आज का पंचांग 16 अगस्त 2020

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*********|| जय श्री राधे ||*********
?? *महर्षि पाराशर पंचांग* ??
??? *अथ  पंचांगम्* ???
*********ll जय श्री राधे ll*********
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*दिनाँक-: 16/08/2020,रविवार*
द्वादशी, कृष्ण पक्ष
भाद्रपद
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ———द्वादशी 13:50:03       तक
पक्ष —————————-कृष्ण
नक्षत्र ————आर्द्रा07:01:53
योग —————वज्र 07:50:56
करण ———–तैतुल 13:50:03
करण ————–गर 25:17:53
वार ————————–रविवार
माह ————————-भाद्रपद
चन्द्र राशि    —मिथुन 24:51:53
चन्द्र राशि   ——————– कर्क
सूर्य राशि    ——-कर्क19:09:39
सूर्य राशि    ——————–सिंह
रितु —————————–वर्षा
आयन ——————दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर)————- प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक) —-2076
शाका संवत —————- 1942
वृन्दावन
सूर्योदय —————-05:51:38
सूर्यास्त —————–18:54:45
दिन काल ————–13:03:06
रात्री काल ————-10:57:23
चंद्रास्त —————-16:57:49
चंद्रोदय —————–27:36:39
लग्न —-कर्क 29°28′ , 119°28′
सूर्य नक्षत्र —————आश्लेषा
चन्द्र नक्षत्र ——————-आर्द्रा
नक्षत्र पाया ——————-रजत
*???  पद, चरण ???*
छ  —-आर्द्रा 07:01:53
के —- पुनर्वसु 13:01:23
को —- पुनर्वसु 18:58:02
हा —- पुनर्वसु 24:51:53
*???  ग्रह गोचर  ???*
        ग्रह =राशी   , अंश  ,नक्षत्र,  पद
========================
सूर्य=कर्क 29°22 ‘ आश्लेषा ,      4   डो
चन्द्र = मिथुन 16°23 ‘    आर्द्रा ‘     4  की
बुध = कर्क 27°57 ‘    अश्लेषा  ‘   4   डो
शुक्र= मिथुन 13°55,   आर्द्रा  ‘     3   ङ
मंगल=मीन  29°30’       रेवती  ‘ 4    ची
गुरु=धनु  24°22 ‘   पू oषा o ,    4   ढा
शनि=मकर 04°43’ उ oषा o   ‘ 3   जा
राहू=मिथुन 02°06  ‘  मृगशिरा ,   3  का
केतु=धनु  02 ° 06 ‘       मूल    , 1    ये
*???शुभा$शुभ मुहूर्त???*
राहू काल 17:17 – 18:55 अशुभ
यम घंटा 12:23 – 14:01 अशुभ
गुली काल 15:39 – 17:17  अशुभ
अभिजित 11:57 -12:49 शुभ
दूर मुहूर्त 17:10 – 18:03 अशुभ
?चोघडिया, दिन
उद्वेग 05:52 – 07:30 अशुभ
चर 07:30 – 09:07 शुभ
लाभ 09:07 – 10:45 शुभ
अमृत 10:45 – 12:23 शुभ
काल 12:23 – 14:01 अशुभ
शुभ 14:01 – 15:39 शुभ
रोग 15:39 – 17:17 अशुभ
उद्वेग 17:17 – 18:55 अशुभ
?चोघडिया, रात
शुभ 18:55 – 20:17 शुभ
अमृत 20:17 – 21:39 शुभ
चर 21:39 – 23:01 शुभ
रोग 23:01 – 24:23* अशुभ
काल 24:23* – 25:46* अशुभ
लाभ 25:46* – 27:08* शुभ
उद्वेग  27:08* – 28:30* अशुभ
शुभ 28:30* – 29:52* शुभ
?होरा, दिन
सूर्य 05:52 – 06:57
शुक्र 06:57 – 08:02
बुध 08:02 – 09:07
चन्द्र 09:07 – 10:13
शनि 10:13 – 11:18
बृहस्पति 11:18 – 12:23
मंगल 12:23 – 13:28
सूर्य 13:28 – 14:34
शुक्र 14:34 – 15:39
बुध 15:39 – 16:44
चन्द्र 16:44 – 17:49
शनि 17:49 – 18:55
?होरा, रात
बृहस्पति 18:55 – 19:50
मंगल 19:50 – 20:44
सूर्य 20:44 – 21:39
शुक्र 21:39 – 22:34
बुध 22:34 – 23:29
चन्द्र 23:29 – 24:23
शनि 24:23* – 25:18
बृहस्पति 25:18* – 26:13
मंगल 26:13* – 27:08
सूर्य 27:08* – 28:03
शुक्र 28:03* – 28:57
बुध 28:57* – 29:52
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*?दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा  चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*?  अग्नि वास ज्ञान  -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
  15 + 12 + 1 + 1 = 29  ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
*?    शिव वास एवं फल -:*
   27 + 27 + 5 = 59  ÷ 7 = 3 शेष
वृषभारूढ़  = शुभ कारक
*?भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*??    विशेष जानकारी   ??*
* प्रदोष व्रत (शिव पूजन)
* सिंहे सूर्य  19:12 संक्रान्ति
* श्री वृन्दावन देवाचार्य पाटोत्सव
* वत्स द्वादशी
*???   शुभ विचार   ???*
अयुक्तं स्वामिनो युक्तं युक्तं नीचस्य दूषणम् ।
अमृतं राहवे मृत्युर्विषं शंकरभूषणम् ।।
।।चा o नी o।।
   एक महान आदमी जब कोई गलत काम करता है तो उसे कोई कुछ नहीं कहता. एक नीच आदमी जब कोई अच्छा काम भी करता है तो उसका धिक्कार होता है. देखिये अमृत पीना तो अच्छा है लेकिन राहू की मौत अमृत पिने से ही हुई. विष पीना नुकसानदायी है लेकिन भगवान् शंकर ने जब विष प्राशन किया तो विष उनके गले का अलंकार हो गया.
*???  सुभाषितानि  ???*
गीता -: राजविद्याराजगुह्ययोग अo-09
ज्ञानयज्ञेन चाप्यन्ते यजन्तो मामुपासते।,
एकत्वेन पृथक्त्वेन बहुधा विश्वतोमुखम्।,।,
दूसरे ज्ञानयोगी मुझ निर्गुण-निराकार ब्रह्म का ज्ञानयज्ञ द्वारा अभिन्नभाव से पूजन करते हुए भी मेरी उपासना करते हैं और दूसरे मनुष्य बहुत प्रकार से स्थित मुझ विराट स्वरूप परमेश्वर की पृथक भाव से उपासना करते हैं।,।,15।,।,

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