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*********|| जय श्री राधे ||*********
?? *महर्षि पाराशर पंचांग* ??
??? *अथ पंचांगम्* ???
*********ll जय श्री राधे ll*********
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*दिनाँक -: 20/10/2020,मंगलवार*
चतुर्थी, शुक्ल पक्ष
आश्विन
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ———-चतुर्थी 11:18:01 तक
पक्ष —————————शुक्ल
नक्षत्र ———-ज्येष्ठा 26:11:06
योग ———-सौभाग्य 09:46:47
करण ——विष्टि भद्र 11:18:01
करण ————-बव 22:07:21
वार ———————–मंगलवार
माह ————————-आश्विन
चन्द्र राशि —–वृश्चिक 26:11:06
चन्द्र राशि ———————धनु
सूर्य राशि ———————-तुला
रितु —————————-शरद
आयन —————– दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक) —-2076
शाका संवत —————-1942
वृन्दावन
सूर्योदय —————-06:23:23
सूर्यास्त —————–17:44:00
दिन काल ————-11:20:36
रात्री काल ————-12:40:00
चंद्रोदय —————-10:04:41
चंद्रास्त —————–20:50:16
लग्न —-तुला 2°57′ , 182°57′
सूर्य नक्षत्र ——————-चित्रा
चन्द्र नक्षत्र ——————-ज्येष्ठ
नक्षत्र पाया ——————–ताम्र
*??? पद, चरण ???*
नो —-ज्येष्ठा 09:22:42
या —-ज्येष्ठा 14:56:21
यी —-ज्येष्ठा 20:32:28
यू —-ज्येष्ठा 26:11:06
*??? ग्रह गोचर ???*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
========================
सूर्य=तुला02°52 ‘ चित्रा , 3 रा
चन्द्र =वृश्चिक 18°23 ‘ ज्येष्ठा ‘ 1 नो
बुध = (व)तुला 15°57 ‘ स्वाति ‘ 3 रो
शुक्र= सिंह 26°55,पू oफाo ‘ 4 टू
मंगल=(व)मीन 25°30’ रेवती ‘ 3 च
गुरु=धनु 24°22 ‘ पू oषा o , 4 ढा
शनि=मकर 01°43’ उ oषा o ‘ 2 भो
राहू=(व)वृषभ 28°40 ‘मृगशिरा , 2 वो
केतु=(व)वृश्चिक 28°40 ज्येष्ठा , 4 यू
*???शुभा$शुभ मुहूर्त???*
राहू काल 14:54 – 16:19 अशुभ
यम घंटा 09:14 – 10:39 अशुभ
गुली काल 12:04 – 13:29 अशुभ
अभिजित 11:41 -12:26 शुभ
दूर मुहूर्त 08:40 – 09:25 अशुभ
दूर मुहूर्त 22:48 – 23:33 अशुभ
?गंड मूल अहोरात्र अशुभ
?चोघडिया, दिन
रोग 06:23 – 07:48 अशुभ
उद्वेग 07:48 – 09:14 अशुभ
चर 09:14 – 10:39 शुभ
लाभ 10:39 – 12:04 शुभ
अमृत 12:04 – 13:29 शुभ
काल 13:29 – 14:54 अशुभ
शुभ 14:54 – 16:19 शुभ
रोग 16:19 – 17:44 अशुभ
?चोघडिया, रात
काल 17:44 – 19:19 अशुभ
लाभ 19:19 – 20:54 शुभ
उद्वेग 20:54 – 22:29 अशुभ
शुभ 22:29 – 24:04* शुभ
अमृत 24:04* – 25:39* शुभ
चर 25:39* – 27:14* शुभ
रोग 27:14* – 28:49* अशुभ
काल 28:49* – 30:24* अशुभ
?होरा, दिन
मंगल 06:23 – 07:20
सूर्य 07:20 – 08:17
शुक्र 08:17 – 09:14
बुध 09:14 – 10:10
चन्द्र 10:10 – 11:07
शनि 11:07 – 12:04
बृहस्पति 12:04 – 13:00
मंगल 13:00 – 13:57
सूर्य 13:57 – 14:54
शुक्र 14:54 – 15:51
बुध 15:51 – 16:47
चन्द्र 16:47 – 17:44
?होरा, रात
शनि 17:44 – 18:47
बृहस्पति 18:47 – 19:51
मंगल 19:51 – 20:54
सूर्य 20:54 – 21:57
शुक्र 21:57 – 23:01
बुध 23:01 – 24:04
चन्द्र 24:04* – 25:07
शनि 25:07* – 26:11
बृहस्पति 26:11* – 27:14
मंगल 27:14* – 28:17
सूर्य 28:17* – 29:21
शुक्र 29:21* – 30:24
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*?दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*? अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
4 + 3 + 1 = 8 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*? शिव वास एवं फल -:*
4 + 4 + 5 = 13 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक ,दुःख कारक
*?भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
प्रातः 11:18 तक समाप्त
स्वर्ग लोक = शुभ कारक
*?? विशेष जानकारी ??*
* नवरात्रि चतुर्थ दिवस (कुष्माण्डा देवी ) पूजन
* उपांग ललिता व्रत
*??? शुभ विचार ???*
श्वानपुच्छमिच व्यर्थ जीवितं विद्यया विना ।
न गुह्यगोपने शक्तं न च दंशनिवारणे ।।
।।चा o नी o।।
एक अनपढ़ आदमी की जिंदगी किसी कुत्ते की पूछ की तरह बेकार है. उससे ना उसकी इज्जत ही ढकती है और ना ही कीड़े मक्खियों को भागने के काम आती है.