फ्यूचर रिटेल लिमिटेड और रिलायंस इंडस्ट्रीज की डील को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने दी मंजूरी

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किशोर बियानी के नेतृत्व वाली फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) और मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए राहत भरी खबर आई है। 24,713 करोड़ रुपये की इस डील को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने मंजूरी दे दी है। यानी अब रिलायंस इंडस्ट्रीज को फ्यूचर ग्रुप के कारोबार का अधिग्रहण करने में आसानी होगी। इससे दिग्गज अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन को बड़ा झटका लगा है।

क्या है मामला?

फ्यूचर समूह और अमेजन के बीच रिलायंस सौदे को लेकर विवाद चल रहा है। उल्लेखनीय है कि सिंगापुर इंटरनेशनल मध्यस्थता केंद्र (एसआईएएसी) ने 25 अक्तूबर को अमेजन के पक्ष में अंतरिम आदेश जारी करते हुए एफआरएल को अपनी संपत्ति बेचने या कोष प्राप्त करने को लेकर कोई भी प्रतिभूति जारी पर रोक लगा दी थी।

एफआरएल के अनुसार उसके बाद ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), शेयर बाजारों और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग को पत्र लिखकर फ्यूचर रिटेल-रिलायंस इंडस्ट्रीज के सौदे को लेकर कोई भी फैसला करने से पहले सिंगापुर मध्यस्थता केंद्र के निर्णय को ध्यान में रखने को कहा था।

वीके राजा की एकल न्यायाधीश पीठ ने अंतरिम मध्यस्थता फैसले में फ्यूचर रिटेल के द्वारा अपनी किसी भी संपत्ति को बेचने अथवा किसी प्रतिबंधित पक्ष से वित्तपोषण पाने को लेकर प्रतिभूति जारी करने से रोक दिया है। कंपनी ने यह भी कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण वह गंभीर वित्तीय दिक्कतों से गुजर रही है। उसने कहा कि यह सौदा इन दिक्कतों से निकलने का उनके पास एकमात्र उपाय है।

मामले में किशोर बियानी की अगुवाई वाली कंपनी ने कहा था कि, ‘एफआरएल को परामर्श दिया गया है कि एक आपात्पकालिक मध्यस्थ को भारतीय मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम, 1996 के भाग एक के तहत कोई कानूनी दर्जा प्राप्त नहीं है। इसलिए, आकस्मिक मध्यस्थता के समक्ष हुई कार्यवाही न्यायिक नहीं है।’ कंपनी ने कहा कि बिना न्यायाधिकार क्षेत्र के किसी प्राधिकरण के द्वारा दिया गया आकस्मिक मध्यस्थता निर्णय भारतीय कानून के तहत औचित्यहीन है।

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