34 साल बाद 1984 सिख विरोधी दंगे में 2 आरोपी दोषी करार

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यह पहला मामला है जिसमें एसआईटी की जांच के बाद किसी मामले में आरोपी को दोषी ठहराया गया है। दोषियों की सजा आज निर्धारित की जाएगी। 
अदालत ने 34 साल बाद नवंबर 1984 सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में दो आरोपियों को हत्या, हत्या की कोशिश, लूटपाट, आगजनी व अन्य धाराओं में दोषी करार दिया है।
पटियाला हाउस अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अजय पांडे ने अपने फैसले में नरेश सेहरावत व यशपाल सिंह को महिपालपुर क्षेत्र निवासी हरदेव सिंह व अवतार सिंह की हत्या का दोषी करार दिया है। इन दोनों की सजा पर अदालत गुरुवार को दलीलें सुनेगी जिसके बाद इन्हें सजा सुनाई जाएगी।

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि सभी दस्तावेजों व गवाहों के बयानों से स्पष्ट है कि दोनों दोषी इस इलाके में हुए दंगे, लूटपाट व हत्या के मामले में लिप्त थे।

इन दोनों ने निर्दोष लोगों के साथ लूटपाट ही नहीं की बल्कि उनके घरों में आग लगाई व निर्दोषों की हत्या कर उनके शव तक जला दिए।

मृतक के भाई संतोष सिंह की शिकायत पर यह मामला दर्ज किया गया था। दिल्ली पुलिस ने साक्ष्यों के अभाव में इस मामले की जांच 1994 में बंद कर दी थी। एसआईटी ने मामले की जांच कर चार्जशीट दाखिल की थी।  

अदालत ने एसआईटी की चार्जशीट में दिये साक्ष्यों व गवाहों से जिरह के आधार पर हत्या, हत्या की कोशिश, लूटपाट, मारपीट, अनाधिकृत प्रवेश व अन्य धाराओं में दोषी ठहराया है। हत्या की धारा में दोषी ठहराये जाने पर मृत्युदंड अथवा आजीवन कारावास का ही प्रावधान है।
  
विशेष जांच दल का आरोप था कि नरेश व यशपाल ने महिपालपुर में एक नवम्बर 1984 को 2 लोगो की हत्या की थी और तीन लोगो को जख्मी हालत में यह समझकर छोड़ दिया था कि वह भी मर चुके हैं। कई लोगों के घरों को आग के हवाले कर दिया था।

एसआईटी ने त्रिलोक सिंह, संगत सिंह व कुलदीप सिंह को गवाह के तौर पर कोर्ट में पेश किया था। इनकी गवाही को भरोसेमंद मानते हुए अदालत ने अपना फैसला सुनाया। 

भाजपा सरकार बनने के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सिख दंगों के पांच मामलों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था। इन सभी मामलों में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है।

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तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्तूबर 1984 को हत्या के बाद दंगे भड़क गये थे। इनमें हजारों लोगों की जान गई थी।

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