अब कॉकरोच, खटमल, दीमक और कीट-पतंगों का हर्बल गोलियों से होगा सफाया

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कानपुर,। पीटीटीआइ के विशेषज्ञ घरों में छिपे कॉकरोच, खटमल, दीमक और खेतों में लगने वाले कीट-पतंगों को हर्बल तरीके से दूर भगाएंगे। वह ऐसी गोलियां बनाएंगे,

 

जिनसे घर का वातावरण सुगंधित रहेगा। खेतों में भी हानिकारक कीटनाशकों की जगह इनका उपयोग किया जा सकेगा। यह तरीका पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा। 
प्रदेश सरकार से संस्थान को 10 लाख रुपये का प्रोजेक्ट मिला है, जिससे यह तकनीक विकसित की जाएगी। यूपीटीटीआइ के प्रो. नीलू कांबो ने बताया कि
घरों से निकलने वाले बायोलॉजिकल वेस्ट से हर्बल कीटनाशक तैयार किए जाएंगे। यह तकनीक पूरी तरह से ग्रीन केमिस्ट्री पर आधारित होगी। सरकार की ओर से 10 लाख रुपये का प्रोजेक्ट है।
घरों से निकलने वाले भोजन, सब्जियों के अवशेषों को एकत्रित किया जाएगा। उन्हें सुखाकर जरूरी कंपोनेंट्स (अवयव) को अलग किया जाएगा।
कोई पाउडर के रूप में तैयार कर लिया जाएगा तो कोई पेस्ट के रूप में तैयार होगा। अब उन्हें अलग अलग तरह से निर्धारित तापमान में रखा जाएगा।
इसके बाद उनसे टेस्टिंग की जाएगी। यह प्रक्रिया पूरी तरह से जैविक होगी। उसमें प्रयोग होने वाले तत्वों का पेटेंट कराया जाएगा।
गोलियों और पाउडर को कई तरह के कीड़ों के लार्वा पर टेस्ट किया जाएगा। उसके लिए चंद्रशेखर आजाद (सीएसए) कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधिकारियों से बातचीत हो गई है। सबसे पहले ऊन और रेशम के पौधों में लगने वाले कीड़ों पर परीक्षण किया जाएगा।
लार्वा पर सफल टेस्टिंग के बाद उस पदार्थ की विशेष तरह से कपड़ों पर लेयरिंग की जाएगी। उस व्यवस्था से घरों में कपड़ों को चट करने वाले कीड़े भी दूर रहेंगे। उनकी उम्र भी लंबी रहेगी।
घरों में कॉकरोच, दीमक और अन्य कीड़ों को रोकने के लिए नेफ्थालीन बॉल्स का प्रयोग किया जाता है। यह रासायनिक होता है। अब यह विकल्प तैयार किया जाएगा।
पाउडर की बजाए पेड़-पौधों में गोलियों का उपयोग किया जा सकेगा। यह काफी बेहतर तरीके से काम करेगा। इनसे मित्र कीटों को बिल्कुल नुकसान नहीं होगा।
प्रोजेक्ट में ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को शामिल किया जाएगा।
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इससे उन्हें रोजगार के अवसर मिल सकेंगे। वह पदार्थ तैयार करने में सहयोग करेंगी।

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