आज का पंचांग 27 अगस्त 2020

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*********|| जय श्री राधे ||*********
?? *महर्षि पाराशर पंचांग* ??
??? *अथ  पंचांगम्* ???
*********ll जय श्री राधे ll*********
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*दिनाँक -: 27/08/2020,गुरुवार*
नवमी, शुक्ल पक्ष
भाद्रपद
“””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ———-नवमी 09:24:36         तक
पक्ष —————————-शुक्ल
नक्षत्र ———-ज्येष्ठा 12:36:12
योग ———विश्कुम्भ 17:36:04
करण ———कौलव 09:24:36
करण ———–तैतुल 20:57:47
वार ————————-गुरूवार
माह ————————-भाद्रपद
चन्द्र राशि —–वृश्चिक 12:36:12
चन्द्र राशि ———————-धनु
सूर्य राशि    ———————सिंह
रितु —————————–वर्षा
आयन ——————-दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक)——2076
शाका संवत —————-1942
वृन्दावन
सूर्योदय —————-05:57:00
सूर्यास्त —————–18:43:47
दिन काल ————–12:46:47
रात्री काल ————-11:13:41
चंद्रोदय —————-14:25:40
चंद्रास्त —————–25:04:43
लग्न —- सिंह 10°4′ , 130°4′
सूर्य नक्षत्र ——————–मघा
चन्द्र नक्षत्र ——————-ज्येष्ठा
नक्षत्र पाया ——————–ताम्र
*???  पद, चरण ???*
यी —-ज्येष्ठा 06:40:21
यू —-ज्येष्ठा 12:36:12
ये —-मूल 18:33:44
यो —-मूल 24:32:56
*???  ग्रह गोचर  ???*
        ग्रह =राशी   , अंश  ,नक्षत्र,  पद
========================
सूर्य=सिंह 10°22 ‘    मघा    ,      4   मे
चन्द्र = वृश्चिक 26°23 ‘ ज्येष्ठा’     3    यी
बुध = सिंह 19°57 ‘ पू oफा o ‘   2   टा
शुक्र= मिथुन 24°55, पुनर्वसु  ‘     2   को
मंगल=मेष  02°30’      अश्विनी ‘ 1    चु
गुरु=धनु  24°22 ‘   पू oषा o ,    4   ढा
शनि=मकर 04°43’ उ oषा o   ‘ 3   जा
राहू=मिथुन 01°30  ‘  मृगशिरा ,   3  का
केतु=धनु  01 ° 30 ‘       मूल    , 1    ये
*???शुभा$शुभ मुहूर्त???*
राहू काल 13:56 – 15:32 अशुभ
यम घंटा 05:57 – 07:33 अशुभ
गुली काल 09:09 – 10:45  अशुभ
अभिजित 11:55 -12:46 शुभ
दूर मुहूर्त 10:13 – 11:04 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:19 – 16:10 अशुभ
?गंड मूल अहोरात्र अशुभ
?चोघडिया, दिन
शुभ 05:57 – 07:33 शुभ
रोग 07:33 – 09:09 अशुभ
उद्वेग 09:09 – 10:45 अशुभ
चर 10:45 – 12:20 शुभ
लाभ 12:20 – 13:56 शुभ
अमृत 13:56 – 15:32 शुभ
काल 15:32 – 17:08 अशुभ
शुभ 17:08 – 18:44 शुभ
?चोघडिया, रात
अमृत 18:44 – 20:08 शुभ
चर 20:08 – 21:32 शुभ
रोग 21:32 – 22:56 अशुभ
काल 22:56 – 24:21* अशुभ
लाभ 24:21* – 25:45* शुभ
उद्वेग 25:45* – 27:09* अशुभ
शुभ 27:09* – 28:33* शुभ
अमृत 28:33* – 29:57* शुभ
?होरा, दिन
बृहस्पति 05:57 – 07:01
मंगल 07:01 – 08:05
सूर्य 08:05 – 09:09
शुक्र 09:09 – 10:13
बुध 10:13 – 11:16
चन्द्र 11:16 – 12:20
शनि 12:20 – 13:24
बृहस्पति 13:24 – 14:28
मंगल 14:28 – 15:32
सूर्य 15:32 – 16:36
शुक्र 16:36 – 17:40
बुध 17:40 – 18:44
?होरा, रात
चन्द्र 18:44 – 19:40
शनि 19:40 – 20:36
बृहस्पति 20:36 – 21:32
मंगल 21:32 – 22:28
सूर्य 22:28 – 23:24
शुक्र 23:24 – 24:21
बुध 24:21* – 25:17
चन्द्र 25:17* – 26:13
शनि 26:13* – 27:09
बृहस्पति 27:09* – 28:05
मंगल 28:05* – 29:01
सूर्य 29:01* – 29:57
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*?दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा  केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*?  अग्नि वास ज्ञान  -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
  9 + 5 + 1 = 15  ÷ 4 = 3शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*?    शिव वास एवं फल -:*
   9 + 9 + 5 = 23  ÷ 7 = 2 शेष
गौरि सन्निधौ  = शुभ कारक
*?भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*??    विशेष जानकारी   ??*
* श्री चन्द्र नवमी
* गौरि विसर्जन
* अदुःख नवमी
*???   शुभ विचार   ???*
छिन्नोऽपि चंदनतरुर्न जहाति गन्धं
वृध्दोऽपि वारणपतिर्न जहाति लीलाम् ।
यंत्रार्पितो मधुरतां न जहाति चेक्षुः
क्षीणोऽपि न त्यजति शीलगुणान् कुलीनः ।।
।।चा o नी o।।
   चन्दन कट जाने पर भी अपनी महक नहीं छोड़ते. हाथी बुढा होने पर भी अपनी लीला नहीं छोड़ता. गन्ना निचोड़े जाने पर भी अपनी मिठास नहीं छोड़ता. उसी प्रकार ऊँचे कुल में पैदा हुआ व्यक्ति अपने उन्नत गुणों को नहीं छोड़ता भले ही उसे कितनी भी गरीबी में क्यों ना बसर करना पड़े.
*???  सुभाषितानि  ???*
गीता -: राजविद्याराजगुह्ययोग अo-09
पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति ।,
तदहं भक्त्युपहृतमश्नामि प्रयतात्मनः ॥,
जो कोई भक्त मेरे लिए प्रेम से पत्र, पुष्प, फल, जल आदि अर्पण करता है, उस शुद्धबुद्धि निष्काम प्रेमी भक्त का प्रेमपूर्वक अर्पण किया हुआ वह पत्र-पुष्पादि मैं सगुणरूप से प्रकट होकर प्रीतिसहित खाता हूँ॥,26॥,

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