर्यास्त —————–18:58:20
दिन काल ————- 13:08:44
रात्री काल ————-10:51:46
चंद्रास्त —————-13:12:02
चंद्रोदय —————–24:15:51
लग्न —-कर्क 25°37′ , 115°37′
सूर्य नक्षत्र —————आश्लेषा
चन्द्र नक्षत्र —————–कृत्तिका
नक्षत्र पाया ——————–लोहा
*???  पद, चरण  ???*
अ —–कृत्तिका 07:35:44
ई —–कृत्तिका 14:14:05
उ —–कृत्तिका 20:50:41
ए —-कृत्तिका 27:25:19
*???  ग्रह गोचर  ???*
        ग्रह =राशी   , अंश  ,नक्षत्र,  पद
========================
सूर्य=कर्क 25°22 ‘ आश्लेषा ,      3   डे
चन्द्र = मेष 29°23 ‘ कृतिका ‘     1    अ
बुध = कर्क 19 °57 ‘   अश्लेषा  ‘   1    डी
शुक्र= मिथुन 09°55,   आर्द्रा  ‘     1    कु
मंगल=मीन  28°30’       रेवती  ‘ 4    ची
गुरु=धनु  25°22 ‘   पू oषा o ,    4   ढा
शनि=मकर 04°43’ उ oषा o   ‘ 3   जा
राहू=मिथुन 02°20  ‘  मृगशिरा ,   3  का
केतु=धनु  02 ° 20 ‘       मूल    , 1    ये
*???शुभा$शुभ मुहूर्त???*
राहू काल 12:24 – 14:03 अशुभ
यम घंटा 07:28 – 09:07 अशुभ
गुली काल 10:45 – 12:24  अशुभ
अभिजित 11:58 -12:50 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:58 – 12:50 अशुभ
?चोघडिया, दिन
लाभ 05:50 – 07:28 शुभ
अमृत 07:28 – 09:07 शुभ
काल 09:07 – 10:45 अशुभ
शुभ 10:45 – 12:24 शुभ
रोग 12:24 – 14:03 अशुभ
उद्वेग 14:03 – 15:41 अशुभ
चर 15:41 – 17:20 शुभ
लाभ 17:20 – 18:58 शुभ
?चोघडिया, रात
उद्वेग 18:58 – 20:20 अशुभ
शुभ 20:20 – 21:41 शुभ
अमृत 21:41 – 23:03 शुभ
चर 23:03 – 24:24* शुभ
रोग 24:24* – 25:46* अशुभ
काल 25:46* – 27:07* अशुभ
लाभ 27:07* – 28:29* शुभ
उद्वेग 28:29* – 29:50* अशुभ
?होरा, दिन
बुध 05:50 – 06:55
चन्द्र 06:55 – 08:01
शनि 08:01 – 09:07
बृहस्पति 09:07 – 10:13
मंगल 10:13 – 11:18
सूर्य 11:18 – 12:24
शुक्र 12:24 – 13:30
बुध 13:30 – 14:35
चन्द्र 14:35 – 15:41
शनि 15:41 – 16:47
बृहस्पति 16:47 – 17:53
मंगल 17:53 – 18:58
?होरा, रात
सूर्य 18:58 – 19:53
शुक्र 19:53 – 20:47
बुध 20:47 – 21:41
चन्द्र 21:41 – 22:36
शनि 22:36 – 23:30
बृहस्पति 23:30 – 24:24
मंगल 24:24* – 25:19
सूर्य 25:19* – 26:13
शुक्र 26:13* – 27:07
बुध 27:07* – 28:01
चन्द्र 28:01* – 28:56
शनि 28:56* – 29:50
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि N
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*?दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा  पिस्ताखाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*?  अग्नि वास ज्ञान  -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
       15 + 8 + 4 + 1 = 28  ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*?    शिव वास एवं फल -:*
    23 + 23 + 5 = 51  ÷ 7 = 2 शेष
गौरि सन्निधौ  = शुभ कारक
*?भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*??    विशेष जानकारी   ??*
* जन्माष्टमी व्रत (महोत्सव) वैष्णव
* सर्वार्थ सिद्धि योग
* संत ज्ञानेश्वर जयन्ती
*???   शुभ विचार   ???*
कुचैलिनं दन्तमलोपधारिणां
बह्वाशिनंनिष्ठुरभाषिणां च ।
सूर्योदये वाऽस्तमिते शयानं
विमुञ्चति श्रीर्यदि चक्रपाणिः ।।
।।चा o नी o।।
  जो अस्वच्छ कपडे पहनता है. जिसके दात साफ़ नहीं. जो बहोत खाता है. जो कठोर शब्द बोलता है. जो सूर्योदय के बाद उठता है. उसका कितना भी बड़ा व्यक्तित्व क्यों न हो, वह लक्ष्मी की कृपा से वंचित रह जायेगा.
*???  सुभाषितानि  ???*
गीता -: राजविद्याराजगुह्ययोग अo-09
अवजानन्ति मां मूढा मानुषीं तनुमाश्रितम्‌।,
परं भावमजानन्तो मम भूतमहेश्वरम्‌ ॥,
मेरे परमभाव को (गीता अध्याय 7 श्लोक 24 में देखना चाहिए) न जानने वाले मूढ़ लोग मनुष्य का शरीर धारण करने वाले मुझ संपूर्ण भूतों के महान्‌ ईश्वर को तुच्छ समझते हैं अर्थात्‌ अपनी योग माया से संसार के उद्धार के लिए मनुष्य रूप में विचरते हुए मुझ परमेश्वर को साधारण मनुष्य मानते हैं॥,11॥,

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