महोबा : धरोहरों को सहेजने के बजाये बना दिया भूसा घर

0 दूर-दूर तक मशहूर रहा है चरखारी रायल थियेटर

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आगाहश्र कश्मीरी के लिखे नाटको का होता था मंचन
राज्य की प्रजा के मनोरंजन को चरखारी नरेश ने बनवाया था थियेटर
चरखारी/महोबा 3 नवम्बर। धरोहर को सहेज कर रखने के बजाये उसकी दशा की जा रही है कभी जिस रायल थियेटर में लोक जाने को ललायत रहते थे, बदले परिदृश्य में उसके उसमें भूसा भरा जा रहा है।
चरखारी नरेश अरिमर्दन सिंह ने अपनी राज्य की जनता के मनोरंजन के लिए नगर में रायल थियेटर की स्थापना की थी और इसका नाटय मंचन भारत के मशहूर सेक्सपियर आगाहश्र कश्मीरी के द्वारा किया जाता था और यहां का मंचन दूर-दूर तक मशहूर था वर्षो तक देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा रहा रजवाड़ा समाप्त होते रहे
, लम्बे संघर्ष के बाद देश परतंत्रता की बेड़ियों को तोड़कर स्वतंत्र हुआ, महाराजा की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारियों की रूचि न होने के कारण रायल थियेटर धीरे-धीरे बंद स होने लगा उसकी चमक फीकी पड़ने लगी और लम्बे समय तक यह थियेटर बंद पड़ा रहा। इधर नगर पालिका परिषद ने रायल थियेटर को पीसीएफ को किराये पर दे दिया है और उनक खाघान्न यहां रखा जाता है
जबकि उसके आधे खाली भाग पर भूसा भरा जा रहा है, कहना न होगा कि धरोहरों को लेकर इतनी उदासीनता बरता जाना ठीक बात तो नहीं कहां जा सकता है, हालांकि रायल थियेटर को बदलाव का दंश झेलना पड़ रहा है, यह अवश्य चिंता का विषय है क्योकि धरोहरों को सहेज कर रखना नितांत आवश्यक है, क्योकि यही शेष रह गयी निशानियों के अवशेष बचे है।
राष्ट्रीय जजमेंट के लिए महोबा से काजी आमिल की रिपोर्ट

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