जर्जर सरकारी आवासों में रहने को मजबूर हैं जनता के रखवाले पुलिस कर्मी

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आगरा । यूं तो विकास के लिए करोड़ों रुपए की योजना आ रही है लेकिन आगरा पुलिस के जवान जर्जर भवन में रह रहे हैं । पुलिस कर्मियों की जान की फिक्र किसी को नहीं है । दूसरों की सुरक्षा के लिए दिन-रात जूझने वाले पुलिसकर्मी खुद असुरक्षित हैं। सिर पर छत है, लेकिन महफूज नहीं। कुछ दिन पहले कानपुर पुलिस लाइन में बैरक की दीवार ढहने का हादसा इसकी ताजा नजीर है। उत्तर प्रदेश में अंग्रेजों के जमाने में बनी कई पुलिस लाइन व पुलिस भवन अब जर्जर हो चुके हैं। इसके बाद भी पुलिसकर्मी व उनके परिवारीजन उनमें रहने को मजबूर हैं।
यहां तो पुलिसकर्मी खुद असुरक्षित, पुलिस क्लब व पुलिस आवास रकाबगंज के जर्जर भवन बने मुसीबत, पर रहने को मजबूर पुलिस के जवान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने करीब तीन साल पहले लखनऊ पुलिस लाइन के दौरे में पुलिसकर्मियों की इस पीड़ा को महसूस किया था। इसी के बाद उन्होंने पुलिस आधुनिकीकरण के साथ पुलिस के आवासीय व अनावासीय भवनों के निर्माण के लिए भी सरकारी खजाने का मुंह खोल दिया था। वर्तमान में पुलिस विभाग में करीब 2745 करोड़ रुपये के निर्माण कार्य प्रस्तावित हैं। इनमें कई निर्माण कार्य प्रगति पर हैं।
पुलिस भवनों की जर्जर स्थिति को भांपते हुए एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बारिश का मौसम शुरू होते ही छह जुलाई को सभी जिलों के एसएसपी व एसपी को पत्र लिखकर जर्जर भवनों का निरीक्षण व मरम्मत कराने के लिए आगाह किया था। एडीजी ने जर्जर भवनों में रह रहे और काम कर रहे पुलिसकर्मियों को दूसरे स्थानों पर शिफ्ट किए जाने की बात भी कही थी।
अब कुछ दिन पहले कानपुर में हुई घटना ने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों के बाद भी जिलों में अनदेखी व पुलिसकर्मियों के असुरक्षित भवनों में रहने को मजबूर होने की कलई खोल दी है। आगरा में पुलिस लाइंस की स्थापना वर्ष 1942 में हुई थी। ऐसे ही कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, मेरठ व अन्य बड़े शहरों की पुलिस लाइन भी अंग्रेजों के जमाने में ही वजूद में आई थीं। इसमें से कई भवन अब रहने लायक नहीं रहे हैं।
एडीजी ने बताया कि वर्तमान में पुलिस विभाग में करीब 2745.44 करोड़ के आवासीय व अनावासीय भवनों के 582 भवनों के निर्माण की स्वीकृति शासन से मिल चुकी है। 1069 करोड़ से अधिक की धनराशि निर्माण कार्यों के लिए अवमुक्त भी की जा चुकी है। इसके अलावा करीब 100 निर्माण कार्य और प्रस्तावित हैं। 44 जिलों की पुलिस लाइन में नए ट्रांजिट हास्टल भी बनने हैं। इसके अलावा पुरुष व महिला आरक्षियों के लिए बैरकों व हास्टल का निर्माण जल्द पूरा किए जाने का लक्ष्य है।
रिपोर्ट -इजहार अहमद, आगरा 

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