चांदनी चौक इलाके में आर्थिक तंगी के चलते दो भाइयों ने की खुदकुशी, मासूम की पिटाई पर डी. सी. पी. सी. आर. ने भेजा आरके पुरम एसएचओ को नोटिस

0
चांदनी चौक इलाके में आर्थिक तंगी के चलते दो भाइयों ने की खुदकुशी
राजधानी दिल्ली के चांदनी चौक इलाके में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां दो सगेइलाके में भाइयों ने एकसाथ फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, दोनों भाई जूलरी का बिजनस करते थे लेकिन लॉकडाउन की वजह से धंधा लगभग शुन्य हो गया था। दोनों के ऊपर भारी लोन था, जिसकी वजह से उन्होंने आत्महत्या कर ली।
पुलिस के मुताबिक दोनों भाइयों के नाम अर्पित और अंकित हैं। मिली जानकारी के अनुसार आज दोपहर करीब 3 बजे के आसपास पुलिस को घटना की सूचना मिली। मौके से पुलिस को सुसाइड नोट बरामद हुआ है। हालांकि उसमें किसी के नाम का जिक्र नहीं है।
सुसाइड नोट में लिखा है कि वे अपने खराब आर्थिक हालातों की वजह से आत्महत्या कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि दोनों पर भारी कर्ज हो गया था, और व्यापार में भी लगातार घाटा हो रहा था, इसलिए दोनों ने आत्महत्या कर ली।दिल्ली पुलिस ने दोनों के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस मामले की जांच में जुटी है।
किशोर की पिटाई के वायरल वीडियो पर DCPCR ने लिया स्वत: संज्ञान, आरके पुरम SHO को भेजा नोटिस
दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने किशोर की पिटाई के वायरल वीडियो का संज्ञान लिया। ऊस विडियो में आरके पुरम एरिया में एक पुलिसकर्मी द्वारा एक किशोर के साथ मारपीट की गई है। और पूरे घटनाक्रम को एक अन्य पुलिसकर्मी खड़े होकर देख रहा है। कथित तौर पर लड़का भोजन की तलाश में देर रात सड़क पर भटक रहा था।
आयोग ने पुलिस अधिकारियों की इस तरह की मनमानी और उदासीनता की कड़ी निंदा की है। डीसीपीसीआर ने एसएचओ को एक नोटिस जारी किया है। जिसमें उसे शामिल दोनों अधिकारियों की पहचान करने का निर्देश दिया गया है,
किसी लोक सेवक द्वारा नियमों की अवहेलना करने, जिससे किसी को गंभीर चोट भी लग सकती है, इस आरोप में उन पुलिस कर्मियों पर आईपीसी की धारा 166 के तहत केस दर्ज करने के लिए भी कहा गया है। साथ ही, किसी को चोट पहुंचाने के लिए आईपीसी की धारा 321, 322 और किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 75, बच्चे को क्रूरता के लिए दंड से संबंधित धारा भी शामिल करने का निर्देश दिया गया है।
सरकारी अधिकारियों द्वारा इस तरह के कृत्य भारत के संविधान की भावना के खिलाफ हैं। और बच्चों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं, इस तरह की हरकतें पुलिस बल की छवि को धूमिल करती हैं और उनके अच्छे काम को धूमिल कर देती हैं। आयोग इस मामले को आगे बढ़ाएगा और न्याय दिलाएगा।
भावेश पिपलिया
संवाददाता राष्ट्रीय जजमेन्ट (दिल्ली)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More