मेरठ में करीब 35 करोड़ की एनसीईआरटी की नकली पुस्तकें बरामद होने के पीछे एसटीएफ ने पूरा होमवर्क किया था। आर्मी इंटेलीजेंस की सटीक सूचना पर एसटीएफ का सिपाही ग्राहक बनकर बाइक से गोदाम पर पहुंचा था। जहां नकली पुस्तकों का भंडार देखते ही उसने छापे का इशारा कर दिया। वहां मौजूद कर्मचारी कुछ समझ नहीं पाए और कुछ ही देर में एसटीएफ और पुलिस बल वहां छापा मारने पहुंच गया।
एसटीएफ का एक सिपाही बाइक से शुक्रवार दोपहर करीब दो बजे परतापुर थाना क्षेत्र के अच्छरौंडा में बने एक गोदाम पर पहुंचा। खुद को ग्राहक बताकर गोदाम का गेट खुलवाया। पुस्तकों के बारे में पूछते-पूछते अंदर घुस गया।
वहीं अंदर देखा तो गोदाम के कर्मचारी और श्रमिक एक वाहन में किताबों को लाद रहे थे। सिपाही ने पुस्तकों को देख पल भर में माजरा समझ लिया। बातों-बातों में ही उसने गोदाम से कुछ दूर मौजूद एसटीएफ और परतापुर पुलिस की संयुक्त टीम को छापा मारने का इशारा पहुंचा दिया।
धड़धड़ाते हुआ घुसा पुलिस बल
सिपाही का इशारा पाते ही एसटीएफ और परतापुर थाने की पुलिस किसी को मौका दिए बिना गोदाम में धड़धड़ाते हुए घुस गई। जिसके बाद वहां अफरातफरी मच गई। संयुक्त टीम ने उस वाहन को कब्जे में ले लिया, जिसमें पुस्तकें लादी गई थीं। ये सभी पुस्तकें एनसीईआरटी की फर्जी पुस्तकें बताईं गईं। पुलिस ने गोदाम की छानबीन शुरू की, जिसमें एनसीईआरटी की नकली पुस्तकें मिलीं।
360 तरह की किताबें
बताया गया कि मौके से 360 तरह की अलग-अलग पुस्तकें मिलीं। सीओ ब्रह्मपुरी चक्रपाणि त्रिपाठी का कहना है कि एनसीईआरटी प्रशासन को इसकी जानकारी दी गई है। वहीं, सवाल है कि इन लोगों को एनसीईआरटी की नकली पुस्तकें छापने की अनुमति किसने दी।