एक समय ऐसा था कि पूर्व कैबिनेट मंत्री व समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खां की तूती बोलती थी। उनके खिलाफ कोई बोलने की हिम्मत नही करता था। समाजवादी पार्टी में उनका एक छत्र राज्य था। मुस्लिमों के वे एकमात्र चेहरे के रूप में वे प्रतिस्थापित हो चुके थे। समाजवादी पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के संस्थापक अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी और विश्वासपात्र होने की वजह से वे जो कहते थे, वही होता था। पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां की बात काटने का साहस किसी मे नही था। उनका एकछत्र राज्य था, यह भी कह दें, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। जिसे चाहते फर्श से उठा कर अर्श पर बिठा देते ।और जिसे जब चाहते, सरेआम बेइज्जती कर देते। उनका यह आलम था कि सिर्फ रामपुर में ही नहीं, पूरे उत्तर प्रदेश में उसी मुस्लिम को टिकट मिलता, जिस पर अपनी मुहर आजम खां लगाते। लेकिन जब अखिलेश यादव ने पार्टी की कमान संभाली, उसके बाद उनके रुतबे में कुछ कमी महसूस की गई। कई बार उनका यह दर्द मीडिया के सामने भो जाहिर हुआ।
उनके इस रुतबे से समाजवादी पार्टी के कुछ खुद्दार समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को कष्ट होता था। कई लोगों ने उनके खिलाफ आलाकमान के सामने अपनी बात भी रखी । लेकिन उनकी सुनवाई तो हुई, लेकिन कार्रवाई नही हुई। बेबाक टिप्पणीकार होने की वजह से भाजपा पर सबसे धारदार हमले वे करते रहे। जिसका गलत संदेश जनता में जा रहा था। इस कारण भाजपा ने उन्हें नाथने का प्लान बनाया । आजम खां जिस जौहर विश्वविद्यालय की तारीफ करते हुए नही थकते थे, भाजपा ने उनके उसी जौहर विश्वविद्यालय में उलझाने और घेरने की रणनीति बनाई । सबसे पहले उन्होंने ऐसे लोगों की लिस्ट तैयार की, जो प्रशासन और सरकार में आजम खां के बेहद करीबी रहे।
इसके बाद उन्होंने ऐसे अधिकारियों की लिस्ट तैयार की, जिन्हें आजम खां ने कभी न कभी बेइज्जत किया था, या उन्हें प्रताड़ित किया था । इन दोनों प्रकार के अधिकारियों से आजम खां के संबंध में, उनके जौहर विश्वविद्यालय के संबंध में मालूमात की। जो लोग आजम खां के करीबी रहे, उनसे राज उगलवाने के लिए सरकार ने उनकी पूरी जन्म कुंडली निकाली, इसके बाद जब उनकी मुश्कें कसी, तो उन्होंने सारा सच, और सारे वाकये बयान कर दिये। लेकिन जो अधिकारी आजम खां से पीड़ित रहे, जिन्हें आजम खां ने सरेआम बेइज्जत किया। उन्होंने आगे बढ़ कर अपनी ओर से सरकार की मदद की। इस प्रकार उत्तर प्रदेश सरकार ने उनकी हर गलती को खोज निकाला।
इसके वादउसे कानूनविदों को दे दिया गया। इसके अलावा अपने सामाजिक लोगों से पार्टी से उन लोगों की भी फेहरिस्त बनवाई, जो आजम खां के बेहद करीबी थे, जो रामपुर आने पर आजम खा के इर्द गिर्द देखे जाते थे। इसके अलावा ऐसे सिविलियन की भी लिस्ट बनवाई, जो आजम खां से कभी न कभी पीड़ित हो चुके थे। उन सभी से सारी सूचनाएं इकट्ठा करके उन पाए कानूनी राय ली गई। उनके बेटे की फर्जी प्रमाणपत्र संबंधी सभी जानकारी इसी तरह जुटाई गई । उनको गिरफ्तार करने के पूर्व ऐसी घेराबंदी की गई कि उन्हें इस प्रकार गिरफ्तार किया जाए, जिससे किसी प्रकार का समाजवादी पार्टी आंदोलन ने खड़ा कर सके। इसी कारण रिमांड के नाम पर जनप्रतिनिधि बेटे और पत्नी सहित उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत के नाम पर गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया। और फिर इस तरह से सारी न्यायिक प्रक्रियाएं पूरी की गई कि आज तक आजम खां जेल से बाहर नही आ सके।
समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता रहे आजम खां से मिलने का सिलसिला कुछ दिन चला। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित तमाम कद्दावर नेता उनसे मिले, आवाज भी उठाई कि आजम खां के साथ एक जनप्रतिनिधि के रूप में व्यवहार नही किया जा रहा है। उनके साथ ज्यादती हो रही है। और उन्हें जान से मारने की साजिश की जा रही। सरकार यही चाहती थी कि इसी प्रकार के विचार जनता के बीच मे जाएं, जिससे आजम खां के खिलाफ जो कार्रवाई की गई, उसका एक अच्छा संदेश जाए। आजम खां की आपराधिक गतिविधियों और छल की वजह से पार्टी कोई बड़ा आंदोलन करने में नाकाम रही । हालांकि आजम खां के पक्ष में आज भी कहीं न कहीं से अन्याय की आवाज सुनाई देती है। लेकिन उसका कोई मतलब नही है ।
इन दिनों कोरोना – पर्यावरण जागरूकता अभियान शहीद सम्मान यात्रा के तहत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जागरूकता अभियान चला रहा हूँ। कार्य कोई भी हो, विषय कोई हो, लोग हर चर्चा परिचर्चा में राजनीति पर चर्चा कर लेते है। अपनी यात्राओं के दौरान मैं देख रहा हूँ कि मुस्लिम बाहुल्य पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रामपुर की तरह वही होता रहा, जो पूर्व कैबिनेट मंत्री जनाब आजम खां चाहते हैं । पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों की अधिक संख्या होने के कारण यहां की समाजवादी राजनीति आजम खां के ही इर्द गिर्द घूमती रहती थी। लोगों से हो रही चर्चा को सुन कर ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश में सरकार का मुख्यमंत्री कोई भी हो, लेकिन समाजवादी सरकार के होने पर व्यक्तिगत मामलों पर आजम खां की चलती रही। इस कारण दूसरे लोग ही नही, पश्चिम उत्तर प्रदेश का ऐसा मुस्लिम जो आजम खां से या उनके आदमियों सेइत्तेफाक नहीं रखता रहा,
वह समाजवादी राजनीति के हाशिये से आगे नही बढ़ सका । इस कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हिंदुओं के साथ साथ मुसलमानों का एक तबका ऐसा है, जो आजम खां की वजह से भाजपा के साथ खड़ा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश घूमते समय मुझे भाजपा के कई ऐसे पदाधिकारियों के बोर्ड दिखे। जो मुसलमानों के हैं और यहां कोई ऐसा गांव नही मिला, जहां आजम खां की वजह से कोई न कोई मुस्लिम समुदाय परेशान न हुआ हो । पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के प्रति हिन्दुओ का जो ध्रुवीकरण हुआ, उसका भी एक कारण आजम खां ही रहे। आजम खां का वरदहस्त पाए लोगों ने हिन्दुओ पर ही नही, मुसलमानों पर भी बेइंतहा जुल्म ढाए। ऐसे ही पीड़ित लोग उत्तर सरकार के मददगार बने और आजम खां संबंधी छोटी से छोटी हर हरकत की जानकारी जुटाने में सरकार का सहयोग किया। वैसे भी आज जब आजम खां अपने पूरे परिवार के साथ जेल में बंद हैं, उनके कारनामों की लोग कुछ अधिक ही चर्चा कर रहे हैं
। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खां भाजपा के छोटे से बड़े कार्यकर्ताओं के आंख की किरकिरी बने हुए थे। मीडिया के सामने बोली गई उनकी हर एक बात उन्हें चुभती थी। भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा भाजपा के पास यह भी सूचना थी कि जब तक आजम खां ताकत में या बाहर रहेंगे, तब तक उनके लोग मतदान में ज्यादती करते रहेंगे। रामपुर से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी जीतती रहेगी । चाहे हिन्दू मुस्लिम का कितना भी ध्रुवीकरण किया जाए। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का मूल वोटर यादव भी कहीं न कहीं उनके द्वारा अपमानित होता रहा है, उनके लोगों द्वारा अपमानित होता रहा। इस कारण समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खां के सिपहसालारों से अलग होकर कोई राय कायम नही रख पाता था।
वैसे भी उसकी निष्ठा अखिलेश यादव व मुलायम सिंह में रहती है, इस कारण वह वोट देता है, और दिलाता है। इस क्षेत्र में हर वर्ग व जाति के लोग मुसलमानो के प्रतिष्ठानों पर रोजी के लिए नौकरी भी करते हैं, इसलिए ध्रुवीकरण के बाद भी समाजवादी पार्टी को वोट मिलता है। लेकिन एक बात तो जरूर है कि आजम खां के न रहने पर उनका स्थान लेने की भी जद्दोजहद यहां के मुस्लिम सपा नेताओं में हो रही है। अब अखिलेश का वरदहस्त किस पर होता है। यह तो समय बताएगा। लेकिन एक बात जरूर है, जो मैं देख पा रहा हूँ, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यादवों और मुसलमानों को छोड़ दें, तो अधिकांश जातियाँ हिन्दू के नाम पर वोट देने की बात करती हैं ।
आभी कल ही बात है, आजम खां के साथ आरोपी उनके दो सहयोगियों की संपत्ति को कुर्क कर उनको गिरफ्तार करने की कवायद तेज कर दी है। हर रोज उनके ही मुस्लिम समुदाय द्वारा जो सूचनाये दी जा रही हैं, जो आजम खां से पीड़ित रहे हैं, या उनके जो निकटस्थ रहे है, उनसे किसी न किसी तरह उगलवाया जा रहा है। यह किसी को पता नही कि सरकार के पास आजम खां के खिलाफ सरकार और प्रशासन ने कितने सबूत इकट्ठा कर रखे हैं । लेकिन एक बात तो सही है कि आजम खां के बहाने सरकार यह संदेश देने में कामयाब हो गई है कि कोई कितना बड़ा क्यों न हो, आजम खां की तरह सरकार उसे भी नही बख्शेगी । इस तरह आज भाजपा सरकार में अंदर से मुसलमान भयभीत है, इसी कारण ज्यादातर संयमित हो गया है।