आज का पंचांग 30 अगस्त 2020

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***|| जय श्री राधे ||***
?? महर्षि पाराशर पंचांग ??
??? अथ पंचांगम् ???
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक-: 30/08/2020,रविवार
द्वादशी, शुक्ल पक्ष
भाद्रपद
“””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ———द्वादशी 08:20:48 तक
पक्ष —————————शुक्ल
नक्षत्र —–उत्तराषाढा 13:50:57
योग ———-सौभाग्य 13:56:09
करण ———-बालव 08:20:48
करण ———कौलव 20:31:35
वार ————————–रविवार
माह ————————-भाद्रपद
चन्द्र राशि ——————-मकर
सूर्य राशि ———————–सिंह
रितु —————————–वर्षा
आयन —————– दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक) —-2076
शाका संवत —————-1942
वृन्दावन
सूर्योदय —————-05:58:24
सूर्यास्त —————–18:40:34
दिन काल ————-12:42:09
रात्री काल ————-11:18:17
चंद्रोदय —————-17:07:34
चंद्रास्त —————–27:55:50
लग्न —- सिंह 12°58′ , 132°58′
सूर्य नक्षत्र ——————–मघा
चन्द्र नक्षत्र ————–उत्तराषाढा
नक्षत्र पाया ——————–ताम्र
??? पद, चरण ???
जा —-उत्तराषाढा 07:36:28
जी —-उत्तराषाढा 13:50:57
खी —-श्रवण 20:06:49
खू —-श्रवण 26:24:07
??? ग्रह गोचर ???
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
========================
सूर्य=सिंह 12°52 ‘ मघा , 4 मे
चन्द्र = मकर05°23 ‘ उ ०षा०’ 3 जा
बुध = सिंह 24°57 ‘ पू oफा o ‘ 4 टू
शुक्र= मिथुन 28°55, पुनर्वसु ‘ 3 हा
मंगल=मेष 03°30’ अश्विनी ‘ 1 चु
गुरु=धनु 23°22 ‘ पू oषा o , 4 ढा
शनि=मकर 04°43’ उ oषा o ‘ 3 जा
राहू=मिथुन 01°20 ‘ मृगशिरा , 3 का
केतु=धनु 01 ° 20 ‘ मूल , 1 ये
???शुभा$शुभ मुहूर्त???
राहू काल 17:05 – 18:41 अशुभ
यम घंटा 12:19 – 13:55 अशुभ
गुली काल 15:30 – 17:05 अशुभ
अभिजित 11:54 -12:45 शुभ
दूर मुहूर्त 16:59 – 17:50 अशुभ
?चोघडिया, दिन
उद्वेग 05:58 – 07:34 अशुभ
चर 07:34 – 09:09 शुभ
लाभ 09:09 – 10:44 शुभ
अमृत 10:44 – 12:19 शुभ
काल 12:19 – 13:55 अशुभ
शुभ 13:55 – 15:30 शुभ
रोग 15:30 – 17:05 अशुभ
उद्वेग 17:05 – 18:41 अशुभ
?चोघडिया, रात
शुभ 18:41 – 20:05 शुभ
अमृत 20:05 – 21:30 शुभ
चर 21:30 – 22:55 शुभ
रोग 22:55 – 24:20* अशुभ
काल 24:20* – 25:45* अशुभ
लाभ 25:45* – 27:09* शुभ
उद्वेग 27:09* – 28:34* अशुभ
शुभ 28:34* – 29:59* शुभ
?होरा, दिन
सूर्य 05:58 – 07:02
शुक्र 07:02 – 08:05
बुध 08:05 – 09:09
चन्द्र 09:09 – 10:12
शनि 10:12 – 11:16
बृहस्पति 11:16 – 12:19
मंगल 12:19 – 13:23
सूर्य 13:23 – 14:27
शुक्र 14:27 – 15:30
बुध 15:30 – 16:34
चन्द्र 16:34 – 17:37
शनि 17:37 – 18:41
?होरा, रात
बृहस्पति 18:41 – 19:37
मंगल 19:37 – 20:34
सूर्य 20:34 – 21:30
शुक्र 21:30 – 22:27
बुध 22:27 – 23:23
चन्द्र 23:23 – 24:20
शनि 24:20* – 25:16
बृहस्पति 25:16* – 26:13
मंगल 26:13* – 27:09
सूर्य 27:09* – 28:06
शुक्र 28:06* – 29:02
बुध 29:02* – 29:59
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
?दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
? अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
12 + 1 + 1 = 14 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
? शिव वास एवं फल -:
12 + 12 + 5 = 29 ÷ 7 = 1 शेष
कैलाश वास = शुभ कारक
?भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
?? विशेष जानकारी ??
* प्रदोष व्रत (शिव पूजन)
* सर्वार्थ सिद्धि योग 13:51 तक
* लघु उद्योग दिवस
* माँ भुवनेश्वरी जयन्ती
??? शुभ विचार ???
आपदर्थे धनं रक्षेद्दारान् रक्षेध्दनैरपि ।
आत्मानं सततं रक्षेद्दारैरपि धनैरपि ।।
।।चा o नी o।।
व्यक्ति को आने वाली मुसीबतो से निबटने के लिए धन संचय करना चाहिए। उसे धन-सम्पदा त्यागकर भी पत्नी की सुरक्षा करनी चाहिए। लेकिन यदि आत्मा की सुरक्षा की बात आती है तो उसे धन और पत्नी दोनो को तुक्ष्य समझना चाहिए।
??? सुभाषितानि ???
गीता -: राजविद्याराजगुह्ययोग अo-09
समोऽहं सर्वभूतेषु न मे द्वेष्योऽस्ति न प्रियः ।,
ये भजन्ति तु मां भक्त्या मयि ते तेषु चाप्यहम्‌ ॥,
मैं सब भूतों में समभाव से व्यापक हूँ, न कोई मेरा अप्रिय है और न प्रिय है, परंतु जो भक्त मुझको प्रेम से भजते हैं, वे मुझमें हैं और मैं भी उनमें प्रत्यक्ष प्रकट (जैसे सूक्ष्म रूप से सब जगह व्यापक हुआ भी अग्नि साधनों द्वारा प्रकट करने से ही प्रत्यक्ष होता है, वैसे ही सब जगह स्थित हुआ भी परमेश्वर भक्ति से भजने वाले के ही अंतःकरण में प्रत्यक्ष रूप से प्रकट होता है) हूँ॥,29॥,

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